पुण्य तिथि

पुण्य तिथि

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"भाभी भाभी दिए की बत्ती ले लो काम आएगी घर में"  रीमा की साडी का पल्लू पकड़ कर उसने कहा तो खोई खोई सी रीमा  अचानक ही अपनी दुनिया में लौट आई,  और उसे पहचानते हुए बोली " सुषमा तेरी माँ कहाँ है? क्या कर रही है? क्या अब वो काम करने नहीं जाती ? " कई सवाल अचानक ही निकल पड़े”  

रुआंसी सी बोली सुषमा  "भाभी माँ बहुत बीमार है कई महीनो से अब वो काम पर नहीं जा पाती "  रीमा ने उसके सर पर हाथ फेरा और चुपचाप हाथ में दबाये हुए सारे नोट सुषमा को दे दिये और बोली  "रख ले काम आएंगे मैं शाम को देखने आउंगी तेरी माँ को, बहुत धूप हो रही है तू घर जा "

रीमा मुड़ कर संतोष के साथ  घर की ओर चल दी आखिर उसके पति जीवित होते तो वो भी यही करते

किसी खाए पिए को खिला कर उनकी तिथि पर उन्हें शांति नहीं मिल सकती I 


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