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amit mohan

Children Stories

4  

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टीपाचार्य

टीपाचार्य

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टीप शास्त्र के रचयिता व कपट मुनि के शिष्य श्री टीपाचार्य समय व भीड़ की भावना के अनुसार लोगों को कथाएं सुनाया करते थे। वह पब्लिक की डिमांड के अनुसार कहानियों में फेरबदल करके लोगों के कानों तक पहुँचाते। उन्हें कथाओं की मूल भावना और लोगों की भावनाओं से ज्यादा अपनी दुकान चलाने की चिंता रहती थी। उन्होंने ही सर्वप्रथम अकबर की कहानी में अनारकली की घोल-मेल की थी। जो पब्लिक में सुपर-डुपर हिट हुई और उनकी दुकान चल निकली।

अपने नाम के अनुसार ही टीपाचार्य ने अनेक रचनाकारों को टीप-टाप कर अपने मौलिक ग्रंथ टीप शास्त्र की रचना की थी। प्रस्तुत हैं उसी के कुछ अंश-

श्रवन कुमार अपने माता-पिता को लेकर कार से जा रहे थे। उनके माँ-बाप की इच्छा थी कि उनका बेटा उनको चारों धाम की यात्रा कराये। रास्ते में उनकी कार पंचर हो गई। श्रवन कुमार ने कार से उतर कर देखा। उनकी कार के टायर में तीर घुसा हुआ था। उन्होंने इधर-उधर देखा ये तीर किसने मारा है। थोड़ी दूर पर मेनका धनुष लेकर खड़ी हुई थी। श्रवन कुमार के पूछने पर ज्ञात हुआ कि मेनका का प्रयोजन टोल टैक्स वसूलना नहीं है, न ही वो मुन्ना पंचर वाले से मिली हुई है। वो तो केवल हर पथिक से यही जानना चाहती है कि कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ?

अध्याय 4.4.2 की समाप्ति

( इनके अध्याय भी एंड्रॉइड वर्जन पर आधारित होते थे )

चित्रगुप्त गहरी चिंता में मग्न थे तभी फोन की ध्वनि ने उनका ध्यान भग्न कर दिया। उन्होंने अपना फोन उठाकर देखा तो उनके सामाजिक जनसंचार समूह ( सोशल मीडिया ग्रुप ) से तीन सौ लोग प्रस्थान (लेफ्ट) कर गये थे। उन्होंने इसका कारण पता लगवाया तो पता चला कि लोग अपने पुण्य व पाप की तुरन्त अधिसूचना (नोटिफिकेशन) प्राप्त न होने के कारण क्रोधित थे। वे तुरंत ही इस समस्या का निराकरण चाहते थे। नहीं तो किसी दूसरे परा आत्मीय प्लेटफार्म पर शिफ्ट हो रहे थे। इस मौके का भी चीनी एप्प फायदा उठा रहे थे और ऐसे एप्प बना रहे थे जिन पर लोगों को उनकी मर्जी और पसन्द के अनुसार नोटिफिकेशन प्राप्त हों। पर ये नोटिफिकेशन चीन की तरह झूठे थे।

अध्याय 4.4.4 की समाप्ति

टीपाचार्य कहते हैं कि शबरी ने भगवान राम को बेर खिलाये थे। अच्छा हुआ उन्होंने सौंफ खिलाने की नहीं सोची वर्ना वो सौंफ को कैसे चखती। जब रावण की पत्नी अपने पास दो-दो ह्रदय नहीं रखती थी तो उसका नाम मन दो धरी (मन्दोधरी) क्यों था।

अध्याय 5.0.0 की समाप्ति

जनश्रुति के अनुसार गणेश जी की एक पुत्री थी संतोषी माँ और उसी जनश्रुति के अनुसार सन्तोषी माँ की भी एक पुत्री हुई। जिसका नाम है राधे माँ यानि इस हिसाब से राधे माँ गणेश जी की नातिन हैं।

अध्याय 5.0.1 की समाप्ति

कभी-कभी टीपाचार्य कहानी से भटक कर दूसरी लाइन पकड़ लेते थे। उदाहरणार्थ- लड़ाई-झगड़ा होने पर लोग अक्सर कहते हैं कि मैं तेरी हालत कुत्ते जैसी कर दूँगा। आखिर क्या बुराई है कुत्ते की हालत में, कार में घूमता है, घरों में ए.सी. में रहता है। हालत देखनी है तो एक दामाद की देखो, सास की सेवा करो, ससुर जी की बातें सुनो, साली के नखरे उठाओ, साले पर खर्च करो....बस यही बीच में

अध्याय 5.0.2 की समाप्ति


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