STORYMIRROR

Abhijeet Kumar

Children Stories

3  

Abhijeet Kumar

Children Stories

छोटानागपुर के नागवंशी राजा

छोटानागपुर के नागवंशी राजा

2 mins
298


जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। राजा परीक्षित अभिमन्यु के पुत्र थे। जन्मेजय को जब यह पता चला कि पिता परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प के दंश से हुई, तो उन्होंने विश्‍व के सभी सर्पों को मारने के लिए नागदाह यज्ञ करवाया। उन यज्ञों की अग्नि में नागों को पटक दिया जाता था। यज्ञ से डरकर पुंडरिक नाग भागकर बनारस में शरण लेते हैं। 

पुण्डरीक(पुंडलिक) वंश की उत्पत्ति: पुण्डरीक(पांडुरंग) का मतलब हैं सफेद नाग! इतिहास कार इस वंश को सूर्यवंशी भी कहते हैं क्योंकि पुण्डरीक नाग ने प्रभु श्रीराम के जेष्ठ पुत्र कुशा के कुल में जन्म लिया था।

जब पुण्डरीक नाग बनारस पहुंचे, तो एक ब्राह्मण कन्या पार्वती से उनका विवाह होता है। पार्वती को संदेश होता है कि वह कुछ छुपा रहे हैं। वह जिद पकड़ती है कि उन्हें सब जानना है। फिर वह पत्नी को लेकर तीर्थ यात्रा पर निकले लेकिन उस वक्त वह गर्भवती थी। हारकर उन्हें आंधारी तालाब के किनारे सारा सच बताना पड़ा। सच बताने के बाद वह इसी तालाब में समा गये। उसी वक्त पार्वती ने एक बच्चे को जन्म दिया और उन्होंने भी देह त्याग दिया। 

बच्चे को अकेला देखकर पुण्डरिक नाग दोबारा बाहर आये और बच्चे की फण फैलाकर रक्षा करने लगे। उसी समय राजा मद्राय मुंडा के राजपुरोहित गुजर रहे थे। राजपुरोहित बच्चे को लेकर पहुंचे। उसी वक्त राजा के घर में एक बच्चा हुआ था उन्होंने अपने बच्चे का नाम मुकुट और पुंडरिक के बच्चे का नाम फणी मुकुट रखा क्योंकि नाग पुंडरिक उनकी फन फैलाकर रक्षा कर रहे थे। 

जब दोनों बच्चे बड़े हुए थे राजा चुनने की बारी आयी, दोनों की परीक्षा हुई। फणीमुकुट राय जो की नाग के पुत्र थे उन्हें योग्य पाया गया इस तरह नागवंश की स्थापना हुई। 


Note : This is a folklore so many versions of same story is available।



Rate this content
Log in