shashi kiran

Children Stories

4.3  

shashi kiran

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पनीर

पनीर

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"धत! आज ही फोटो खिंचनी थी ।दांत  कितना हिल रहा है .. सब बच्चे कितने बन ठन के आये हैं और मैं भी तो कितनी सुंदर चिमटी लगा के आयी हूँ । पर ये दाँत कितना हिल रहा है पूरा लटक गया ! हे भगवान ! फोटो खिंचने तक मेरे दांत को बचा लो, गिरने मत देना !"  भगवान से भोली सी बिनती कर गुंजन आश्वस्त हो गयी , अब तो दाँत बच जाएगा ।


सरकारी विद्यालय के कक्षा दो की छात्रा गुंजन का, पहला दूध का दाँत टूटने वाला था । बेचारी! उसका दाँत बिल्कुल किनारे पर लटक रहा था!


कक्षा की मैडम जी ने कहा,"सब बच्चे नहा कर, सुंदर-सुंदर बन कर आयेंगें और हँसते हुए फोटो खिंचवाएँगे , जो बच्चा हँसेगा नहीं उसकी फोटो अच्छी नहीं आएगी ।"


इतनी दुविधा में गुंजन कभी नहीं फंसी थी,अगर दांत टूट गया तो हँसेगी कैसे? हँसेगी नहीं तो फोटो अच्छा नहीं आएगा । फोटो ग्राफर को आने में देर थी । मध्यावकाश की घंटी बज गई ।


गुंजन ने बड़े एहतियात से अपना खाना शुरू किया , दांत कहीं टूट न जाये इस मारे खाना भी पूरा नहीं खाया , गुंजन चाहती थी कि उसकी हँसती हुई फोटो आये ,फिर वह सबको कहेगी "कि यह मेरी दूसरी कक्षा की फोटो है " तब मैं छह साल की थी ...सुखद स्मृतियों में खोई ही थी कि सभी बच्चे एक साथ ताली बजाने लगे ,,मैडम ने बताया कि फोटोग्राफर आ चुका है सभी बच्चे पंक्ति बना कर कक्षा के बाहर आ जाएं ।


गुंजन ने जीभ लगा अपने दांत को छुआ , दांत लटका हुआ था । गुंजन ने सब्र की साँस ली और आश्वस्त हो फोटो खिंचाने लगी। 


फोटो ग्राफर ने सभी बच्चों को उनकी लम्बाई के अनुसार पंक्तिबद्ध किया , गुंजन बीच की पँक्ति मे लगभग बीचोंबीच खड़ी थी ,आगे वाले बच्चों को घुटनों के बल बैठा दिया गया ।


कक्षा दो फोटो खिंचवाने के लिए तैयार थी, फोटोग्राफर ने जोर से बच्चों को 'पनीर' बोलने को कहा …बच्चों के पनीर कहते ही फ्लैश की रोशनी के साथ क्लिक की आवाज हुई ।


" फोटो खिंच गयी " धन्यवाद ! फोटोग्राफर बोला ।


चलो बच्चों पंक्ति में ही अपनी कक्षा में जाना । पंक्ति में चलते हुए गुंजन ने अपने दांत को जीभ से छुआ ! अरे !.....ये क्या दांत तो नहीं था , कब गिरा ? कहाँ गिरा ? क्या फोटो खिंचाने से पहले ही गिर गया था ! नहीं मैंने छुआ तो था ,फिर तो मैंने मुंह खोला ही नहीं ,,,कहाँ गिर गया ? 


"ओह्ह !पनीर कहते हुए …."गुंजन मुंह पर हाथ लगा कक्षा के पीछे बने नल को ओर भागी और रोने लगी…मेरे दाँत के गिरने के बाद मेरा फोटो खींचा होगा तो ...कितना बुरा लगेगा ..अच्छा नहीं लगेगा ...सब हँसेंगे..पर हँसते हुए तो पता ही नहीं चला कि दाँत है या नहीं , ददुआ का एक भी दाँत नहीं ,पर हँसते हैं तो कितने अच्छे लगते हैं ,,छोटे मुन्ना के भी दो ही दाँत हैं पर वो भी कितना अच्छा लगता है ,, 


मतलब ! दाँत के बिना भी हँस सकते हैं । गुंजन ने नल से मुँह धोया और कक्षा की ओर हँसती हुई भागी।


उसकी सहेलियों ने उसे देखा तो पूछा" गुंजन तुम्हारा दाँत कहाँ गया ? "


गुंजन हँसकर बोली"पनीर खाने"....! 



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