लघुकथा "वो"
लघुकथा "वो"
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याद नहीं कब मात्राएं और किताब पढ़ना सीखा था। बड़ी होशियार पढ़ाई में, और एकांत पसंद। ज़िंदगी में जो सबक बचपन से सीखते हैं बच्चे कि कपट का जवाब कपट से दिया जाता है पर उसने हमेशा कपट का जवाब प्रेम से दिया क्योंकि उसको पता ही नहीं था कपट होता क्या है? इसी कारण वह और बच्चों के लिए केवल एक मज़ाक बनाने वाला खिलौना ही रही।
आज जबकि वह एक बच्चे की मां है फिर भी वह कपट का जवाब नहीं दे पाती है पर उसे जीवन में कई सबक मिले कि जरूरी है जिंदगी में
छल भी कपट भी
झूठ भी सच भी
प्रेम भी ताकत भी।।
