यादों का कारवां
यादों का कारवां
सुलगती अंगीठी से धुएं का गुबार आंखों में जलन दे रहा था रोज के धुएं और आज के धुएं में फर्क महसूस हो रहा था मंजिलें खुद से बातें करने लगा यह रातें भी ना नाना यह यादें भी ना इनके काफिले ने तो जैसे मेरे दिल के कबीले पर धावा बोल दिया और अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया मैं उन घनेरी जुल्फों के सितम को अब भी महसूस कर रहा
आंखों में जलन अभी थमी नहीं आग पूरी तरह अपनी शबाब पर तपन दे रही थी ठंड इतनी की गिरेबान में झांक सुकून इतना भी फासला नहीं था गर्दन ठंड से मफलर में खुद को निजात पहुंचाने के लिए मफलर में ही लिपटी रही और मगर नींद की खुमारी में लिपटी उलझी यादों का मैं क्या करूं
भाविका और मंजिलेश आज दोनों लिफ्ट में एक साथ ही प्रवेश किए मगर दोनों ने एक दूसरे को एक साथ नहीं देखा शायद......
आज से लगभग 3 वर्ष पूर्व दोनों दूसरे के आगोश में वक्त व्यतीत करते एक अजीब सी रोमांचित रोमांस की पुनर व्याख्या का पुनर अनुभव मंजिलेश की आंखों को गिला कर यादों को ताज कि दे रहे थे।
भाभी का आज अपने नए प्रोजेक्ट को लेकर देहरादून आई थी उसका प्रेजेंटेशन की तैयारी पूरी हो चुकी थी होटल दामन की लिफ्ट में उसने भी मंजिलेश को देखा। दोनों ने नजरें चुराकर जैसे अपने रिश्ते की इति श्री कर ली।
मगर ऐसा होता नहीं हर करवट टू मी खट्टी मीठी यादों की झंकार सुनाई दे रही थी विश्वमृत पटल पर फिर एक फिल्म एक रेल जिसने भाविका की भी आंखें भीगा दी।
आज मंजिलेश पूरी रात ना सोने के कारण आंखों में जलन महसूस कर रहा था फिर भी समय गवाएं बिना वह फटाफट तैयार होने लगा उसने आसमानी शर्ट पहनी और फिर जब उंगलियां बटन लगाने लगी तभी उसे अजीब सी गुरुजी लगी गुदगुदी महसूस हुई और एक भीनी खुशबू ने जैसे आकर उसे से लाया नीली शर्ट काली पेंट कोर्ट में उसके चेहरे पर आज एक चमक दिखाई दे रही थी बहुत वक्त के बाद उसे खुशी मिली मगर क्या बात थी कि लिफ्ट में एक साथ बरसो बाद मिले पर दोनों में से किसी ने पहल क्यों नहीं की।
भाभी का अपने कार्य को अपने प्रेजेंटेशन को बहुत शिद्दत से पूरा किया तालियों की गड़गड़ाहट के बीच वह अपने अतीत में खो चुकी थी उसे देहरादून की खूबसूरती में जीवन की पहली गजल मिल गई थी। भाविका ने देहरादून में ही पोस्टिंग ले चुकी थ।
मंजिलेश ने अपनी हेयर स्टाइल चेंज की थी जो भाविका को पसंद थी।
और अपनी कार के आईने में खुद को संवारते हुए होटल दामण.... की ओर निकल चुका था....
जहां यादों का कारवां खत्म जहां जादू का कारवां करते हैं खत्म हो दामन में खुशियों की सौगात उसका इंतजार कर रही थी।
