Suresh Kothari

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कोरोना और मजदूरों का पलायन

कोरोना और मजदूरों का पलायन

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कोरोना वायरस के साथ इस जंग में , सरकारों व आम जनता के संघर्ष के बीच में , प्रवासी मजदूरों का पलायन , एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया है ! 


जिस तरह से हम , समाचार पत्रों में और टीवी चैनलों में , मजदूरों की स्थिति के बारे में देख सुन रहे हैं , उससे मन काफी व्यथित हो जाता है , और हमारा मन यह विचार करने को विवश हो जाता है कि , आखिर यह क्यों हुआ , कौन इसके लिए जिम्मेदार है , किसको इस का दोषी ठहराया जाना चाहिए , लेकिन साथियों खबर सुनते और विश्लेषण करते समय ,अपने विवेक का भी इस्तेमाल करें , और यह जरूर समझे कि कौन सी खबर , खबर है ,और कौन सी खबर , बनाई गई है !


जब 24 मार्च को राष्ट्र के नाम संदेश में , माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में यह स्पष्ट रूप से कहा कि *जो जहां है वहां रहे* लेकिन ऐसा हो नहीं पाया , और आज इसका यह परिणाम है कि , हमारे यहां संक्रमितो की संख्या एक लाख से ऊपर चली गई है !


अगर हम मजदूरों के इस पलायन का विश्लेषण करें तो इसमें एक साजिश नजर आती है , माननीय प्रधानमंत्री जी की , कोरोनावायरस से निपटने की इच्छाशक्ति और दृढ़ निश्चय के कारण , इसमें सफलता मिलने लगी थी , जिसकी विश्व की बहुत सारे देश भी तारीफ कर रहे थे , लेकिन इससे कुछ व्यक्ति , संस्थाएं और राजनैतिक दल व्यथित होकर , इस विमर्श को बदलने का प्रयास करने लगे ! 


मैं सिलसिलेवार ढंग से इन सारी घटनाओं की चर्चा करना चाहूंगा , 29 मार्च 2020 को दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन में प्रवासी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा हुई , यह भीड़ अपने आप नहीं आई , बल्कि पूर्व रात्रि में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा मजदूरों की बस्तियों में गाड़ियों द्वारा घूम घूम कर यह उद्घोषणा कि गई ,कि आनंद विहार से ट्रेन चलने वाली है ! 


14 अप्रैल 2020 को बांद्रा रेलवे स्टेशन में , घर जाने के लिए काफी मजदूरों की भीड़ इकट्ठा हुई , यहां पर एक व्यक्ति ने , अफवाहें फैला कर इन्हें एकत्रित करने का काम किया , जिससे बाद में गिरफ्तार भी कर लिया गया था !


हाल ही में 8 मई 2020 को औरंगाबाद जाते हुए रेल की पटरी पर कटकर 16 मजदूरों की मृत्यु हो गई , यह एक असाधारण , असंभव और बेहद दुखद घटना थी , क्यों कोई ट्रेन की पटरियों पर सोएगा , जबकि यह सर्वविदित था , कि माल गाड़ियां तो चल ही रही है और ये खुद भी यात्री गाड़ी पकड़ने ही जा रहे थे , इस घटना में किसी साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता यहां पर यह स्पष्ट करना प्रासंगिक ही होगा , कि उपरोक्त तीनों घटनाएं जहां घटी , वे राज्य गैर एनडीए राज्य है !


लेकिन अब यह प्रश्न उठता है कि , अगर यह साजिश है तो , प्रवासी मजदूर क्यों इनकी साजिश का हिस्सा बने , यह सभी अपने वर्तमान निवास में , पिछले कुछ महीनों या कुछ सालों से रह रहे थे , कार्य भी कर रहे थे और अपना जीवन यापन भी कर रहे थे , लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ , कि यह अपने घर जाने के लिए इतने उद्वेलित हो गए की , पैदल ही अपने घरों के लिए निकल गए , हमें इसे समझना होगा ! 


प्रवासी मजदूर बेहतर रोजगार के अवसर तलाशने के लिए अपने गृह निवास , गृह राज्य से बाहर किसी दूसरे राज्य में जाते है, ताकि वह बेहतर रोजगार के अवसर से , अपनी जिंदगी को भी बेहतर बना सके , और अपने सपने पूरे कर सकें और वह वहां शायद खुश भी था ! 

लेकिन लाक डाउन की घोषणा हुई ,और उसके बाद उनके नियोक्ता ने शायद उन्हें रखने से इंकार कर दिया ! 


यह भी हो सकता है कि नियोक्ता और संबंधित राज्य सरकारों ने अपना खर्च बचाने के लिए , उन्हें अपने घर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया , जिससे उनका काम तो छिना हि, कमाई भी बंद हो गई और उसके कारण वह खाने-पीने की वस्तुओं के लिए भी तरसने लगे ! 


*यहां पर गलती व्यवसाय जगत के व्यक्तियों की थी , जो कि उन मजदूरों के नियोक्ता थे , ऐसे कठिन समय में अगर ,उनको पूर्व की तरह ही रखकर , कम से कम उनके रहने व खाने-पीने का इंतजाम , जो कि उनके पास शायद पहले से भी था , उसे ही जारी रखते , चाहे उन्हें मजदूरी ना देते , लेकिन यह इंतजाम जरूर जारी रखना चाहिए था !* 


लेकिन शायद व्यवसायियो ने बड़ा दिल नहीं दिखाया , और उन्हें इस समय मजदूरों के पालक की , भूमिका का निर्वाह करना चाहिए था , लेकिन उन्होंने असंवेदनशीलता का परिचय देते हुए , उन्हें उनके हाल में छोड़ दिया, इससे यह मजदूर काफी निराश हो गए , उन्हें अपने भविष्य की चिंता सताने लगी , और यह अपने घर जाने के लिए उत्प्रेरित हो गए, और इसी का फायदा उन अफवाह उड़ाने वाले लोगों ने लिया शायद कुछ कुछ इसमें सफल भी हुए ! 


अब जब व्यापार और उद्योग शुरू हो गए हैं , तब जिन व्यापारियों और उद्योगपतियों ने ने अपने मजदूरों का इस कठिन समय में ख्याल रखा , वो अभी अपने उद्योग को बहुत अच्छी तरह से चला पा रहे हैं , लेकिन जिन लोगों ने अपने मजदूरों का साथ नहीं दिया , उन्हें अपने व्यवसाय को चलाने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है , और इससे शायद भविष्य में उन्हें उतना ज्यादा नुकसान हो जाए , जो कि उनके लिए मजदूरों को पालने में होने वाले खर्च से कई गुना ज्यादा हो ! 


इसमें थोड़ा सा दोष मजदूरों का भी है , ऐसा नहीं की उन्हें वहां पर किसी भी तरह की कोई सहायता नहीं मिल रही थी , सभी राज्य सरकारें चाहे वह किसी भी दल की हो , अपने राज्य और जिले में स्थित सभी मजदूरों को हर संभव सहायता उपलब्ध करवा रही थी ! 


हां यह ठीक है कि उनके हाथ में कोई काम नहीं था, लेकिन यहां आने पर भी उनकी स्थिति वही रहेगी ,अतः मेरा मानना है कि उन्होंने या तो गलत प्रचार से प्रेरित होकर या जल्दबाजी में यह निर्णय लिया है, जो कि व्यवसाय जगत और उनके खुद के लिए भी काफी घातक सिद्ध होगा ! 


साथियों अगर आप विश्व के अन्य देशों की , इस चुनौती को निपटने की स्थिति देखेंगे तो उन्हें केवल कोरोना वायरस से ही लड़ना पड़ा , हमारे यहां तो कोरोना के साथ साथ , कई दूसरी चुनौतियों से भी सरकार को सामना करना पड़ रहा है , कुछ चुनौतियां तो परिस्थिति जन्य है लेकिन कुछ चुनौतियां राजनैतिक है , इनका सरकार राजनीतिक तरीके से ही सामना कर रही है , लेकिन हम देशवासियों को पूरा विश्वास है कि सरकार इन सारी चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक करेगी और उससे विजय प्राप्त करेगी !


*अभी तो फिलहाल सभी सरकारों को यह करना चाहिए कि , अपने अपने राज्य की सीमाओं में आ चुके , सभी मजदूरों के लिए उचित व्यवस्था कर , उन्हें उनके गंतव्य स्थानों पर पहुंचने के लिए सहायता उपलब्ध कराएं ,जब तक सभी सरकारें यह नहीं करेंगी, इस तरह से पलायन चलता ही जाएगा , जिसका परिणाम हमें हमें हमारी जान से हाथ धो कर चुकाना पड़ सकता है , क्योंकि मजदूरों के पलायन से कोरोना के संक्रमण का फैलाव का खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ गया है !* 


साथियों सभी गतिविधियां शुरू होने के बाद खतरा कई गुना बढ़ गया है , अतः सभी को अत्यधिक सावधानी की जरूरत है ,मेरा यह अनुमान है कि 31 मई तक संक्रमित व्यक्तियों की संख्या , 200000 से ऊपर और 30 जून के बाद यह संख्या 500000 से ऊपर जा सकती है , यह आंकड़े काफी डरावने है, क्योंकि हमारा चिकित्सीय आधारभूत ढांचा इतना पर्याप्त नहीं है ! 


आने वाले समय में यह भी हो सकता है कि, सरकार भी गिनती गिनना छोड़ दें, और सभी को अपने हाल पर छोड़ दे , यह आपको तब पता चलेगा, जब आप महसूस करेंगे कि, हमारे शहर में मृत्यु दर अचानक से बहुत बढ़ गयी है, मतलब कोरोना के मरीजो कि बिना इलाज के मृत्यु हो रही हैं, क्योंकि सरकार की क्षमता की भी अपनी सीमाएं हैं , हमें अपने आपको बचाना है , हम अनावश्यक रूप से ना तो बाहर जाएं, ना ही अनावश्यक मेलजोल करे , अगर हम यह सब कर पाएंगे तो , हम सरकार की और स्वयं की बहुत बड़ी सहायता करेंगे !


सुरक्षित रहें ,स्वस्थ रहें ।



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