याराना
याराना
रवि, सुधीर, मुस्कान, राहुल और कौशल पांचों अच्छे मित्र थे। उनके मित्रता के चर्चे कालेज से लेकर शहर तक होते थे। जब भी देखा जाता तो सभी मित्र एक साथ ही होते थे। जब भी जरूरत पड़ता तो सब एक दूसरे के लिए खड़े रहते थे।
एक बार की बात है सुधीर ने अचानक दस बजे रात में राहुल को फ़ोन करके कहा भाई कौशल का दुर्घटना हो गया है। तुम जल्दी आओ। वह इतना सुनते ही अपना काम छोड़कर दौड़ पड़ा। उसके घर से कौशल का घर महज़ पांच मिनट के दूरी पर था। वह दौड़ता-हांफता हुआ उसके घर पहुंचा तो देखा उसके सर पर गहरा चोट का निशान है और उसके सर पर पट्टी बंधी है। वह उसका ऐसा हालत देखते ही ज़ोर ज़ोर से पकड़कर रोने लगा।
लेकिन उसे सच का पता ही कहां था। ना तो कौशल को चोट लगी थी और न ही वह सोया था। बाकी उसके सारे दोस्त बगल के कमरे से सब कुछ देख रहे थे। तभी पीछे से सबने उसका मुंह चादर से ढंक दिया और उसे पीटने लगे। यहां तक कि कौशल भी उठकर उसे पीटने लगा।
फिर सबने उसे उठाया और उसे जन्मदिन पर मुबारकबाद देने लगा। सबने खाया पिया और खुब मस्ती किया। तो ये थी उनलोगों की यारी।
इसी तरह समय गुज़र रहा था और सब अपने दोस्ती के साथ साथ पढ़ाई भी कर रहे थे और आगे चलकर सब अलग-अलग दिशा में जाना चाह रहे थे।
इसी तरह आगे चलकर रवि को इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन करवाना था। लेकिन अफसोस की बात ये कि परीक्षा पास करने के बाद भी उसे फीस के दस लाख रुपए देने थे। जो उसके परिवारिक स्थिति के कारण असंभव था।
वह उदास होकर पैसे न होने की वज़ह से और कॉलेज न मिलने की वजह से अकेले एक पार्क में बैठा कुछ सोच रहा था।
इधर उसके तीनों दोस्त ने घूमने जाने का मन बनाया और रवि एवं मुस्कान को फ़ोन किया तो वह फ़ोन नहीं उठाया। इसपर सबने चलकर उसका हाल जानना चाहा। सब उसके घर के तरफ़ बढ़ चले और सबने मुस्कान को भी वही बुलाया।
वहां जाकर सबने उसके उदास होने का कारण पुछा तो उसने बताना उचित न समझा। फिर जब सबने कहा अरे यार बताओ ना हम सब तेरे दोस्त हैं। अगर अभी काम न आया तो फिर कब काम आऊंगा। फिर उसने बताया कि मुझे काॅलेज में फीस जमा करने के लिए पैसे नहीं हैं। मैं पढ़ाई नहीं कर सकता। इसपर सभी ने कहा बस इतनी सी बात है, तू चिंता मत कर, हम सब हैं ना सब हो जायेगा। इतना कहकर सबने ढ़ाढस बंधाया और सब अपने अपने घर को चल दिए। रात में सबने अपने पिता से कहकर उसके लिए पैसे इकट्ठे किए। यहां तक कि उसके पढ़ाई के नाम पर सबके पिताजी ने बिना कुछ कहे नेकी के काम के लिए पैसे दे दिए। दूसरे दिन सब पैसे लेकर उससे मिलने को पहुंचे। और सबने उसके हाथ में पैसे रख दिए। अचानक इतने पैसे देखकर और अपना सपना साकार होता देख फूले नहीं समा रहा था। उसने अपने सभी मित्रों को धन्यवाद दिया और कॉलेज में नामांकन के लिए सबसे विदा लेकर चल दिया। और यह सब करने में सबसे ज्यादा हाथ कौशल का ही था क्योंकि वह कभी अपने दोस्तों को दुःखी नहीं देखना चाहता था।
इसी तरह समय बीत रहा था और सभी दोस्त अपने अपने पढ़ाई में व्यस्त थे। और इधर उनकी दोस्ती तो कायम थी ही। इसी तरह कब देखते देखते दो साल बीत गया पता ही नहीं चला। इधर रवि का भी कॉलेज में छुट्टी होने वाला था। और सब मिलकर कहीं घुमने जाने का सोच रहे थे।
कॉलेज का छुट्टी हो चुकी थी और सबके सब अपने घर जाने लगे थे। अगले सुबह रवि भी अपने घर को जाने वाला था कि तभी रात में ही फ़ोन आया कि कौशल अब इस दुनिया में नहीं रहा। इतना सुनते ही उसके होश उड़ गए। वह आगे कुछ कह नहीं पाया और रात में झटपट घर जाने को तैयार हो गया। उसे रास्ते में कौशल पर बहुत गुस्सा आ रहा था। वह रास्ते में यही सोचता जा रहा था कि अगर वह एक बार फिर मिल जाए तो मैं उसे बताता हूं कि उसने मुझे छोड़कर कैसे चला गया। घर पहुंचते ही उसके तीनों मित्र उसे पकड़कर रोने लगे। पांचों दोस्त के समुह से अब एक सितारा हमेशा के लिए जा चुका था। सभी अपने आंसू को रोक नहीं पा रहे थे। सभी उसके शव को पकड़कर बिलख-बिलख कर रो रहे थे। फिर रवि ने उसके मौत का कारण पुछा तो पता चला उसे कैंसर था, जिसे वह सबसे छुपा रहा था। तभी अचानक पिछले दिन उसे बहुत ज़ोर से दर्द हुआ और अचानक उसे खुन का उल्टी होने लगा। सब उसे लेकर अस्पताल जाने लगे, तभी उसका रास्ते में ही मौत हो गया था।
इतना सुनते ही वह और ज़ोर ज़ोर से उसे पकड़कर रोने लगा। तभी सबको ऐसा महसूस हुआ कि कोई पीछे उनलोगों के कंधे पर हाथ रखकर कहा भाई मत रो, मैं हमेशा तुमलोग के साथ हूं। तुमलोग को मैं दुःखी नहीं देखना चाहता। मैं हमेशा तुमलोग के इर्द-गिर्द ही रहुंगा। इसलिए तुमलोग अब शांत हो जाओ। इतना कहते ही वह वहां से अदृश्य हो गया।
इस दुनिया में कुछ भी दोस्ती से बढ़कर कीमती नहीं है। दोस्त हैं तो ये सारा जहां है। दोस्त हैं तो हर काम आसान है।
