इन्साफ फिर से पंचों के सामने ही दम घोट रहा था। बहुरिया वही पे अपने आंखों में आंसू लिए थी। इन्साफ फिर से पंचों के सामने ही दम घोट रहा था। बहुरिया वही पे अपने आंखों में ...
"कलम उठाई, तलवार सी चलाई, जिन्हें देश की आजादी की संभाल रही प्यारी है। "कलम उठाई, तलवार सी चलाई, जिन्हें देश की आजादी की संभाल रही प्यारी है।