सन्नी का सपना (By Tiana Gupta)
सन्नी का सपना (By Tiana Gupta)
मैं सात सालों से इस अनाथ आश्रम मैं रह रहा हूँ। हर रोज खिचड़ी खानी पड़ती है , और वो भी दैनिक काम के बाद। ना कोई दोस्त , ना कोई माता -पिता , बस एक औरत , जिसने मेरा बचपन से ध्यान रखा। पढ़ाई - लिखाई
सीखी नहीं ,बस नाम लिखना सीखा - सन्नी।
एक दिन , दैनिक काम के बीच एक दम्पति मुझसे मिलने आये। स्वाति ( वोऔरत जिसने मेरा बचपन से ध्यान रखा था ) ने कहा "सन्नी , यह तुम्हारे नए माता - पिता हैं।जाओ,अपना सामान लेकर इनकी गाड़ी मैं बैठ जाओ।"
ज्यादा कुछ याद नहीं , बस इतना की आधे घंटे में मैं अपने नए घर में खड़ा था।उस परिवार में ३ बहने और माँ - बाप थे जिन्होंने मेरा प्यार से स्वागत किया।उन्होंने मुझे बहुत सारा सामान दिया - खिलौने , लिखने का सामान , और पुस्तकें। मेरे आँख में आँसू आ गए। ऐसे परिवार में था जिसकी कल्पना मैंने सपने में की थी और अब वो एक हकीकत बन गई जिसके साथ में अपनी आगे की जिंदगी बिताने वाला हूँ।
