"फटी जेब"

"फटी जेब"

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सुनील आज जब ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था ।उसकी पत्नी किरन घरेलू सामान की लिस्ट उसे सौंपते हुए बोली कि "शाम को ऑफिस से लौटते समय सामान ले आइएगा,क्योंकि आज शाम को शादी में जाना है समय से चला जाएगा।हाँ याद करके शादी के लिए साड़ी व कोई गिफ्ट भी लेते आइएगा जिससे दुबारा मार्केट न जाना पड़े।हालाँकि महीने का अंतिम सप्ताह चल रहा था और सुनील के पास महज़ दो हज़ार रुपये ही बचे हुए थे, पर यह बात उसने अपने पत्नी किरन को नही बताई थी, कि बेमतलब किरन परेशान होगी।सुनील ने सोचा चलो बारह तेरह सौ में सामान व शादी के लिए साड़ी साथ में कोई गिफ़्ट ले लूँगा और जो पैसा बचेगा उससे महीने में जो दो तीन दिन शेष है, काम चल जाएगा।पिछले माह में दीवाली पर कुछ ज़्यादा ही ख़र्च होने से बैलेंस बिगड़ गया था।इस माह सोच समझ कर ख़र्च कर रहा था कि पूरे माह कोई दिक्कत न होने पाए। 

सुनील अपने परिवार के साथ शहर में रहता था और एक कंपनी में काम करता था।वेतन अधिक नही था, पर किसी तरह काम चल रहा था।सुनील की पत्नी किरन बहुत ही सुलझी व सहयोगी प्रवृत्ति की थीं।मुहल्ले में सभी के साथ अच्छा व्यवहार था।

फ़िलहाल सुनील नाश्ता करके आलमारी से रुपए निकाले और जेब में रख कर ऑफिस के लिए चल दिया।शाम को लौटते समय परिचित राजेश किराने की दुकान से सामान लिया और पैसे देने के लिए जेब में हाथ डाला सुनील अवाक! रह गया जेब में पैसे ही नहीं थे।जेब फटी हुई थी, उसने सुबह जेब में पैसा रखते समय जल्दबाज़ी में ध्यान भी नही दिया था।फटी जेब होने के कारण रुपये कहीं गिर गए थे।इधर उधर देखा व पैंट के जेब को कई बार टटोलता रहा कि शायद रुपये जेब में मिल जाएं पर रुपये जेब में हों, तो मिलें। उसे परेशान देख दुकानदार ने पूछा "क्या हुआ सुनील भैया?"सुनील ने उसे फटी जेब से पैसे गिरने की बात बताई।"अरे! कोई बात नहीं आप सामान ले जाइए, अगली बार पैसे दीजिएगा।" किराने का सामान तो मिल गया पर पैसे गिर जाने के कारण साड़ी नही खरीद सका।सुनील सामान लेकर घर वापस लौटा।सुनील बहुत ही परेशान हो रहा था कि साड़ी कैसे आएगी और दो तीन दिन ख़र्च कैसे चलेगा, किरन के पास भी तो पैसे नहीं होंगे पिछले माह उसने अपने लिए एक अंगूठी ख़रीद ली थी।सामान रख कर किरन से एक गिलास पानी मांग कर पिया।किरन ने पूछा "साड़ी व गिफ्ट नहीं लाए क्या?" सुनील ने कहा बताता हूँ पांच मिनट आराम कर लेने दो। किरन ने कहा ठीक है आपके लिए चाय बना कर लाती हूँ और एक बहुत अच्छी बात बताती हूँ।किरन चाय बना कर लाई और सुनील को देते हुए कहा आज बहुत ख़ुश हूँ।आज मेरे हाथ से बहुत ही नेक काम हुआ है।वो भी ईश्वर के चलते।सुनील ने कहा चलो, पहले किरन की ही बात सुन लेते हैं, तब फटी जेब से रुपये गिरने की बात किरन को बताऊँगा।सुनील ने पूछा क्या हुआ बताओ, किरन ने बताया कि "सुबह जब आप ऑफिस चले गए कुछ देर बाद एक कबाड़ी खरीदने वाले की आवाज़ सुनकर मैं गेट खोल कर बाहर सड़क पर आई कि घर में जो कबाड़ रखा है, उसे बेच दूँ। लेकिन तब तक तो कबाड़ी वाला शायद दूर निकल गया था, ज्यों ही लौटने लगी, तो नीचे सड़क पर देखा कि कुछ रुपये गिरे हैं।पहले तो असमंजस में रही आस पास देखा तो कोई नही दिखाई पड़ रहा था कि किसी का हो।रुपये उठा लिए और अंदर ज्यों ही पहुंची थी, त्यों ही अपने घर पर काम करने वाली कमला दौड़ते हुए आई और रोकर कहने लगी मालकिन कुछ रुपये दे दो, मेरा बेटा साईकिल से पढ़ कर आ रहा था, कि किसी गाड़ी वाले ने उसे टक्कर मार दी बहुत चोट लगी है घर में पैसा भी नहीं है, अस्पताल लेकर जा रही हूँ।मेरे पास पैसे नहीं थे पर गिरा हुआ रुपया मेरे हाथ में अभी भी था।तुरंत ही मैनें सारे रुपये काम करने वाली कमला को दे दिए।"

मैनें ने मन ही मन ईश्वर को याद कर धन्यवाद दिया, कि शायद ईश्वर ने वह रुपये इसी लिए गिराए थे, किसी को मेरे हाथों सहयोग हो।आज मैं बहुत ख़ुश हूँ, कि मेरे हाथ से एक नेक कार्य हो गया।"किरन की बात सुनकर सुनील हैरान! था कि वह रुपये तो उसी के ही थे जो गेट के बाहर निकलते ही शायद गिर गए थे।जो किरन पा गई थी और वही रुपये किरन ने काम करने वाली कमला को दे दिया था।चलो बहुत ही अच्छा हुआ, यदि जेब फटी न रही होती तो शायद उसकी पत्नी के हाथ से यह नेक कार्य न हुआ होता भले ही वह साड़ी गिफ़्ट न ला सका पर उसके गिर चुके रुपये से एक नेक व सुंदर काम अनजाने में ही हो गया था।उसने प्रभु को व फटी जेब को बार बार धन्यवाद दिया।



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