मैं भी सेनानी
मैं भी सेनानी


कश्मीर की सुंदर वादियों में एक छोटे से विद्यालय में सोहन नाम का लड़का पढ़ता था। वो बहुत जिज्ञासु प्रवृत्ति का का बालक था। एक दिन उसने अपनी अध्यापिका से पूछा ये "15 अगस्त को क्या हो था हम इसे क्यूं मानते हैं?"
अध्यापिका मुस्कुराई और बोली, " 15अगस्त की स्वतंत्रता दिवस कहते हैं । आज के दिन हमें अंग्रेजो से आजादी मिली थी।"
सभी बच्चे एक टक हो कर सुन रहे थे तभी सोहन वापस बोला " आजादी क्या होती है?"
उसके मासूम सवाल पर अध्यापिका जी बोलीं " जब चिड़िया को पिंजरे से बाहर निकाल कर उसे अपनी जिंदगी जीने के लिए स्वतंत्र कर देते है ,तब उस चिड़िया को कैसा लगेगा?"
सारे बच्चे एक स्वर में बोले बहुत अच्छा लगेगा। तब अध्यापिका जी बोलीं "आपको पता है हमें आजादी दिलाने के लिए बहुत स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी।"
और आज भी हमारी देश के सैनिक बॉर्डर पर खड़े हो कर हमरी आजादी की रक्षा कर रहे हैं।।तभी एक जोरदार धमाका हुआ अध्यापिका ने सारे बच्चो को एक कोने में छिपा लिया। सभी की धड़कनें तेज हो गई थी कि अब क्या होगा।तभी विद्यालय कि रक्षा करने भारतीय सैनिक आ गए। उन्हें देखते ही सभी के चेहरों पर चमक आ गई।सैनिकों ने अपनी जान की परवाह किए बिना सारे लोगो को सुरक्षित बाहर निकाला । अब सोहन ने सोच लिया था कि उससे क्या बनना है।
उसने बहुत मेहनत की और आर्मी में कैप्टन बन गया।वह अपने विद्यालय में झंडारोहण करने गया तो उसकी अध्यापिका को नमन करत होए बोला "आपकी प्रेरणा से मैं भी अब सबकी आजादी कि रक्षा करता हूं। और एक दिन हम सब मिलकर अतांकवाद को जड़ से मिटा देंगे। "
जय हिन्द ।। जय भारत।