रेन फ़ोरेस्ट
रेन फ़ोरेस्ट
दिन के तीन बजने को थे, इससे पहले कि यूके ऑफ़िस काम करना शुरु करे, उसे बहुत कुछ निपटाना था और वक़्त पर घर भी जाना था, इसलिए वो बहुत फूर्ती से काम निपटा रही थी। अचानक जोरों की बारिश शुरू हुई, बिजलियाँ कड़कने लगी, मौसम बिगड़ने लगा था। सिंगापुर वैसे भी वर्षा-वन यानि रेन फ़ोरेस्ट कहलाता है, बिन मौसम कभी भी बारिश होना यहाँ आम बात थी।
उसने तुरंत घड़ी पर नज़र डाली। काम, ऑफ़िस सब नेपथ्य में चला गया था। ढ़ाई साल का बेटा घर पर सो रहा होगा, मौसम भी ठंडा हो गया, न जाने कितने ख़याल उसके दिमाग में तैरने लगे। बिजली की गर्जनाएं अब थमने का नाम नहीं ले रही थी। बिजली कड़कने से बेटा बहुत डरता है, अक्सर नींद से उठ जाता है और उसके सीने से तब तक चिपका रहता है जब तक कि बिजली कड़कना बंद ना हो जाए।
उसे अपने सीने पर बेटे का भार महसूस होने लगा, उसने आँखें बंद कीं, उसके होठों पर सलामती की ना जाने कितनी दुआएँ थीं और आँखों में हल्की सी नमी थी।
उफ़्फ़..ज़िम्मेदारियाँ और मजबूरियाँ...