हरि शंकर गोयल

Children Stories Inspirational

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हरि शंकर गोयल

Children Stories Inspirational

जिसकी लाठी उसकी भैंस

जिसकी लाठी उसकी भैंस

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सारी भैंसें बहुत दुखी थी । भगवान बुद्ध कहकर गये हैं कि इस संसार में सर्वत्र दुख व्याप्त है । और जब दुख व्याप्त है तो इस दुख का कारण भी है । जब सबके दुखों का कारण मौजूद हैं तो भैंसों के दुख का कारण भी मौजूद है । अब एक कारण होता तो वे सब्र भी कर लेतीं , मगर बहुत सारे कारण हों तो सब्र करना जरा कठिन होता है । वैसे भगवान ने "मादाओं" में सब्र खूब कूट कूट के भरा है । औरतों को ही देख लो । सब्र की मिसाल हैं वे । लेकिन भैंसों की बात अलग है । आखिर वे सब्र करें तो कैसे करें ? क्यों करें ? सब्र करने के लिए भगवान ने आखिर दिया क्या है उन्हें ?  

इस गंभीर विषय पर विमर्श करने हेतु सारी भैंसे एक तालाब के किनारे एकत्रित हो गई । वैसे भैंस कभी एकत्रित होती नहीं हैं मगर पानी से उन्हें विशेष लगाव है । पानी देखते ही वे उन्मत्त हो जाती हैं और "रस्सी" तुड़ाकर / छुड़ाकर पानी में घुस जाती हैं । जब एक बार भैंस पानी में घुस जाती है तब उनको पानी से भगवान भी बाहर नहीं निकाल सकते हैं । इंसानों की तो औकात ही क्या है ? भैंस का अगर कुछ लगाव होता है तो वह केवल पानी से ही होता है ।

पानी के लोभ से सभी भैंस तालाब के किनारे किनारे आ गई । तालाब के चारों ओर भैंसे खड़े कर दिये गये जिससे भैंसें पानी देखकर उसमें उतर नहीं जायें । लालच बुरी बलाय होती है और पानी का लालच बहुत तगड़ा होता है भैंसों के लिये । इसलिए भैंसों को किनारे पर खड़ा कर दिया गया । 

जब सब भैंस एकत्रित हो गई तो सबसे ज्यादा काली भैंस जो उनकी लीडर थी , ने कहा " मेरी प्यारी प्यारी काली काली भैंसों । यह बड़ा दुख का विषय है कि भगवान ने हमारे साथ बिल्कुल भी न्याय नहीं किया है । एक तो सूरत इतनी काली बना दी है कि इस पर हम कितना ही मेकअप कर लें , कुछ भी फर्क नहीं पड़ता । बल्कि मेकअप भी खुद काला हो जाता है । पहले तो हमें लगता था कि साबुन रगड़ने से यह काला रंग उतर जायेगा । हमने एक से बढ़कर एक ब्रांड अपनाये । लक्स , पीयर्स , ओयसिस वगैरह सब । मगर मजाल है कि हमारी काली त्वचा पर कुछ असर पड़ा हो ? 

फिर हमने "फेयर एंड लवली" क्रीम अपनायी । उसका तो दावा है कि वह काले को गोरा बना देती है और वह भी सिर्फ एक हफ्ते में । मगर हम तो सालों साल लगाने के बाद भी ऐसी की ऐसी ही रहीं । "फेयर एंड लवली" पर हम लोगों ने कितना पैसा फूंक दिया इसका कोई हिसाब भी नहीं है । लेकिन हमारे इस काले रंग पर कोई कोई असर नहीं हुआ । ढ़ीठ नेताओं की तरह बेशर्मी से मुंह चिढ़ाता रहता है यह काला रंग । 

चलो मान लिया कि रंग काला दे दिया । भगवान ने हमें यह कहकर बहला भी दिया कि उनका रंग भी तो "श्याम" है जो काले रंग का ही छोटा भाई है । इसलिए दोनों का "कुल" एक ही है । सयाने कहते हैं कि एक ही परिवार के लोग आपस में शिकायत नहीं करते । इसलिए हमने भी भगवान की बात मान ली और सब्र कर लिया । लेकिन भगवान ने हमारे साथ बड़ा पक्षपात किया है । एक तो रंग काला दिया और अकल बिल्कुल भी नहीं दी । यह भी कोई बात हुई भला ? कम से कम एक चीज तो देनी चाहिए थी उन्हें । वो गाय को देखो । रंग भी सफेद और अकल की मालकिन भी है वो । इसलिए तो उसे सब लोग पूजते हैं । और हमें सब लोग डंडे से हांकते हैं । अब आप ही बताइये कि गुस्सा आयेगा या नहीं ?  

भगवान ने बस इतना ही अन्याय नहीं किया हमारे साथ । इससे भी ज्यादा अन्याय यह किया कि हमको जो ये सींग दिये हैं ये केवल दिखाने के लिये दिये हैं । इनको काम में लेने की हिम्मत तक नहीं दी हम में । अब हम इन सींगों का करें भी तो क्या करें ? इतनी कमजोर बना दिया है हमको कि हमें हर कोई हांक ले जाता है । और उस पर सितम ये कि हमारी कोई "वैल्यू" ही नहीं है । हमको संपत्ति की तरह "ट्रीट" किया जाता है । जिस तरह संपत्ति पर किसी का मालिकाना हक होता है उसी तरह हम पर भी किसी न किसी का मालिकाना हक होता है । यह मालिकाना हक भी "लाठी" से तय होता है । "जिसकी लाठी उसकी भैंस" । यह भी कोई बात हुई भला ? हमारी मर्जी का कोई मतलब नहीं ? हमारी वैल्यू बस एक लाठी से ही तय होती है ? जिसके हाथ में ज्यादा बड़ी लाठी हमारा मालिक वही ? घोर नाइंसाफी है ये । 

हद तो तब हो गई जब हमारी तुलना अक्षरों से कर दी । "काला अक्षर भैंस बराबर" । कहाँ एक छोटा सा अक्षर और कहां हम विशाल काया वाली भैंस । मगर दोनों को एक ही तराजू में तोल दिया । उस पर तुर्रा यह है कि हमको "कला विरोधी" भी घोषित कर दिया । आदमी यह कहता फिरता है कि "भैंस के आगे बीन बजाने से क्या फायदा" ? तो हमने कब कहा कि तुम हमारे आगे बीन बजाओ ? जाओ , काले नाग के सामने बीन बजाओ जो एक झटके में ही डस लेता है आदमी को । और यह आदमी इतना दुष्ट है कि अपनी आस्तीन में ऐसे ही काले नागों को पालता है । हमारा दूध निकाल कर उन सांपों को पिलाता है जो इसको डसते हैं । हमारे पास तो जहर तक नहीं है वरना हम भी बता देती इंसानों को कि हमारी औकात क्या है ? 

आदमी ने हमको बहुत हलके में ले लिया है । कहता है कि भैंस के आगे रोने से क्या फायदा ? भैंस के आगे रोने से कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि आंखें ही खराब होंगी । बड़ा नमकहराम है यह इंसान । हम इसको दूध , दही , घी , छाछ , मावा , पनीर सब देती हैं मगर ये हमारी ही तौहीन करता है और सबको एक ही लाठी से हांकता भी है । यह तो जुल्म की इंतेहा है । अब और नहीं सह सकते हैं हम भी ये जुल्म । चलो सब मिलकर भगवान के पास चलती हैं । भगवान से ही प्रार्थना करेंगी । 

वह भैंस कुछ और कहती कि इतने में एक आदमी आया । उसके हाथ में एक लाठी थी । बस, सारी भैंसें उस लाठी को देखकर बिना कुछ कहे ही उसके साथ साथ चल दीं । हकीकत यही है । लाठी का जमाना है । सौ बातों कि एक बात यही है कि जिसके हाथ में लाठी होगी , भैंस भी उसी की होगी । 


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