Vinita Singh Chauhan

Others

2  

Vinita Singh Chauhan

Others

मीठी यादें

मीठी यादें

2 mins
97


          

 तीन वर्ष हुए अब मालती तो रही नहीं बस उनके साथ बीते दिनों की यादें हैं, जिनके सहारे भानुप्रसाद जी रहे हैं। 

 शादी की सालगिरह पर गरीब बच्चों को मिठाई और खिलौने बांटकर घर की तरफ जा रहे पसीने से लथपथ चिलचिलाती धूप में भानु प्रसाद जी ने रुक कर इधर उधर नजर दौड़ाई सामने ही कैफे था, अंदर जाकर एसी में थोड़ी राहत मिली। पुराने गाने की धुन कानों में गूंज रही थी... दिल में मिठास घोल रही थी।

रमैया वस्तावैया, मैंने दिल तुझको दिया

मैंने दिल तुझको दिया...

हाँ रमैया वस्तावैया रमैया वस्तावैया

मैंने दिल तुझको दिया.....

     भानुप्रसाद जी की उंगलियां भी टेबल पर थिरकने लगीं... एक गिलास पानी पीकर बैरे को कॉफी और पनीर पकोड़े का आर्डर किया...

      तभी उनकी नजर एक जोड़े पर पड़ी दोनों बातें करते हंसते खिलखिलाते एक ही प्लेट में खाना खा रहे थे। भानुप्रसाद जी की यादें ताजा हो गईं... चालिस वर्ष पूर्व शादी के बाद पहली बार मालती के साथ कैफे गए ... सिर पर पल्लू , गांव की सीधी सादी, कम पढ़ी-लिखी मालती के सामने जब कांटे छूरी के साथ बड़े से डोसे की प्लेट सामने आई... तो सकुचाते हुए कभी मेरी तरफ तो कभी उस प्लेट को देखती... शायद इस प्रश्न के साथ इसे कैसे खाऊं ? तब भानु प्रसाद जी ने अपने हाथों से मालती को खिलाया तो शर्म से लाल हुआ चेहरा आज भी आंखों के सामने आ गया । 

     भानु प्रसाद जी सोचने लगे इन 40 वर्षों में कितना कुछ बदल गया है अब इन जोड़ों में वह बात नहीं दिखती, बैकग्राउंड में बड़ी मधुर आवाज में गीत बज रहा था 

    याद न जाए बीते दिनों की .......



Rate this content
Log in