नौटंकी
नौटंकी
आज तो बड़ा अच्छा मौसम है चलो बाहर बालकनी में जाकर बैठता हूं और थोड़ी हवा खाता हूं ",शेखर ने सोचा पहले वह किचन में गया अपने लिए कड़क चाय बनाई और बालकनी में कुर्सी पर बैठ कर पीने लगा।
करीब 30 मिनट बाद नीचे गली का नौटंकीबाज़ लड़का साइकिल से आया। उस लड़के का नाम गौरव था। शेखर ने उससे पूछा "और बताओ गौरव मम्मी और पापा ठीक है और तुम कैसे हो ?" गौरव ने शेखर की ओर देखा और जोर-जोर से रोने लगा।
शेखर घबरा गया उसने सोचा कि मैंने ऐसा क्या पूछ लिया जो यह इतनी जोर-जोर से रोने लगा। शेखर ने गौरव से पूछा "अरे ! तुम रो क्यों रहे हो?" गौरव ने शेखर की और थोड़ी देर तक देखा और फिर दोबारा जोर-जोर से रोने लगा। शेखर ने थोड़े ऊँचे स्वर में बोला "क्या हुआ गौरव, रो क्यों रहे हो?"
गौरव ने टूटी-टूटी आवाज़ में बोला " स्ट स्ट स्टमक म म में दर्द ",शेखर ने बोला "जाओ अपने मम्मी पापा के पास औ
र दवाई खा कर आओ।" गौरव ने कहा "कोई बात नहीं ....मैं हाजमोला खा लूंगा तो दर्द ठीक हो जाएगा" गौरव ने साइकिल मोड़ी और दुकान की ओर चल पड़ा। शेखर ने सोचा अगर उसका दर्द हाजमोला खाने से ठीक होता है तो अच्छा है।
5 मिनट बाद गौरव फिर से आया और बोला "देखो अंकल स्टमक में दर्द ठीक हो गया"," अच्छा चलो गुड" शेखर ने कहा। तभी गौरव जोर-जोर से फिर से रोने लग गया।
शेखर ने पूछा "अब क्या हुआ दोबारा पेट में दर्द ?" गौरव ने कहा" हां अंकल।" शेखर ने कहा "तू नहीं सुधरेगा, जा घर जा और दवाई खा ले, नौटंकी मत कर।"
गौरव बोला "अच्छा ठीक है अंकल ,जाता हूँ।"
कुछ देर बाद वो आया और बोला अंकल दवा कड़वी थी लेकिन अब मेरा पेट बिल्कुल ठीक है।"
शेखर ने कहा " तबियत को लेकर लापरवाह नहीं होते, आगे से ऐसा मत करना।"
गौरव ने बोला " जी अंकल, मैं समझ गया, ये सबक में नहीं भूलूंगा,थैंक यू।"