Devendra Singh

Others

4.7  

Devendra Singh

Others

कविता खरीदोगे

कविता खरीदोगे

2 mins
297



आर्थिक हालात अच्छे नहीं हैं, सब के सब आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। जब से लॉकडाउन हुआ है, सबसे बुरे हालात तो कवियों के हैं। मंच सजते नहीं काहे से कि सोशल डिस्टेंसिंग का मसला है और ऑनलाइन कवि सम्मेलनों, एकल कविता पाठों और मुशायरों में लिफाफा तो छोड़ो कोई फूटी कौड़ी देने को राजी नहीं है। कुल मिलाकर कविगण आज कल नरेगा में मिट्टी डालकर और फ्री वाला पांच किलो राशन लेकर काम चला रहे हैं, पूरे कवि समाज की ओर से इस काम के लिए फलाने को 250 ग्राम एक्स्ट्रा नमन हमेशा रहेगा। 

   अब लॉक डाउन खुला, तो हमारे दिमाग में भी एक जोरदार आइडिया आया है। सबका धंधा बिजिनेस चौपट हो चुका है, सबको अपने बिजिनेस का प्रचार-प्रसार करके खुद को पुनः स्थापित करना है। तो क्यों न प्रचार का नया रास्ता निकाला जाए। 

'शेरो शायरी और कविता से प्रचार'

उनका प्रचार भी होगा और अपन को भी दो पैसे मिल जाएंगे।

लेकिन कुछ कविगण इसे कविता का अपमान कहेंगे, कहने दो मुझे क्या....

कविता तो पहले भी बिकती रही है, कभी राजाओं के दरबार में कविता चंद सिक्कों के इनाम के एबज में राजाओं की झूठी बहादुरी की शान में कसीदे पढ़ती थी, तो कभी धन और पद के लालच में सत्ता की चाटुकारिता करती थी।

फिर मैं क्या बुरा कर रहा हूँ.... मैं तो खुलेआम कविता का व्यवसायीकरण कर रहा हूँ, क्या चोरी है इसमें....

मैं दुकान खोल ली है....

ऊपर बोर्ड लगाया है.....जिसमे लिखा है....


#कवि_देव_धक्कड़

हमारे यहाँ शादी, ब्याह, मुंडन, जन्मदिन, छठी, तिलक, विदाई, मेंहदी, गोदभराई, जन्म, मृत्यु सभी अवसरों के लिए सस्ते और टिकाऊ शेर, ग़ज़ल, भजन, कविता, गीत, चौपाई, दोहा, सोरठा, मुक्तक आदि रेडीमेड मिलते हैं, तथा आर्डर देने पर इच्छानुरूप तैयार भी किये जाते हैं। कृपया एक बार सेवा का मौका अवश्य दें।"

"देव का वादा, कम कीमत में असर सबसे ज्यादा"


....लोग आने भी लगे हैं........


Rate this content
Log in