राजनेता
राजनेता


पल्टूरामजी का मंत्रालय में आज पहला दिन था। इससे पहले वह एक समाजसेवी संस्था चलाते थे जो लोगों को शराब, सिगरेट और गुटका आदि छोड़ने के लिए प्रेरित करती थी। इससे धीरे-धीरे उन्होंने कई लोगों की जिंदगी बदल डाली और उनकी प्रसिद्धि भी बढ़ती गयी। वह शहर की एक बड़ी हस्ती माने जाने लगे और उनके चाहनेवालों ने उन्हें विधायक का चुनाव लड़ने पर मजबूर कर दिया और उन्हें जिता कर ही दम लिया।
उनकी अपार लोकप्रियता के दम पर उन्हें वित्त मंत्री का पद भी मिल गया। अब लोगों की उम्मीद थी कि राज्य से शराब, सिगरेट और गुटके का पूरी तरह से सफाया हो जायेगा।
मंत्रालय में स्वागत आदि की औपचारिकताओं के बाद विभाग के सचिव ने राज्य की वित्तीय स्थिति पर एक प्रेजेंटेशन दिया। बीस मिनट के उस प्रेजेंटेशन से उनके दिमाग में दो बातें बिलकुल साफ़ हो गयीं। एक तो राज्य की वित्तीय स्तिथि काफी बुरी थी और दूसरी यह कि राज्य की आय का लगभग आधा हिस्सा शराब, सिगरेट और गुटके पर लगे राजस्व से आता था।
पल्टूरामजी का दिमाग़ अब तेजी से काम कर रहा था। नशाबंदी का मुद्दा जो उनके मंत्रित्व पद पर पहुंचने की एक सीढ़ी मात्र था अब उसे ठन्डे बस्ते में डालना होगा। अगले चुनाव आने से पहले उन्हें फिर कोई नया मुद्दा लोगों की आस जगाने के लिए खोजना और भुनाना होगा। नशाबंदी तब तक जनता की कमजोर याददाश्त में काफी नीचे दब चुका होगा।
अब ये पांच साल तो उन्हें मलाई खाने और सम्बन्ध बनाने में बिताने थे।एक समाजसेवी से वे अब एक मंजे हुए नेता बन चुके थे।तरक्की की यह पायदान उन्हें मुबारक।