Bhawana Tomar

Children Stories

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Bhawana Tomar

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पिल्लू का प्यार

पिल्लू का प्यार

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मोनू गाँव के प्राथमिक विद्यालय की कक्षा तीन का छात्र है। उसकी मोटी- मोटी आँखें, दुबला शरीर और मीठी आवाज़ है।

बड़ा शरारती है और उसका बेस्ट फ्रेंड सोनू, वो भी शैतान। दोनों साथ- साथ उछलते कूदते समय से पहले स्कूल पहुँच

जाते और रोज दीवारों पर बनी पेंटिंग्स को निहारते रहते। एक दिन कक्षा में मैडम पढ़ा रही थी तभी किसी पिल्ले के ज़ोर से रोने की आवाज़ आई। मोनू बोला," सोनू ये पिल्ला क्यों रो रहा है, पता नहीं बेचारे को क्या हुआ है।"

सोनू बोला, "चुप हो जा मैडम पढ़ा रही हैं।"

" बेचारे को शायद किसी ने मारा होगा, पता नहीं कहाँ है, देखना चाहिए।" मोनू ने कहा।

सोनू बोला,"अबे मैडम मरेंगी।"

मोनू ने कहा,"नहीं मैं चुपके से भाग जाऊँगा।"

मैडम बोर्ड पर लिखती है और मोनू चुपचाप भागा और सोनू को भी खींच कर ले गया।

मोनू बोला", चल "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" वाली दीवार के पीछे देखते हैं।"

दोनों अपनी छोटी- छोटी, फ़टी एड़ियाँ उठा कर देखते हैं। एड़ियाँ तो फटनी ही थी अभी तक स्कूल से जूते जो नहीं मिले थे।

सोनू बोला "चल ए बी सी डी वाली दीवार के पीछे देखते हैं।" मोनू फुसफुसया, "यहाँ भी नहीं हैं, गेट खुला है चल बाहर देखते हैं।"

चुपके से बाहर निकलते है। मोनू चिल्लाया, "देख मंदिर के पास पानी की खोर में पिल्ला गिरा पड़ा है। जल्दी भाग नहीं तो पिल्ला डूब जाएगा।" सोनू बोला "देख बेचारा कैसे हाथ पैर मार रहा है, बस मुँह ही बचा है डूबने से।" मोनू झट से नन्हे हाथों से पिल्ले को पकड़ के बाहर निकालता है। सोनू ने कहा, "देख भाई कितना भीग गया, चल इसके भूरे बाल निचोड़ दे और इसकी सुंदर आँखो के आँसू भी पोंछ दे, फिर इसे धूप मे बिठा देंगे।"

इस दिन के बाद सोनू - मोनू की इस पिल्ले से दोस्ती हो गई और इसका नाम रखा 'पिल्लू'।

अगले दिन स्कूल में :- मोनू चहका, "सोनू देख पिल्लू स्कूल में आ गया! देख कैसे अपनी गुलाबी जीभ से मेरा हाथ चाट रहा है।"

सोनू बोला "क्या ये हमसे प्यार करता है ?" मोनू बोला, "पता नहीं पर देख छू के कितने मुलायम बाल हैं इसके, पूँछ भी हिला रहा है। चल अपने मिड-डे-मील से इसे भी खिलाएंगे।" फिर ये सिलसिला ऐसे ही चलने लगा।

एक रोज़ तेज़ बारिश हो कर रूकी थी और हल्की बूंदे पड़ रही थी। सोनू - मोनू साथ बैठे थे। मोनू बोला, "ये बूंदों से टीन कैसे बज रही है ना।"

सोनू ने कहा, "हाँ, पेड़ भी कितने हरे हो गए हैं। देख छूकर पत्तों को, कैसे पानी टपक रहा है, आह! मेरा हाथ ठंडा हो गया। पिल्लू पता नहीं कहाँ छुपा होगा बारिश में।"

मोनू चिल्लाया, "सोनू देख, इंद्रधनुष! "

सोनू सिर खुजा के बोला, "इसे कौन बनाता है? कौन इतने सुंदर रंग भरता है? "

मोनू बोला, "किसके पास इतना बड़ा ब्रुश् होगा? चल देखते हैं कि ये कहाँ से कहाँ तक बना है।"

सोनू गिड़गिड़ाया, "नहीं, माँ मारेगी, मैं नहीं जाऊंगा।"

" चल ना भाई, फ़िर सबको बताएंगे कि ये कितना बड़ा है और रास्ते में पिल्लू को भी ढूंढेंगे।" मोनू ने कहा।

दोनों चलते जाते हैं और देखते है कि एक टूटे मकान के कोने में एक गंदी बोरी पर पिल्लू सोया पड़ा था।

मोनू बोला, "ये तो ठीक-ठाक सो रहा है, चल अब इंद्रधनुष को देखे। दोनो चलते जाते है। मोनू- सोनू को देख पिल्लू भी अंगड़ाई लेकर पीछे-पीछे चल पड़ाl दोनों मुस्कुराते हैं। सोनू बोला, "हम तो थक गए पर ये खत्म ही नहीं हो रहा।" मोनू चीखा," हे भगवान!" सोनू ने पूछा" क्या हुआ?" मोनू बोला, "मुझे तो रास्ता भी याद नहीं, पता नहीं हम कहाँ आ गए?" सोनू रोने लगा। मोनू ने सोचा, " कोई दिख भी नहीं रहा, क्या करूँ, पिल्लू को आवाज़ लगा के देखता हूँ।" पिल्लू पिल्लू पूरी तेज़ आवाज़ में चिल्लाता है। पिल्लू को मोनू की आवाज़ सुनी और वह दौड़ता हुआ वहाँ पहुँच गया। उसके पैर कीचड़ में सने थे और वह जीभ निकाल कर ज़ोर ज़ोर से हाँफ रहा था। दोनो उसे पुचकार कर कहते हैं "हम रास्ता भूल गएl "पिल्लू बोल नहीं सकता तो क्या समझ तो सकता हैं ना। बस फिर क्या था पिल्लू आगे-आगे सोनू-मोनू पीछे-पीछे l कुछ दूर चलकर जाना पहचाना रास्ता दिखने लगाl सोनू चहका," ये तो हमारा स्कूल है।" सोनू मोनू ने पिल्लू को गले लगा लिया और पिल्लू भी पूंछ हिला कर उनके नन्हे हाथ- पैर चाटने लगाl मोनू बोला,"सोनू तूने पूछा था ना कि पिल्लू भी हमसे प्यार करता है क्या? देखा ना तूने ये भी हमसे प्यार करता है। इसने हमें बचा लिया।"

शिक्षा - कर भला हो भला।


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