सच्चा प्यार
सच्चा प्यार


पिछले कुछ दिनों से पूरी दुनिया कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लड़ रही है। और आज तो बारिश भी हो रही है। लोग भी डर गए है और सब से बड़ी चिंता का विषय तो किसानों के लिए है।
ऐसे में करे तो क्या करे सब यही सोच रहे है। लेकिन आज मैंने कुछ अलग ही सोचा .... प्यार... ये शब्द सुनते ही जेहन में एक ही ख्याल आता है कि ऐसी परिस्थिति में प्यार कहा से आ गया..? और तो और इस युग में तो सच्चा प्यार बचा ही नहीं है।मानो कहीं खो ही गया है। सबको अपने काम से ही मतलब है, प्यार तो बस नाम से ही बदनाम है। कहते है लोग की सच्चा प्यार होता तो है मगर अब इस दुनिया में मिलता नहीं।
"सुना है कि चोट एक को लगे और आंसू दूसरे के बहते है। मुलाकात हो ना हो ये तो यादों में भी जिंदगी बिता देते है। वहीं सच्चा प्यार होता है...." आज मैंने भी ऐसे ही सच्चे प्यार को देखा है। धरती और आसमान का प्यार...! आज धरती को इतनी पीड़ा में देख कर ये आसमान रो पड़ा और बिना मौसम की बारिश हो गई। दर्द धरती को हुआ और आंसू आसमान के बहे। सच्चे प्यार का इस से बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है।