प्यार किस चिड़िया का नाम

प्यार किस चिड़िया का नाम

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प्यार ये क्या होता है, मैं ये बिल्कुल भी नहीं जानता। लोगों ने इस नाम पर कई तरह के तर्क दे रखे हैं। बड़े - बड़े कवि और लेखकों ने इस नाम पर लिखा है। हाँ ! मैने लोगों से कहते सुना है, प्यार एक एहसास है इस पर किसी का वश नहीं होता है। प्यार होता नहीं हो जाता है। प्यार किसी से भी हो सकता है। हाँ ! मैने लोगो से ये भी सुना है प्यार पैसा ,उम्र ,रंग, ऊंच -नीच, छोटा -बड़ा, मोटा -पतला, आगे - पीछे ये सब देख के नहीं होता है। प्यार वो एहसास जो मनुष्य को जीवन में एक बार ज़रूर होता है, चाहे वो किसी हमसफ़र के लिए हो या चाहे किसी अपनों के लिए हो। हाँ ! मैने लोगों से ये कहते हुए भी सुना है, प्यार मौत का दूसरा नाम है। प्यार किसी भी मनुष्य को संवार सकता है तो उसे बर्बाद भी कर सकता है।

मैं सच में प्यार के बारे कुछ नहीं जानता हूँ, फ़िर भी इस पर कुछ लिखने का जहमत उठा रहा हूँ। हां ! मैं जानता हूँ प्यार के बारे सब को अपनी अपनी अलग सोच होती है, किसी को ये सब बकवास लगता है तो किसी को ये ज़िंदगी जीने का तरीका लगता है।

ये कहानी दो दोस्त विवेक ओर शुभम की है। जो बहुत ही अच्छे दोस्त है, और हर ख़ुशी और ग़म में साथ रहते थे। हां ! बस इन दोनों में एक बात अलग थी वो है प्यार। एक को ये सब बकवास लगता था तो दूसरे को ये ज़िंदगी।

एक रात वो दोनों साथ बैठे थे। इस बात पर बहस हो जाती है।

विवेक -"यार ! तू प्यार के बारे में इतना नेगिटिव क्यों सोचता है। "

शुभम -" कहाँ यार ! मैं कोई नेगिटिव नहीं सोचता हूँ , तुम ने तो इस को कुछ ज्यादा ही तवज्जो दे रखी है। "

विवेक -" भाई ! जब तेरे को किसी से प्यार होगा ना, तब तेरे को इस चीज का एहसास होगा। "

"कभी नहीं ...ना तो मेरे को प्यार होगा और ना ही ये सब करने में दिलचस्पी है। "

"देख यार ! मैं नहीं जानता की तू प्यार के बारे इतना ग़लत क्यों सोच रहा है, क्यों तेरे को ये सब बकवास लग रहा है, लेकिन भाई ! अगर प्यार ना हो तो ये ज़िंदगी फ़ीकी लगती है। "

 "भाई ! ये सब फ़िल्मी बातें है, तेरे को क्या लगता है प्यार के सहारे ज़िंदगी कट जाएगी, कभी भी नहीं भाई। "

 "मैं नहीं जानता प्यार से ज़िंदगी कटती है की नहीं लेकिन प्यार से ज़िंदगी खूबसूरत ज़रूर हो जाती है।

 "अच्छा ! मेरे को एक बात बता ? अगर प्यार ज़िंदगी को खूबसूरत बनाता है, तो लोग मरते क्यों है, मरना इतना आसान होता है क्या ? यार ! मेरे को ये समझ नहीं आ रहा है, लोग इतने पागल क्यों होते हैं? किसी एक गैर के ख़ातिर अपनी ज़िंदगी को खत्म कर देते है। "

 "भाई ! यहीं तो प्यार है, अगर मिल जाए तो वो वही उसको जीने की वजह बनता है, हां ! यार मरना इतना आसान नहीं होता है, फिर भी लोग इस के ख़ातिर मर जाते हैं क्यों? क्योंकि भाई ! उसकी ज़िंदगी ही वह प्यार है, उसके बिना वह सिर्फ एक पुतला है।

"यार ! वह प्यार ही उसकी ज़िंदगी बन जाती है तो ये दुनिया माँ -बाप, भाई -बहन, दोस्त, रिश्तेदार कोई मायने नहीं रखता क्या ? इनका प्यार इतना कमजोर होता है की वो किसी पराए के लिए अपनों को भूल जाए। मैं नहीं मानता, क्या माँ का प्यार, प्यार नहीं होता। क्या ?माँ का प्यार इतना कमजोर होता है , जिसको बचपन से पाल कर बड़ा किया हो, वो उस माँ के प्यार को भूल कर किसी गैर के ख़ातिर अपनी ज़िंदगी को क़ुर्बान कर दे, नहीं यार ! किसी गैर के ख़ातिर अपनों को दुःख पहुंचे ये कैसा प्यार हुआ ?"

"भाई ! जब अपने ही उस प्यार को ना समझे तो वह प्यार नहीं है, अगर अपने उस से प्यार करते है तो वे उसके प्यार के दुश्मन क्यों बन जाते है, क्यों वो समझ नहीं पाते की उसकी ज़िंदगी वह प्यार है। क्यों उसको मरने पर मजबूर कर देते है। "

"भाई ! क्या बकवास किया जा रहा है, तू बोलना क्या चाह रहा है? तेरा मतलब उसके अपने ही उसके दुश्मन बनते है, अगर उसके अपने दुश्मन होते ना तो वो इतना बड़ा भी ना होता। यार ! जब कोई उसके साथ नहीं होता है ना तो अपने ही उसके साथ होते है। "

 "जब उसको अपनों की सबसे ज्यादा जरूरत हो और अपने उसके साथ ना दे तो ? मेरे यारा ! उस वक्त वह प्यार ही होता है जो उसके साथ खड़ा होता है।"

"अबे यार ! तू तो बड़ी फ़िल्मी बातें करने लगा, भाई सपने से जाग, ये रियल लाइफ है यहां पे ऐसा कुछ ना होता है ,यहां पे सब मतलबी होते है। ये प्यार, ये अपनापन सब झूठे होते है, जब मुसीबत आती है ना तो सब भाग जाते है। ये प्यार वहीं धरा का धरा रहा जाता है। "

 "यार ! तेरे को पता हैं, तेरी प्रॉब्लम क्या है ?तू हमेशा अपने दिमाग से सोचता है कभी दिल से नहीं, भाई एक बार अपने दिल से सोच तब तेरे को प्यार की अहमियत पता चलेगी "

 " फ़िर वहीं बात, देख यार ! पहली बात सोचा हमेशा दिमाग से ही जाता है , न की दिल से। दूसरी बात मैं सब जानता हूँ प्यार क्या होता है आज की इस दुनिया में। भाई, जब जिस्म की ख़्वाहिश पूरी हो जाती है ना तो ये प्यार भाग जाता है ,"

 "भाई , वो प्यार नहीं होता है, वो धोखा होता है , जो अपनी प्यास बुझाने के लिए करते है, भाई प्यार में कभी जिस्म की ख़्वाहिश नहीं होती है, प्यार तो रूह से किया जाता है न की उसके जिस्म से, प्यार तो यूँ ही बदनाम है इन जिस्म की ख़्वाहिश रखने वाले हैवानों की वजह से। "

 हँसते हुए -"वाह भाई, मतलब की तुम मेरी किसी भी बात को अपनी बात से आगे जाने नहीं दोगे । कोई तैयारी -वैयारी कर के आए हो क्या इस टॉपिक पर या फ़िल्मे ज्यादा देखने लग गए हो। अगर भाई ऐसा है तो फिल्मे देखना कम कर दे ओर वास्विकता पर सोच। "

"भाई तेरे को अभी भी ये बातें फ़िल्मी लग रहीं है, अरे यार ! यही सच है। "

थोड़ी देर दोनों चुप हो जाते है, फिर दोनों एक दूसरे को देख हल्का से मुस्करा देते है।

विवेक -" अबे! क्या सोच रहा है?"

        

शुभम - "कुछ नहीं यार ! हमारी लाइफ का कुछ पता नहीं है कब निपट जाए , फिर भी हम किस बात पे इतना घमंड करते है। लोग क्यों नहीं समझते है , खाली हाथ आए थे ओर खाली हाथ वापस जाओगे "

 "जय हो बाबा जी की, गुरुदेव आप ने अपनी अमृत वाणी से हमें जाग्रत किया , हम आप की वाणी का अमृत पान कर के धन्य हो गए, हमारा इस लोक में आना सफल हुआ। जय हो बाबा जी की " हँसते हुए विवेक ने बोला ।

"बच्चा, इस जीवन का एक मात्र सत्य मौत है , ये रिश्ते -नाते , बधंन , प्यार -मोहब्बत , धन -दौलत ये सब मोह माया है, इन चक्करों में मत पड़। तेरा कल्याण हो जाएगा। " शुभम ने अपना एक हाथ ऊपर कर के मज़ाकिया ढंग से कहा ।

अब दोनों ठहाके लगा के खूब हँसे। थोड़ी देर हँसने के बाद फिर चुप हो जाते है।

विवेक -"अब फिर से क्या हुआ ? चुप क्यों हुआ। "

 शुभम -"चल यार! मैं मान लेता हूँ, ये प्यार होता है, हम किसी को जी -जान से चाहते है, उसके बिना हम जी नहीं सकते। हम साथ मरने- जीने की कसमें खाते है। कई तरह के वायदे करते है। "

"तो क्या ?" विवेक कुछ समझा नहीं ।

 " तो यार , जब उनकी शादी हो जाती है, धीरे -धीरे ये प्यार कम क्यों हो जाता है, वो अपने साथी के साथ ख़ुश क्यों नहीं रह पाते है। वो वादे - कसमें कहाँ चली जाती है "

विवेक -"तो इस से क्या साबित होता है "

शुभम -"यहीं की हम को लगता है ,हम प्यार के सहारे ज़िंदगी बीता लेगे, लेकिन ये सच नहीं है, यार ! जब परेशानी हमारी लाइफ में दस्तक देती है ना ये प्यार उसके सामने हार जाता है । "

विवेक -"मैं कुछ नहीं समझा, तुम क्या बोलना चाह रहे हो "

 "देख भाई !. जब हम जवां होते है, तब हमको ये प्रेम रोग लगता है, लेकिन ये उम्र के साथ कम क्यों हो जाता है, यार ! चाहे दोनों आपस में कितना ही प्यार क्यों ना फिर भी वो दोनों खुश क्यों नहीं रहे पाते। "

  "भाई, ये प्यार है ना बहुत हरामी होता है, इसको कोई समझ नहीं पाया है। मैं और कुछ नहीं जानता। पता नहीं वो लोग ख़ुश क्यों नहीं रह पाते है, हो सकता है, वो प्यार को भूल गये या ये हो सकता है इस भाग -दौड़ की ज़िंदगी में अपने प्यार को ओर अपने आप को कहीं खो देते है। "

 "अच्छा, तो तेरी नज़र में प्यार क्या होता है?" शुभम ने थोड़ा उत्सुकता से पूछा "

 "प्यार ,भाई ये चीज है ना, अब तेरे को कैसे समझाऊ, यार प्यार की कोई परिभाषा नहीं होती है, प्यार तो एक अहसास है ओर वो अहसास सिर्फ प्यार करने वाले ही समझ सकते है, अब मैं तेरे को चाहे कितना भी बता दूँ ,तेरे को सब बकवास ही लगेगा ।

 "भाई, ये सब बकवास नहीं है तो ओर क्या है ?"

   

"तू नहीं जानता प्यार में पड़ना क्या होता है भाई, तू कभी नहीं समझेगा प्यार हमको क्या एहसास करवाता है, तू कभी नहीं समझेगा उसकी फ़िक्र करना , उसका रूठना, उसका मनाना , उसके बारे सोचना , तू कभी नहीं समझेगा उसके ख़ातिर पूरी रात "जागना, उसके लिए पूरे दिन इन्तजार करना , उसके हर मासूम सी ग़लती पर फिदा होना, तेरे को क्या पता सारी दुनिया को भूल कर किसी एक ही की दुनिया मे खो जाना, तेरे को क्या पता उसके प्यार में मौत को भी भूल जाना। "

   

"जब ये प्यार किसी ओर का हो जाता है ना तब रात भर रोना भी पड़ता हैं, जब आप का प्यार किसी ओर से प्यार करे ना तो वो बहुत दर्द देता है। "

"यारा ! ये दर्द भी बहुत मीठा होता है , तेरे को क्या लगता है , जो दोनों तरफ से हो वो ही  प्यार होता है , नहीं यार ! प्यार तो एक तरफ़ा भी होता है ओर ये एक तरफ़ा प्यार सबसे सच्चा प्यार होता है, तेरे को पता है इस एक तरफ़ा प्यार की ख़ास बात क्या है, वो कभी पूरा नहीं होता है, वो प्यार कभी खत्म नहीं होता है जो मज़ा एक तरफ़ा प्यार करने में आता है ना वो मज़ा दोनों तरफ़ से करने में कहां। "

   

"चल छोड़ यार, बहस करने से कोई फायदा नहीं है, तू तेरी जगह सही है, मैं मेरी जगह। " शुभम ने कहा।

"सही है भाई, मैं तेरे को उस दिन पूछूँगा जिस दिन तू किसी से प्यार करेगा। " विवेक बोला ।

"ये कभी ना होगा , चल चलते है। "



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