प्रांशी और झरबेरी
प्रांशी और झरबेरी
प्रांशी कक्षा चार में पढ़ती थीl वह रोज स्कूल देर से आती थी ,और कक्षा में चुपचाप बैठी रहती थी सभी बच्चे टीचर के दिए गए काम को पूरा करते थे लेकिन प्रांशी कुछ नहीं करती थीl सर और मैम उसे बहुत डांटते थे लेकिन वह सारा दिन क्लास में बैठे-बैठे बेर खाती रहती थी और बेर का बीज क्लास रूम में ही फैला देती थीl
एक दिन उसके अध्यापक उसके घर गए और उसके माता-पिता से बताया कि प्रांशी रोज देर से स्कूल आती है और पढ़ाई भी पूरा नहीं करती और चुपचाप स्कूल में बैठी रहती है तब प्रांशी के माता-पिता ने बताया कि वह रोज घर से स्कूल समय से ही जाती हैl अध्यापक जी ने जब उसके सहपाठियों से पूछा तो पता चला कि वह रास्ते में रुक कर झरबेरी से बेर तोड़ने में लग जाती थी और अपने बैग में रख लेती थीl अध्यापक जी ने उसे बड़े ही प्यार से समझाया कि बेर से ज्यादा महत्वपूर्ण तुम्हारी पढ़ाई है और बेर के पेड़ के नीचे जहरीले सांप आदि हो सकते हैं जिससे तुम्हें खतरा है l
प्रांशी अध्यापक जी की बात मान गई और समय से स्कूल आने लगी और जो भी बच्चे झर बेरी के पेड़ के पास जाते और समय से स्कूल में नहीं आते उनको भी समझाती l
अब प्रांशी स्कूल की सबसे समझदार स्टूडेंट और लीडर बन गई है l