STORYMIRROR

बबिता प्रजापति

Children Stories

3  

बबिता प्रजापति

Children Stories

मंगल का गांव

मंगल का गांव

1 min
124

बचपन के भावों में भरा मंगल,जब 30 साल बाद अपने गांव पहुंचता है तो देखता है, गांव में पगडंडियों की जगह पक्की सड़क बन गई है।अब खेती भी नये नए यंत्रों से होने लगी है।लोगों के मकान भी पक्के बन गए हैं।गांव में उगने वाली अधिकतर चीजें बाहर बेची जाने लगी हैं।"कैसे हो चाचा?"

मिठाई वाले हल्कू से मंगल ने कहा। अचरज से भरे हल्कू ने फीकी मुस्कान से कहा " अच्छा हूँ बेटा" । " 1किलो लड्डू दे दीजिए" " 500 रुपये किलो है बेटा" । मंगल सकपकाया क्योंकि जो चाचा बचपन मे मुफ्त में सब बच्चों को 1- 1 लड्डू देते थे वो आज मूल भाव से 200 रुपये बढ़ा कर बता रहे थे।मंगल चाचा के घर पहुंचा तो देखा कि घर बाहर अमरूद का पेड़ जिससे बच्चे अमरूद तोड़कर खाते थे वो कट चुका है वहां अब पक्का चबूतरा बना है।घर के अंदर प्रवेश किया तो पानी देने के बाद सब अपने अपने काम मे व्यस्त हो गए,उससे बात करने का भी किसी के पास समय नही। न वो स्नेह न आदर सिर्फ व्यापार और रुपयों की बातें सुनकर लौटते समय मंगल को बस यही ख्याल आया- " क्या ये मेरा बचपन वाला गांव था कभी ?"


Rate this content
Log in