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Guman Baldwal

Others

3  

Guman Baldwal

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पंडित राजा

पंडित राजा

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पुराने समय की बात है। राजगढ़ गांव के राजा हरिश्चंद्र एक ऐसे राजा थे, जिनको हर कोई सम्मान की नज़र से देखता था, उनके सामने बड़ों -बड़ों के सिर झुक जाते थे, क्योंकि राजा हरिश्चंद्र ने अपने जीवन में बहुत से वीर कार्य किए थे ।जैसा शिकार वह कर सकते थे, वैसा कोई नहीं कर सकता था, जैसे तीरंदाजी वह करते थे, वैसे कोई नहीं कर सकता था, जितना शास्त्रों का ज्ञान उन्हें था शायद और किसी को नहीं था ।लेकिन अब राजा हरिश्चंद्र अपनी मौत के बेहद करीब थे, वह एक बीमारी से जूझ रहे थे उन्हें अपनी मौत पास में नज़र आ रही थी राजा हरिश्चंद्र कि कोई संतान न थी तो उनके बाद में गद्दी पर कौन बैठेगा? उसकी चिंता भी उन्हें बेहद सता रही थी, तो उन्होंने निश्चय किया कि वह गांव में से जितने भी बच्चे हैं उन सब को बुलाएंगे और उनका परीक्षण करेंगे जो भी उन्हें क़ाबिल लगेगा उसे ही अगला राजा बनाया जाएगा।


 राजा ने गांव के सभी बच्चों को लिवा लाने का आदेश दिया अगले दिन सारे गांव के बच्चे राजा के दरबार में आए राजा ने मंत्रियों को अपनी अंगुलि से इशारा किया और मंत्रियों ने तुरंत इशारा समझ लिया।

 एक मंत्री ने उन सभी बच्चों से कहा कि तुम सब से प्रश्न किए जाएंगे और जो भी उनका सटीक उत्तर देगा वही अगला राजा बनेगा ।

पहले मंत्री ने पूछा कि ऐसी क्या चीज है जो समझदारी से उपयोग करने पर सबको अपना बना सकती है पर उसका अगर उपयोग सही ना करें तो सब को पराया भी बना सकती है ?

सारे बच्चे एक दूसरे की तरफ देखने लगे तभी उनमें से एक पंडित का बेटा जिसका नाम ईश्वर था वह आगे आया उसने राजा को प्रणाम किया और उसने कहा राजा ऐसी चीज है- "शब्द।"

 दूसरा मंत्री खड़ा हुआ और उसने पूछा कि राजा को पहले अपने हित के बारे में सोचना चाहिए कि प्रजा के हित के बारे में ?

ईश्वर ने फिर एक बार जवाब दिया कि राजा को अपने से पहले हमेशा प्रजा को रखना चाहिए क्योंकि प्रजा ही राजा को राजा बनाती है ।

सभी लोग ईश्वर की चतुराई देखकर दंग रह गए तभी तीसरे मंत्री ने पूछा कि ऐसी क्या चीज़ है जो सदैव साथ रहने के बावजूद भी कभी हमारा साथ नहीं दे सकती, ईश्वर ने कहा -"परछाई" राजा ईश्वर से बहुत प्रसन्न हुए इतनी छोटी उम्र में भी उसका ज्ञान देखकर राजा ने उसी को अगला राजा बनाने का निर्णय किया।


 तभी उनके मुख्यमंत्री ने उन्हें सुझाव दिया कि यह तो एक पंडित का बेटा है यह सिर्फ शास्त्रों में जानता है अस्त्रों में नहीं यह क्या राज्य संभालेगा यह तो एक पंडित ही बनेगा अगर इसे राज्य सौंप दिया जाए तो इसमें से पंडिताई थोड़ी निकल जाएगी, रहेगा तो यह पंडित ही ।

राजा को मंत्री की बात सही लगी और उसने ईश्वर को राजा बनाने से मना कर दिया और यह राजा बनाने का निर्णय किसी और दिन देने का फैसला किया। ईश्वर को बड़ा दुख हुआ कि वह काबिल होने के बावजूद भी राजा नहीं बन पाया।

खैर इस बात को बहुत दिन बीत गए, राजा की अंतिम ख्वाहिश थी कि वह मरने से पहले एक बार शिकार जरूर खेलें उनकी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए उनके मंत्री और वह जंगल पहुंचे जंगल में कुछ देर शिकार खेलने के बाद जब वे विश्राम करने के लिए थोड़ी देर बैठे तो अचानक उनके सामने एक शेर आ गया, मंत्री सब अपनी जान बचा- बचा कर भागने लगे सब अपने घोड़ों पर बैठकर जाने लगे मंत्रियों ने सोचा कि राजा तो वैसे भी अब कुछ ही दिनों के मेहमान है, चाहे वह राज्य में मरे चाहे वह जंगल में ।ऐसा सोचकर वे सब चले गए अब शेर राजा के पास आने लगा तभी वहां अपने पिताजी के साथ रह रहे ईश्वर ने इस चीज़ को देख लिया वह भाग कर अपने घर में गया और चूल्हे मैं से एक जलती हुई लकड़ी उठाकर राजा की तरफ दौड़ा और राजा और शेर के बीच में आकर खड़ा हो गया उससे उसने जलती हुई लकड़ी से शेर को डराने की कोशिश की और शेर डर भी गया।


 उसकी तरकीब काम कर गई शेर वहां से चला गया। राजा यह सब देख कर बहुत भावुक हो गए उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्हें यह भी समझ आ गया कि उसमें ज्ञान के साथ-साथ साहस भी है और फिर राजा उसे अपने साथ राज्य में ले जाकर उसका राजतिलक कर उसे राजा की गद्दी पर बैठा कर उसे राजा घोषित कर देते हैं।


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