मैं खुद को देखना चाहती हूं

मैं खुद को देखना चाहती हूं

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आँसू ज़रूर हैं मेरी आँखों में

पर ये खुशी के हैं, गम के न समझो।

रुक ज़रूर गयी हूँ मैं

पर मैं डर गई, यह बिलकुल न सोचो।

डरती नहीं मैं ज़िन्दगी से,

सिर्फ उसे समझने की देरी है।

हारा नहीं है मन मेरा,

सिर्फ खुद को संभालने की देरी है।

आँखें मूँद ली है मैंने

मैं खुद को देखना चाहती हूँ,

आँखों की नीली झील में नहीं

दिल के सागर में डूबना चाहती हूँ।

फिर जब पहचान लूंगी मैं खुद को,

आगे बढूंगी मैं अपनी राह पे।

वो राह जो आसमान से ऊंचा जाता है

खूबसूरत सितारों के बीच में।


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