Prem Lata Anand

Others

4.8  

Prem Lata Anand

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ख्वाहिश

ख्वाहिश

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एक गरीब लड़का उम्र 10-12 साल का मैले कुचैले कपड़े फटे हुए बिखरे बाल, पैरों में टूटी चप्पल जिसे एक रस्सी से पैर के साथ बांधा है

कंधे पर बड़ा सा बोरा हाथ में पतली सी लंबी लकड़ी कूड़ा बीन रहा है। खुश है मस्त है।

कूड़े में से यदि फटी पुरानी cricket की बॉल मिलती है तो कूड़े में से लकड़ी ढूंढ कर उससे चौके छक्के लगाता है कभी फटी फुटबाल मिलती है तो फुटबाल खेलता है। कभी newspaper का कोई पन्ना मिलता है तो उसमें फोटो देख कर पढ़ने की कोशिश करता है ।

एक दिन उसकी नजर कूड़े में कुछ दूरी पर पड़े काले रंग के दो जूतों पर पड़ी। उसकी आंखों में चमक और उसकी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा। जूतों तक के चार कदम के फासले में वो कितना कुछ बोल गया ---अरे मिल ग ए अब बाबा के पैर में कभी कांच नहीं चुभेगा, मेरे बाबा के पैरों में भी जूते होंगे।

उसने झट से वो जूते उठाए जैसे ही उसने जूतों को पलटा उनका तला तो था ही नहीं। वह जोर से हंसा, निराश नहीं था क्योंकि उसे एहसास हुआ कि कोई भी नए जूते कूड़े में क्यों फेंकेगा। उसने जूते उठाकर बड़े प्यार से अपने साथ लगा लिए।

उसने कूड़े में से refind oil का डिब्बा उठाया और घर चला गया। घर जा कर उसने उस डिब्बे में से जूतों के नाप के दो तले काटे और उन जूतों के नीचे चिपका दिए। बाबा के घर आने पर उन्हें खुशी से देता है और बाबा की आंखों में चमक और चेहरे की खुशी देखने लायक थी। उन्होंने बच्चे को इतने प्यार से अपने गले लगाया जैसे उसने उन्हें कोई खजाना दे दिया हो ।


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