STORYMIRROR

टूम्पा

टूम्पा

1 min
14.4K


 शॉवर के नीचे खड़े होकर कितना आराम आता है' उफ़ ! ये घर के काम कभी ख़त्म ही नहीं होते,कितना थका देते है-'सोच रही थी सुजाता।
                       यकायक एक चेहरा दिमाग़ में कौंधा,ओह ! टूम्पा है ये तो।ओ हाँ, ये तो चार घरों में काम करती है।उसके घर के भी सब काम कितना हँसते हुये करती है,और चेहरे पर कोई शिकन नहीं आती।घर के सामानों पर रोज मिट्टी पोछती है,और गुनगुनाती रहती है जैसे कह रही हो 'पता है मुझे तू कल फिर आ जमेगी यहाँ और मैं फिर तुझे झांड दूँगी,न तू मानेगी न मैं'। कितनी हिम्मत है टूम्पा में,सारे घरों का काम करके, अपने घर के भी सब काम करती है और एक मैं हूँ , जो खुद के कामों से ही  खीज जाती हूँ। ओह!आज टूम्पा को चाय नहीं दी।
                          जल्दी से तैयार होकर रसोई में आयी,बरतन पोंछ कर लगा रही थी वो,जल्‍दी से चाय बनायी और प्लेट में बिस्कुट-नमकीन रख कर बोली'चल अब पहले चाय पी, थक गई होगी'हँस कर बरामदे में बैठ गई टूम्पा।उसको चाय देकर कैसी तृप्ति सी होती है।बग़ैर कुछ खाये भी कितने आराम से सब काम करती है,  और एक मैं हूँ भूख लगी हो तो काम क्या किसी का बोलना भी ज़हर लगता है।सुजाता हँस पड़ी , खुद पर ही।
                                                                                          शची


Rate this content
Log in

More hindi story from Shachii Kacker