माॅ॑ की सीख
माॅ॑ की सीख
ज्योति एक लेखिका थी कई वर्षों से अपने पति के साथ संघर्षमय जीवन जी रही थी बेटा आदित्य अपनी मां के संघर्ष के बारे में सब कुछ जानता था बचपन से वह देखता आ रहा था.... फिर भी सब कुछ जानते और समझते हुए भी अक्सर मां को अपने व्यवहार से दुखी कर देता था। तब भी वह उसे पुचकारती , दुलारती ,आखिर वह एक माॅ॑ थी.... ।
विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए भी ज्योति ने अपनी एक किताब छः महीनों में कम्प्यूटर पर स्वयं तैयार की । परंतु एक दिन आदित्य ने उसकी पूरी फाइल हटा दी। अपने सुनहरे सपनों के साथ साथ ज्योति स्वयं भी टूट गई उस दिन...
एक दिन आदित्य अपने एक्वेरियम से दो मछलियां फिश सेलर को वापस दे आया, जब माॅ॑ ने पूछा तुमने ऐसा क्यों किया ? बेटा तुम्हें तो यह दोनों मछलियां बहुत पसंद थी तुमने इनका नाम भी रखा था चुन्नू और मुन्नू फिर...
आदित्य ने कहा यह दोनों मछलियां अन्य कमजोर मछलियों को नुकसान पहुंचा रही थी इसलिए मैंने वापस कर दी ताकि एक ही प्रजाति की मछलियां एक साथ खुश रहेंगी और एक दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाएंगी .... क्योंकि उनकी जड़ें एक हैं ....
बेटा आदित्य तुम्हारी जड़े भी इसी परिवार से जुड़ीं है तो फिर...
इतना सुनते ही आदित्य को अपनी गलती का एहसास हो गया। ज्योति ने अपने बेटे की आँखों में पश्चाताप को महसूस किया उसकी आंखों में पश्चाताप के आंसू देखे और उसे गले लगाकर माफ़ कर दिया।
यह आदित्य के लिए माॅ॑ की ओर से मिलने वाली सबसे बड़ी सीख थी जो उसे जीवन भर के लिए मिली थी। इस घटना के बाद आदित्य ने फिर अपनी मां को कभी परेशान नहीं किया और उनका सहारा बनकर उनके साथ कदम से कदम मिलाकर सहयोग करता हुआ जीवन में आगे बढ़ता गया।