स्कूटी
स्कूटी
कई बार परिस्थितियां इंसान को मजबूरी की जकड़न में बांध देती हैं..! कोरोना वायरस का फैला हुआ यह चक्रव्यूह.. कितने ही अपनों ने अपनों से मजबूरी वश दूरी बना रखी है..! कितनों ने सीखा समझा कि बहुत से मामलों में आत्मनिर्भरता कितनी आवश्यक है।
रजत-मीनल.. नहीं ..नहीं यह प्रेमी युगल नहीं यह तो स्नेहिल भाई -बहन की अनुपम जोड़ी है बस दो बरस बड़ा है रजत मीनल से.! वर्मा दंपति को भी बहुत नाज़ है अपने दोनों बच्चों पर ..!हो भी क्यों ना..? रजत ने समय से कंपनी की बागडोर संभाल ली और दिनों- दिन उनके पुश्तैनी कारोबार को
ऊंचाईयों पर ले जाने अग्रसर है। लाडली मीनल ने पढ़ाई पूरी कर ली है! उसका रिश्ताभी बहुत अच्छे परिवार में तय हो रखा है..! बस छोटी सी बात है मीनल को स्कूटी चलाने का बहुत शौक है जो रजत को पसंद नहीं .. उसे लगता है मीनल को कभी आवश्यकता ही नहीं होगी कि उसे स्कूटी
चलानी पड़े..! ना यहां उसे किसी तरह की कमी है ना ही आगे चलकर उसे कोई परेशानी आएगी एक रईस खानदान की बिटिया दूसरे रईस खानदान में बहू बनकर राज़ करेगी। नौकर,ड्राईवर हाथ बांधे हमेशा उसके सामने होंगे..!
अपनी इकलौती लाडली बहन मीनल पर रजत अपनी जान लुटाता है। पर कोरोना के दहशत और लाक - डाऊन के चलते रजत का मीनल के पास पहुंचना संभव नहीं हो पाया!कोरोना से मीनल के ससुर जी बुरी तरह संक्रमित हो गये थे अच्छा इलाज होने के बावजूद वो नहीं बच पाए मीनल के पति मयंक और सासु मां पर भी संक्रमण का असर था बस मीनल की ही कोरोना टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आईं थी ऐसे में मीनल पर ही जिम्मेदारी थी कि वह हिम्मत से काम ले! पति और सासु मां दोनों ही घर पर आइसोलेशन पीरियड पर थे पहले लगा संक्रमण का असर कम है ये लोग घर पर ही ठीक हो जाएंगे लेकिन मयंक का आक्सीजन लेवल कम होने लगा
उसकी हालत जान सासु मां की भी दहशत में तबियत बिगड गई! तुरंत एम्बुलेंस बुलाकर मीनल ने दोनों को हास्पिटल रवाना किया। दो -दो कारें तो घर पर खड़ी थी लेकिन ड्राइवर नहीं थें ! मीनल को अपनी स्कूटी याद आई ! वही स्कूटी जो सिर्फ स्कूटी ही नहीं उसका शौक और जिद थी । शादी में मिलने वाले मायके से अनमोल कई उपहारों और चमचमाती कार के साथ अपनी पुरानी स्कूटी स्नेहवश वो साथ लाई थी जिसे सभी रिश्तेदारों ने उपहास के तौर पर देखा था। मयंक ने उसे गैरेज में एक तरफ रखवा दिया था। अपनी अंतरंग सहेली निकिता के साथ वह स्कूटी पर ही घूमा करती .. पापा और रजत भैय्या की नाराजगी झेलती!
उसे यही सुनना पड़ता कि उसे स्कूटी की क्या जरूरत है..? एक रईस पिता की बेटी
को इस तरह स्कूटी चलाना सीखना शोभा नहीं देता..! जहां उसकी शादी तय की गई है वो लोग भी बहुत अमीर है ड्राइवर, नौकर..हर पल हाथ बांधे हुए मिलेंगे तुम्हें..!पर आज कहां है वे सारे नौकर-चाकर ..? कोरोना वायरस के खौफ के आगे सबने दूरियां बना ली हैं! मीनल ने स्कूटी गैरेज से निकाली!पैदल ही पास के पेट्रोल पंप पहुंची पेट्रोल डलवाया ! स्कूटी स्टार्ट हो गई ! ईश्वर का धन्यवाद
किया और हास्पिटल पहुंची! बहुत खुशनसीब है वो लोग जिनका वास्ता इस वायरस से नहीं पड़ा है ..! वरना हास्पिटल में जिंदगी के लिए ऐसी जद्दोजहद.. देखकर मन का विचलित हो जाना स्वाभाविक है।रजत भैय्या के बिना आज अकेले ही मीनल अपने ऊपर पड़ी इस परेशानी का सामना कर रही थी। अपनी हिम्मत के बांध को साधे मीनल ने मयंक और सासु मां दोनों को विश्वास दिलाया कि
वह जरूर बहुत जल्द अच्छे हो जाएंगे!
दवाईयां, आक्सीजन हर चीज के लिए मीनल ने अकेले ही अपनी स्कूटी पर दौड़ लगाई ... आखिरकार वह जीत गई.. मयंक और सासु मां दोनों की तबीयत में सुधार आने लगा और जल्दी ही स्वस्थ होकर वे घर लौट आए।रजत भैय्या ने फोन पर कहा.." मीनल मेरी बहन मैंने तुमसे वादा किया था कि हर परिस्थिति में मैं तुम्हारा साथ दूंगा। लेकिन परिस्थितियों ने मुझे मजबूर कर रक्खा था मैं तुम्हारे पास नहीं था। पर मुझे और पापा , मम्मी को इस बात की खुशी और गर्व है कि तुमने हिम्मत और समझदारी से काम लेकर सारी परेशानियां दूर कर दीं! पापा .. मम्मी को इस बात पर धन्यवाद दे रहे हैं कि उन्होंने ने तुम्हारी स्कूटी लेने की जिद को उनसे जिद करके पूरा करवाया था। तुम्हें बहुत सारा प्यार और आशीर्वाद हमारी प्यारी बिटिया।