Abhijeet Kumar

Children Stories

4.7  

Abhijeet Kumar

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लातों के भूत बातों से नहीं मानते

लातों के भूत बातों से नहीं मानते

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यह कहानी कोई आम कहानी की तरह नहीं है बल्कि एक आप बीती है। कई लोगों को अलौकिक दुनिया के बारे में यकीन दिलाना मुश्किल होता है और जब तक कोई घटना खुद के साथ न घटे यकीन ही नहीं होता।


बात कुछ ३५ साल पहले की है जब मैं १२वी में पढता था। पढाई में कुछ खास नहीं था और पढ़ने की कोई इच्छा भी नहीं थी। उन दिनों महज़ १० से १२ घंटे ही बिजली रहती थी और रात के वक़्त पढाई करना नामुमकिन सा था। बच्चे अक्सर सुबह ही पढ़ा करते थे। पर मुझे सुबह उठना भी गवारा न था। सुबह की सुकून की नींद भला कोई पढाई क लिए क्यों खोये। दिन बीतते गए और परीक्षाएं सर पर थी। मेरी पढाई इतनी भी नहीं थी की पास हो सकूँ। सो मैं अपने भविष्य के बारे में सोचते सोचते चिंतित मन के साथ सो गया।


अचानक से किसी ने मुझे ज़ोर का तमाचा मारा। अभी अँधेरा था सुबह नहीं हुई थी। क्या मैं सपना देख रहा था या किसी ने सच में मुझे तमाचा जड़ा था? इस सोच के साथ मेरी नींद खुल गयी। और क्युकी मेरी पढाई बाकि थी मैंने सोचा की अब पढ़ ही लेता हूँ अगर जग गया हूँ। इम्तेहान सर पर है। पर सच बात तो ये है की मुझे डर से पसीने छूट रहे थे। अकेला केरोसिन की लालटेन में पढाई करते वक़्त लगता की कोई पीछे खड़ा है। पर किसी तरह दर पर काबू पा कर मैंने पढाई की। जब दिन हुआ तो मैं सो रहा था। घर के लोग मेरे इम्तेहान को ले कार बहुत चिंतित थे की ये कैसे पास हो पायेगा।


मैंने अपनी ये आप बीती किसी से नहीं कही। अगली रात को एक तसल्ली क साथ सोया की आज कुछ तो पढाई की और ये विषय इतने जटिल भी नहीं थे जितना मैं उनको समझा करता था। अगली सुबह करीब ३:३० बजे फिर से किसी ने मुझे ज़ोर का तमाचा जडा। अब तो यह कोई सपना नहीं हो सकता था। डर क मारे मेरी हालत खराब थी। मुझे यह बात समझ नहीं आ रही थी की मैं अकेला सोता हूँ और वो भी मछरदानी के अंदर। फिर कोई कैसे मुझे थप्पड़ जड़ रहा है। जो भी हो अब नींद कुल चुकी थी और पढाई बाकि थी सो मैंने पढाई की और बाकि घर वालो क जागने से पहले सो गया।


अगले दिन भर मैं इस असमंजस में था की यह मेरे साथ क्या हो रहा था। अगर कोई मुझे चांटा मारता है तो वो जरूर अपने हाथ को मछरदानी में घुसाता होगा। आज रात को सोने के समय मैं एक रस्सी साथ ले कर सोूँगा और जब वो हाथ मुझे मारेगातो मैं उसे बाँध दूंगा।


अगली रात आ गई और मैंने जैसा सोचा था वैसा ही किया। रस्सी ले कर सो गया। अचानक से ३:३० बजे सुबह फिर से मुझे ज़ोर का तमाचा जडा गया। मैंने हाथ को पकड़ने की कोशिस की पर नाकाम रहा। आखिर रस्सी किसी भूत को कैसे बाँध सकती थी। पर मैं ये मैंने को बिलकुल भी तैयार नहीं था की भूत जैसी कोई चीज़ होती है। मैं अपने ही सोच को साबित करना चाहता था और इसे किसी की कारस्तानी मानता रहा। पर जब तमाचा खा ही लिया है तो पढ़ भी लू ,बेकार का क्यों पिटू।


मेरे यह तमाचा खाने और अहले सुबह पढ़ने का सिलसिला मेरी इम्तेहान तक जारी रहा। घर वाले अलग चिंता में थे की ये कैसे पास होगा।

देखते देखते मेरे सरे इम्तेहान खतम हो गए और आज मैंने सोचा की आज रात भर मैं जगा रहूंगा और इस रहस्य का पर्दाफाश करूँगा। मैंने चादर से खुद को ढक लिया और सिरहाने की तरफ पैर और पैर की तरफ सर रख कर इंतज़ार करने लगा। सुबह हो गयी। कोई हाथ नहीं आया। कोई चाटा नहीं पड़ा। अब मुझे इस से हमेशा के लिए छुटकारा मिल चुका था।


कुछ समय बीता और मेरा इम्तेहान का रिजल्ट आया। मुझे पुरे स्कूल में तीसरा स्थान आया था। सारे लोग हैरान थे चाहे वो घर क लोग हो या स्कूल के मास्टर जी और दोस्त लोग। सब मुझ से बिना पढ़े पास होने का मंत्र जानना चाहते थे। हार कर मैंने उन्हें अपनी आप बीती सुना डाली और पुरे गाँव में पढाई करवाने के लिए जगाने वाले का किस्सा फ़ैल गया। मैं हंसी का पात्र बन गया पर मेरे घर वाले बहुत खुश थे की किसी भूत ने मुझे पुरे इम्तेहान भर थप्पड़ जड़ कर जगाया और जिस की वजह से मैं पास हुआ । शायद इसी लिए कहा गया है लातो के भूत बातों से नहीं मानते।



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