महिला दिवस
महिला दिवस
क्या आज महिला दिवस है? पर एक दिन ही क्यों हमारे लिए? और क्या आज का दिन भी हमारे लिए है? इस दिन भी हमने अपने लिए क्या किया? इतने सारे प्रश्नों को विचार करते हुए प्रेमा महिला दिवस 8 मार्च को, दिनभर टीवी, अखबार, रेडियो पर ढेरों बधाइयाँ एवं महिलाओं की एक दूसरे को बधाइयाँ सुन सुनकर पक गयी । उसके लिए तो आज का दिन भी बाकी दिनों जैसा ही था, उसका ही क्यूँ अधिकतर महिलाओं का दिन भी रोज़ जैसा ही था । पति, बच्चों व सास ससुर के लिए नाश्ता, खाने का इंतज़ाम करना, घर की साफ सफाई कपड़े धोना उन्हे व्यवस्थित रखना, बच्चों के स्कूल - कोचिंग जाने की तैयारी करना व परीक्षाओं की तैयारी करवाना दोपहर मे यह सोचकर, प्रेमा एक पल के लिए दुखी हो गयी लेकिन अगले ही पल जब उसके दोनों बच्चे जो की अपनी परीक्षा देने स्कूल गए थे भागते हुए आए –
“ मम्मी मेरा आज का पेपर बहुत अच्छा गया आपने जो पढ़ाया था वही आया ”
कहते हुए उसके गले लग गए, थोड़ी देर बाद सास-ससुर को कहते हुए सुना आज बहु ने बहुत अच्छा खाना बनाया था, ज़्यादा खा लिए चलो पार्क में टहल कर आते है । शाम को उसके पति का फोन आया और बोला –
“आज तो महिला दिवस है आज डिनर बाहर करते हैं“
इन्ही बातों में वे बहुत खुश हो गयी और अपने रोज़ के दिनों को सार्थक करते हुए, अपने परिवार वालों को खुश देखते हुए सोचने लगी की सही मायने में यही महिला दिवस है और आज ही क्यों रोज़ हमारा दिन है क्योंकि एक स्त्री ही परिवार की धुरी होती है।