मैं भी इंसान हूँ
मैं भी इंसान हूँ
एक समय की बात है जब एक घर मेंं दो शिशु का जन्म हुआ एक थी लड़की और एक किन्नर। एक के आने की खुशी और दुसरी के आने का दुख एक माँ के लिए उसके सभी बच्चे एक समान होते है वो माँ भी अपने दोनो बच्चो को अपने पास रखना चाहती थी परंतु उसका परिवार उसके बच्चे किन्नर को मारना चाहता। बहुत कोशिश की उसे मारने की पर उस माँ ने अपनी सतांन की ढाल बन कर रक्षा की उसके पिता अपनी ही बेटी से हद़ से ज्यादा नफ़रत करते थे। कभी अपनी बेटी को गोद में नही लिया पर उसकी माँ ने उसे सबका प्यार दिया अपनी बच्ची का नाम उसने 'इश्वरी' रखा। वो जानती थी ये समाज उसकी बच्ची को कभी नही अपनाएगा इसलिए उसने इश्वरी को कभी दुनिया के सामने नही आने दिया जब इश्वरी बड़ी होने लगी तब वह सवाल भी करने लग गई। वह बाहर क्यों नही जा सकती? क्यों पापा मुझे प्यार नही करते? इन सभी सवालों का जवाब उसकी माँ के पास नही था और क्या बताती वो कि इस समाज में इश्वर को पुजा जाता है और जब उसका अवतार इस दुनिया में आए तो बस लिगं के अधार पर उसे अपनाया नही जाता। इश्वरी के सामने अब तक सच्चाई नही आई थी उसका बचपन बस घर की चार दिवारी मेंं बंद हो गया। ना वो कभी स्कूल गई ना कभी अपने दोस्त बनाए उसके लिए उसका पुरा संसार उसकी माँ थी। पर उसके पिता को यह सहन नही हुआ कि वो उसके घर में कैसै रह रही है कैसै हँस खेल रही है। उसने किन्नर मडंल को यह खबर दे दी। जब वह इश्वरी को लेने आए तब इश्वरी की माँ ने उन सबका अकेले सामना किया क्यों उसकी बच्ची उसके पास नही रह सकती? पर इसका जवाब नही दिया किसी ने "यह संसार की रीत है बस ये बोल कर ले जाने लगे" उसकी माँ ने फिर भी कोशिश की। पर यह सच जो अब तक बस घर में बंद था अब वह पुरे समाज के सामने आ गया किन्नर मडंल तो चले गए परंतु आए दिन इश्वरी और उसकी माँ को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता। लोगो की बातो को सहना पड़ता। आस पास के सभी लोगो ने इश्वरी के परिवार से सभी सबंध तोड़ लिए। आए दिन उनके घर पर हमले होने लगे धमकी दी जाने लगी कि इस किन्नर को किन्नर मंडल के पास छोड़ दो। फिर एक दिन इश्वरी घर में अकेली थी जैसे ही ये बात उनके पड़ोस को पता चली तो उन सभी ने मिल कर इश्वरी को मारने का सोचा। ३-४ लोग उसके घर में घुस गए इश्वरी जब उनके सामने आई तब उसने पुछा आखिर मेंरी गलती क्या है? उन लोगो ने जवाब दिया कि तू एक किन्नर है यही तेरी सबसे बड़ी गलती है। इश्वरी ने रोते रोते कहा कि जिस इश्वर ने लड़का, लड़की को बनाया है उसी इश्वर ने हमें बनाया हमारे अंदर भी खुन है पानी नही। हम भी इसांन है तो हमें जानवरों की तरह क्युँ देखा जाता है। मैं इस दुनिया में आई हुँ तो क्यों मुझे एक समान ज़िंदगी जीने का अधिकार नही है? बस लिगं के अधार पर मैं एक पापी हो गई। सभी लोग उसकी बातो को सुन रहे थे पर जवाब किसी के पास नही था। वह भी थक गई थी जवाब मांगते-मांगते। अंत में उसकी माँ और उसके पापा आ गए थे उसने सबके सामने कहा की नही जीनी उसे ऐसी ज़िंदगी जँहा उसे एक पापी की नज़रों से देखा जाए, जँहा उसके पापा उसे अपनी संतान ना मानते हो, जँहा उसकी माँ को पुरी ज़िंदगी बस अपनी बच्ची की रक्षा करनी हो, जँहा वो खुल कर सांस ना ले सके मुँझे माफ करना माँ मै तुझे छोड़ कर जा रही हुँ। इतना बोल कर इश्वरी ने अपने आप को जला लिया उसकी माँ उसे बचाने के लिए आगे गई पर उसे पकड़ लिया गया। इश्वरी तो नही रही पर वो अपने सवाल छोड़ गई। जिसका जवा़ब किसी के पास नही है।
