सबा -35
सबा -35
इस विदेशी नस्ल के देसी आदमी ने तो मंत्रीजी को हतप्रभ कर दिया। वो दांतों में अंगुली दबा कर रह गए। क्या सोच है इस इंसान की! मंत्रीजी तय नहीं कर पा रहे थे कि इसे कोई पगलाया हुआ फितूरी समझें कि इसे भविष्य की आपदा का तारणहार समझें। क्योंकि ये बात शत प्रतिशत सही थी कि देश की आबादी अब एक घनीभूत अंधकार की शक्ल अख़्तियार करती जा रही थी और नई पीढ़ी अपने जन्म का कर्ज़ चुकाने के लिए किसी भी सीमा तक जाने को तैयार होती नज़र आ रही थी। आकाश और पाताल की सीमाएं एक ओर विज्ञान मिटाने में लगा था तो दूसरी ओर अपराध शास्त्र।
कलेजा कांप जाए ऐसे - ऐसे वर्णन और विवरण रोज सुनने को मिल रहे थे। आदिमानव मानो पुनः अवतरित होना चाहता था और आज के आदमी को प्रस्तर युग में लौटा ले जाना चाहता था।
मंत्रीजी ने सालू को आश्वस्त किया कि कान में फुसफुसाने की ज़रूरत नहीं है, ये उनका कमरा है और यहां दीवारों के कतई कान नहीं होते... हुए भी तो मरोड़ दिए जायेंगे।
इतना आश्वासन तो बहुत था। सालू की तमाम झिझक जाती रही और उसे लगा कि अब मंत्रीजी को अपने आने का मकसद बता ही डालना चाहिए और उनका कमीशन भी सीधे - सीधे तय कर देना चाहिए।
उसने कहा - सर, अब आप समझ ही गए होंगे कि मैं न कोई लाक्ष्या गृह बनाने की बात कर रहा हूं और न कोई विध्वंसक बम बनाने की बात। मैं केवल यहां एक सीमेन बैंक खोलना चाहता हूं। वीर्य बैंक! वो भी पशुओं का नहीं इंसानों का।
- अच्छा! उससे क्या होगा?
- उससे नई उमर की नई फ़सल और कुंठाग्रस्त पुरानी पीढ़ी के लोग अपने बदन में बन रहा वीर्य महिलाओं पर ही उंडेलने पर बाध्य नहीं होंगे। वो उसे मजबूरी में नालियों में बेकार बहाने का काम भी नहीं करेंगे! जब हम उसे खरीदेंगे तो वो क्यों नहीं बेचेंगे? उन्हें किसी के साथ ज़ोर जबरदस्ती करने की क्या जरूरत रह जायेगी।
- ठीक है, मगर हम इस प्रोडक्ट का करेंगे क्या?
- गौर से सुनिए सर... हमने विवाह की उम्र बहुत बढ़ा डाली है जिसके चलते युवक पैंतीस - चालीस की उम्र में शादी करके औलाद पैदा कर रहे हैं। ऐसे लोग चाहें शादी चालीस की उम्र में करें, लेकिन संतान अपनी बाइस- पच्चीस साल की उम्र के जमा किए गए वीर्य से पैदा करेंगे। इससे इंसानी किस्म बिगड़ने से बचेगी।
- अच्छा, तुम्हारा मतलब है कि कि हम हर आदमी के लिए दस वर्ष तक उसके शरीर का सत्व सहेज कर रखने का खर्च उठाएं? जानते हो इसकी व्यवस्था करने का खर्च? दीवाला निकल जायेगा!
- सर, केवल कुछ सैंपल रख कर हम इसका निर्यात उन अमीर देशों को कर सकते हैं जो आबादी के लिए तरस रहे हैं। जहां के लाखों लोग काम और कमाने की धुन के चलते अपनी उत्पादन क्षमता खो चुके हैं। वे हमारे नियमित ग्राहक होंगे।
- वे क्यों अपने भविष्य के नागरिक हमारे लोगों के बदन से तैयार करना चाहेंगे, जबकि कई देशों में हमसे उन्नत कद काठी के लोग होते हैं...?
बात अधूरी रह गई। एक ज़रूरी फ़ोन कॉल आ जाने के चलते सालू को अपनी कहानी समेटनी पड़ी। लेकिन मंत्रीजी को अभिवादन कर वहां से निकलते- निकलते भी सालू को यकीन हो गया कि मंत्री जी उसके मुरीद हो गए हैं। ये सौ प्रतिशत स्वयं उसे बुलाएंगे और हो सकता है कि कभी समय निकाल कर उससे मिलने ही चले आएं।
सरकार के एक असरदार हाकिम के आगे इतनी बिसात बिछा देने के बाद उसे अपना पूरा प्रोजेक्ट कागज़ पर उतारने की धुन सवार हुई और वो गाड़ी तेज़ी से दौड़ाता हुआ लौटने लगा।
देश भर में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के आंकड़े जुटाने के काम में उसे युद्ध स्तर पर जुटना था।
उसे ऐसे व्यक्तियों के बारे में भी जानकारी जुटानी थी जिन्हें अभी न पुरुषों में गिना जाता था और न महिलाओं में, इस तीसरे जेंडर की ज़िंदगी से उठते धुएं का गुबार उसे बेचैन करता था।
सबसे अच्छी बात यह थी कि कीर्तिमान भी कुछ समय के लिए वापस आ रहा था।
उसे नंदिनी के जीवन की गुत्थी भी सुलझानी थी।