ख्वाबों का सफर
ख्वाबों का सफर
1 min
125
सिर पर कली चुनरी, हाथ में छोटा सा बैग और ज़हन में हजारों सवाल लिए असमा सहमे क़दमों से अनजाने रास्तों पर आगे तो बड़ रही थी पर ज़हन में वही शादी वाला घर, अम्मी अब्बू का चहरा और वो बारात ठहरी हुई थी जिसे छोड़ कर वो खुद की तलाश में उन सब को पीछे छोड़ कर बहुत दूर आ चुकी थी
