Gagandeep Singh Bharara

Children Stories

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Gagandeep Singh Bharara

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राजू और मोती की दोस्ती

राजू और मोती की दोस्ती

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 राधा मैडम कक्षा २ के बच्चों को पढ़ाने के लिए आई हैं, क्योंकि उनकी मैडम छुटटी पे हैं।


राधा : "बच्चों, आज तो बहुत खुश होंगे आप लोग, मैडम रीटा जो नहीं आई। "


बच्चे : (खुशी से) "जी मैडम।" 


राधा : "चलो, आज पढ़ाई नहीं, मैं तुम्हें दो चूहों की दोस्ती की कहानी सुनाती हूं।

इक बार, एक बाज़ार में दो चूहे रहते थे। वो दोनो बड़े ही पक्के दोस्त थे। हर समय एक साथ रहते थे। एक साथ ही खेलते और एक साथ दुकानों में जा कर मन मर्जी का खाना खाते। उन्होंने अपने बिल को बहुत अच्छे से सजा रखा था, वह मखमल के कपड़े पर सोते थे, और उनके पास एक छोटी सी गेंद, कुछ टूटे हुए खिलौने, और कुछ फोटो वाली माचिस की डिब्बी भी थी, जिन्हें उन्होंने अपने बिल में अच्छे से सजा रखा था।


एक दिन राजू थोड़ा बीमार था, इसलिए मोती अकेला ही एक दुकान से उसके और अपने लिए खाना लेने गया। वह खाना लेने के लिए एक अलमारी में चढ़ा ही था, कि अचानक,रानी नाम की एक बिल्ली ने उसपे हमला कर दिया। मोती ने बड़ी मुश्किल से खुद को बचाया, और वहाँ से किसी तरीके से बच के निकल गया। दरअसल, कुछ दुकानदारों ने मिल कर इस बिल्ली को चूहों से बचने के लिए रखा था।"


मोती : "राजू, आज तो मैं बाल बाल बचा।"

राजू : "क्या हुआ?"


मोती: "शर्मा पटवारी की दुकान से अपने खाने का समान लेने गया था। अचानक से एक बिल्ली ने मुझ पर हमला कर दिया।"


राजू : "अरे नहीं! अब यह बिल्ली कहां से आ गई।"

मोती :" भाई, मुझे तो बहुत डर लग रहा है, मैं तो अब वहाँ नहीं जाऊंगा।"


राजू : "डरो मत, मुझे ठीक होने दो, मैं उस बिल्ली का कुछ करता हूं।"


मोती : "तुम उस बिल्ली का क्या बिगाड़ लोगे, मैं वहाँ नहीं जाऊंगा।"


राधा : अगले दिन, सुबह, राजू ठीक महसूस कर रहा था। वह, मोती को बिना बताए, इस बिल्ली से बात करने निकल गया।

राजू एक छत पे चढ़ के बैठ गया, जहाँ, बिल्ली ना पहुँच सके।


राजू : "अरे, रानी, हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, जो तुम हमारे पीछे पड़ी हो। देखो तुम हमें तंग नहीं करोगी तो अच्छा होगा।"


रानी : "हा, हा, तुम पीदू से चूहे, मुझे समझाने निकले हो। मेरे मालिक की दुकानों की तरफ़ आए तो मैं तुम्हें खा जाऊंगी। यह बाज़ार छोड़ के चले जाओ, वरना तुम्हारी शामत नहीं।"


राजू : "देखो, रानी, ये हमरा इलाका है, तुम मुझे मजबूर मत करो, कि मैं तुम्हारी शिकायत अपने सरदार से करूं, अगर उसे बुलाया तो वो तुम्हें खा जाएगा।" 


रानी: "अरे जाओ, तुम तो ऐसे कह रहे हो जैसे कि वो कोई, ५ फूट लंबा दैतय चूहा है।"


राजू : और नहीं तो क्या! तभी कह रहा हूं, मिल के रहते हैं, वरना...


रानी : मुझे डराने की कोशिश मत करो, फिर कह रही हूं, छोड़ के चले जाओ यह बाज़ार,अब यह मेरा इलाका है।


राजू : तुम्हारी मर्ज़ी, फिर मत कहना तुम्हें समझाया नहीं।


राधा : और दोनो अपने अपने रास्ते चले जाते हैं। राजू ने मगर, बिल्ली के दिल में शंका डाल दी थी। बिल्ली ने आस पास के जानवरों से पता करने की कोशिश की। एक बिल्ली ने तो उस राक्षस रूपी चूहे को देखने की बात भी बताई।


राजू ने मोती को साथ मिल एक तरकीब बनाई। मोती लेकिन, बहुत डरा हुआ था। उसने उस बिल्ली के पास जाने से मना कर दिया।


राजू : मोती, देखो, इस इलाके में बहुत खाना है और हम यहाँ बड़े खुश भी हैं। अगर, हमने रानी को यहाँ से नहीं भगाया तो हमें यह जगह छोड़नी पड़ेगी। तुम ऐसा करो, बस उस अंधेरे मोड़ के पीछे छुप के बैठना, जैसे ही मैं रानी को अपने पीछे लाऊं, तुम इस कपड़े को हटा देना।


राधा : और उस रात, प्लान के मुतबिक राजू रानी के पास जाता है।


राजू : अरे रानी, क्या कर रही हो, ऐसे खाती रही तो मोटी हो जाओगी। फिर हमें भगाओगी कैसे?


रानी : तुम्हारी इतनी हिम्मत, में तुम्हें नहीं छोडूंगी। 


राजू : मैने तुम्हें समझाया था, मगर तुम नहीं मानी। आज चूहों के सरदार आ रहे हैं। आज तुम्हारा आखरी दिन है, खा लो जी भर के।


राधा : रानी सोच में पड़ गई। कहीं सच में तो सरदार चूहा इतना बड़ा नहीं? अभी वो इस सोच में ही थी, कि राजू उसके सामने से भागने लगता है।


रानी : भागता कहाँ है। आज मैं तुम्हें खा जाऊंगी।

राजू : जाओ, आज तो तुम्हें सरदार खायेंगे।


राधा : और रानी, राजू के पीछे भागती है।


राजू प्लान के मुताबिक, रानी को अंधेरे मोड़ पे लाता है, और मोती को इशारा करता है। मोती बताए हुए कपड़े को हटा देता है, और बल्ब की रोशनी से, राजू की परछाई सामने दीवार पे पड़ती है।


और वह एक विशाल चूहे की तरह दिखता है। रानी डर के सेहम जाती है। राजू अपनी आवाज़ भारी कर बोलता है,


राजू : रानी, आज तुम्हारा आखरी दिन है। तुमने मेरी प्रजा के राजू और मोती को बहुत तंग किया है। 


रानी : नहीं सरदार, मुझे माफ कर दो। मैं तो बस अपने मालिक का हुकुम मान रही थी। 


सरदार : तुम्हें, एक ही शर्त पर माफ करूंगा। आज से तुम राजू और मोती को कभी तंग नहीं करोगी और अगर वो कहें तो उनको अच्छे पकवान भी ला के दोगी।


रानी : जी सरदार, आप जो कहें, मुझे बस माफ़ कर दो।


राजू : ठीक है, लेकिन, अगर तुमने इनको तंग किया तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा। अब जाओ यहां से। 

रानी : जी सरदार।


राधा : और, रानी गिरती पड़ती, वहां से नौ दो ग्यारहां हो जाती है। राजू और मोती बिल्ली के भागने के बाद बहुत हँसते हैं।


मोती : आज तो तुमने कमाल कर दिया। पर तुम्हें यह आइडिया आया कहाँ से, मैं तो बहुत डर गया था।


राजू : मोती, कोई तुम्हें तब तक नहीं डरा सकता, जब तक तुम उसे मौका ना दो।


राधा : और उसके बाद से राजू और मोती वहाँ खुशी खुशी रहते हैं।तो बच्चों कैसी लगी कहानी।


बच्चे : बहुत अच्छी मैडम।


एक बच्चा : मैडम, अब में धीरज से कभी नहीं डरूंगा, वह भी मुझे डराता रहता है। 


(धीरज की तरफ़ इशारा करते हुए)


 राधा मैडम और सभी बच्चे यह सुन, ज़ोर ज़ोर से हसने लगते हैं।



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