Aadya Bharti

Others

4.5  

Aadya Bharti

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"सोशल मीडिया और समाज "

"सोशल मीडिया और समाज "

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कहानी में तीन पीढ़ी के लोगः

दादी, उनका बेटा-महेश, और पोता- आदित्य। सभी के पास मोबाइल है, और वे उसका भरपूर आनंद उठा रहे है।विद्यालय में खचाखच भीड़ थी, क्योंकि आदित्य ने अपनी कक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त किए थे, आदित्य का पूरी कक्षा के सामने सम्मान किया गया । सभी उसकी सफलता का राज़ जानने के लिए उत्सुक थे।आदित्य से बार बार पूछने पर उसने बताया,

"पहले मेरे पापा के पास एक मोबाइल था, माँ और पापा के बीच मोबाइल को लेकर रोज लड़ाई होती थी, इस लड़ाई के कारण मैं पढ़ नहीं पाता था फिर मेरे जन्मदिन पर मुझे कुछ पैसे उपहार में मिले थे, और पहले से ही मेरी गुल्लक में कुछ पैसे थे, उन्हें मिला कर मैंने एक नया स्मार्ट फ़ोन खरीदा आर अपनी माँ को गिफ्ट में दे दिया। अब पापा मां दोनों के पास फ़ोन हो गया, और वे दोनों अपने अपने फोनों में व्यस्त रहने लगे, घर में लड़ाई झगड़े का माहौल खत्म हो गया। और मुझे पढ़ने के लिए बहुत समय मिलने लगा यही है मेरी सफलता का राज।"आदित्य जब घर पहुंचा तो उसने देखा दादी बहुत गुस्से में थी लगातार बड़बड़ाती जा रही थी, 

"यह मोबाइल है कि राक्षस है, कितना खाता है? ये हाथों की घड़ी खा गया, टोर्च खा गया,चिट्ठी पत्रिया खा गया, किताबें खा गया,रेडियो खा गया, टेप रिकॉर्डर खा गया, कैमरे खा गया, कैलकुलेटर खा गया, पड़ोस की दोस्ती भी कहा गया, मेल-मिलाप भी खा गया, हमारा वक्त भी खा गया, पैसे भी खा गया, रिश्ते खा गया, कम्बक्त इतना कुछ खा कर ही स्मार्ट बना है। और बच्चे है कि इसके दीवाने हो गए है, हमारा कहना तो जानते ही नहीं है, कुछ भी बताओ तो झट से मोबाइल दिखा देते हैं," माँ, ये देखो किंतना गलत बता रही हो" 

"मैं कहती हूँ बदलती दुनिया का ऐसा असर होगा आदमी पागल, और फोन स्मार्ट हो गए, इससे तो हमारा जमाना ही अच्छा था फ़ोन वायर से बंधा था, इंसान आज़ाद था, अरे ! जब से फ़ोन आज़ाद हुआ है, इंसान फ़ोन से बंध गया है। उंगलिया ही निभा रही है रिश्ते आजकल सब टच में बिजी है इसलिए टच में खो गए है। महेश का तो पूरा ऑफिस ही फ़ोन से चलता है, वाट्सएप्प न हो गया लगता है दूसरा बॉस पैदा हो गया! बच्चे दिन- रात फेसबुक, ट्विटर, इंस्टा-फिंस्टा, न जाने किस किस में व्यस्त रहते है, क्या क्या कहते है, मुझे तो नाम तक नहीं मालूम ! अब देखो आज ही, मेरे नाती प्रखर से मिलने जाना था, कितने दिनों बाद आया था, कल फिर अमेरिका लौट जाएगा, बेटी कनिका क्या सोचेगी, में उसे कोई गिफ्ट भी नहीं दे पाऊंगी, ऐसे रिश्ते कब तक चलेंगे ? और रिश्तों के बिना जीवन कैसे चलेगा ?"

तभी मोबाइल देखते हुए महेश आया, और उसे देख उसकी माँ का गुस्सा फट पड़ा और महेश को फटकारते हुए बोली, "कितनी बार कहा है तुम्हें दिन भर मोबाइल में व्यस्त रहते हो, नहीं तो लैपटॉप या कंप्यूटर पर काम करते हो, प्रखर से मिलने भी जाना था, पर तुम्हे कहां समय है, कनिका क्या सोचेगी, मैंं उसे कोई गिफ्ट भी नहीं दे पाऊंगी, ऐसे रिश्ते कब तक चलेंगे?" "अरे माँ, इतनी सी बात महेश ने हँस कर कहा, " तुमने मुझे पहले बताया क्यों नहीं "मै अभी तुम्हे दीदी से मिलवा देता हूँ।

महेश ने वीडियो कॉल लगाया और फ़ोन माँ के सामने रख दिया, कनिका के कॉल उठाते ही उसका चेहरा सामने आ गया, माँ के चेहरे पर मुस्कान की लकीर खिंच गई, और ढेर सारी बातें हुईं, फोन रखने के बाद बोली, तेरे फोन में ऐसी सुविधा भी है, मुझे तो मालूम ही नहीं था। अब तो मैं कभी भी कनिका से बात कर लिया करूँगी "ठीक है माँ, अब बताओ प्रखर को क्या गिफ्ट देना है?"

इ-शॉप के ज़रिये महेश ने माँ को गिफ्ट पसंद करवाया, माँ ने कहा "अरे वाह! बाज़ार जाने की भी छुट्टी हो गई! पर पैसों का क्या, और गिफ्ट कब तक पहुंचेगी? महेश ने मोबाइल बैंकिंग से पैसे पे किये और गिफ्ट के लिए प्रखर का एड्रेस दे दिया। लो हो गया माँ!"

माँ खुश होते हुए बोली," अरे वाह! महेश क्या- क्या है तेरे मोबाइल में?" बस फिर क्या था, महेश ने फेसबुक, वाट्सएप्प के जरिये अपनी माँ के सारे पुराने फ्रेंड्स, गली-मोहल्ले गांव के साथी, पुराने रिश्तेदार सभी को जोड़ दिया। कुछ किताबें निकली, वह देखते ही, माँ ने आश्चर्य से पूछा, "इसमें पढ़ाई भी होती है?" "हाँ माँ, इससे सारी पढ़ाई होती है, जानती हो, आप इससे नए नए प्रकार के व्यंजन मंगवा भी सकती हो और बनाने की विधि यूट्यूब से देखकर सीख सकती हो!"

ये तो देखने वालों का अपना अपना नजरिया है, कुछ लोग मोबाइल और सोशल मीडिया पर गलत चीज़ों को तलाशते है, समाज को और खुद को हानि पहुंचाते है और कुछ उसका सदुपयोग कर तरक्की की राह पर अग्रसर होते है।

सच कहूं माँ, मेरी नज़र में तो मोबाइल एक समाजवादी तकनीकी उपकरण है, उसने पूंजीवाद की चूलें हिला दी है। एक सामान्य आदमी जो अमीरों के घरों की ओर देख कर वहां उपलब्ध जीवन की संजीवनी सुविधाओं की ओर, इस कसक के साथ की कभी मेरे घर भी, टीवी, टेप, घड़ी, कैमरा, वीडियो रिकॉर्डर, वीडियो कैमरा, कंप्यूटर, टॉर्च, टाइप राइटर आदि को ताकता रहता था, और अमीर उसकी इस कसमसाहट पर एक कुटिल मुस्कान के साथ उसको सांत्वना देता था," हाँ हाँ और मेहनत करो आज नहीं तो कल, नया नहीं तो हमारी उतरन का सामान खरीदने लायक पैसा तुम कमा ही लोगे"। और गरीब आदमी मन में लालसा लिए दिन-रात मेहनत करता रहता था। मोबाइल के इस अवतरण ने, उन पूंजीवादियों को एक बड़ा झटका देते हुए कई सारे गरीबो को यह सभी सुविधाएं कम पैसो में उपलब्ध करा दी। क्या आपने इससे बड़ा समाजवादी आज तक देखा है?

यह सुन कर महेश की माँ ने कहा-" तो महेश एक मोबाइल आदित्य को भी दिलवा दो, वो भी पढा़ई कर के टॉपर बनेगा।"

महेश बोले-"आदित्य ही क्यों, माँ तुम्हें भी एक मोबाइल ला देता हूँ, जिससे चाहो बात करती रहना, मोबाइल की दुनिया के सैर सपाटे में तुम्हारा वक्त भी अच्छा कटेगा।


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