जीवन - मृत्यु और कोरोना... I
जीवन - मृत्यु और कोरोना... I


11 दिसंबर से पहले तक जीवन के मायने वही जस के तस थे, जो सदियों से गरीब और अमीर के बीच एक खाई बन कर साल दर साल उभरते रह हैं I शेयर बाजार के उतार चढ़ाव का आम इंसान के जीवन से कोई लेना - देना नहीं और ना ही मुकेश अम्बानी के नंबर एक या दो के पायदान पर रहने का ताल्लुक है I
लेकिन ! ऐसा क्या हुआ की 11 दिसंबर के बाद जीवन और मृत्यु को समझने की परिभाषा ही बदल गई I वो क्या है ? -- जो इंसान को इंसान से दूर भी करती है और करीब भी लाती है I दौलत तो बिल्कुल भी नहीं I जी हाँ "डर" है कुछ खोने का .. मगर क्या खोने का डर सता रहा है लोगों को ? ऐसा क्या है ? -- जो सबको प्यारा है I
"COVID -19 - Corona Virus " -- ही उस डर का नाम है जिसने पूरी दुनियां को अपनी चपेट में ले लिया है और कईं सरकारें तो इसके सामने बेबस नज़र आ रही हैं I कल तक जो खुद को परमाणु हथियारों के बादशाह कह कर छाती पीटते नहीं थकते थे, वो देश आज इसके समक्ष बोने हो गए I
मेडिकल साइंस ने तो इसके सामने घुटने तक टेक दिए हैं I कईं देशों में तो लाशों को उठाने वाले दिल भी दहल गए और ये तबाही इतनी क्रूर है कि जिसने अमीर और गरीब कि खाई को भी पहचानने से इंकार कर दिया I आंसुओं की कोई सुनवाई इस महामारी कि अदालत में नहीं सुनी जा रही Iये वायरस आदमी को ताश के पत्तों की तरह गिराता जा रहा है I जिसने भी Corona virus को चुनौती दी, वह अपनी सांसों के लिए भीख मांगने के लिए ज़िंदा नहीं रहा I
तो क्या हम इसके सामने हार मान लें ? शायद नहीं ! अब हमारा एक ही कर्तव्य है कि हम अपने मन रुपी उस घोड़े की लगाम को अपने सयम के हाथ में दें, ताकि ये जीवन फिर से खुशाल बन सके I सभी इस डर से मुक्ति पार कर स्वास्थ्य जीवन जीएं I
अब ये बात तो सभी को अच्छे से समझ आ गई है की डर के आगे जीत नहीं ''' जो कोल्ड ड्रिंक्स कंपनी की इश्तेहार में दिखता है ..I " असल लाइफ मैं डर का मतलब डर ही होता है " -- वो डर या तो कुछ खोने का हो ... य सब कुछ मिट जाने का I सब कुछ भी तहस नहस हो जाए, लेकिन ! जीवित रहने पर हम फिर भी संतोष कर सकते हैं I
अगर जान ही न रही तो इस दौलत और अचल संपत्ति के क्या मायने ? ये सच्चाई अब लोगों को मालूम चल ही गई I मगर कैसे ? क्या कोई जादू हो गया ? या फिर आदमी सुधर गया ? जैसे उसे कोई आत्मज्ञान की प्राप्ति हो गई हो ! शायद ऐसा बिल्कुल भी नहीं है I तो फिर ऐसी कौन सी बूटी है जो इस लालची इंसान को कुछ तो जीवन का ज्ञान हुआ
अब इस बात को ऐसे समझते है -- मेरा एक पालतू कुत्ता है " मैक्स" .. बहुत शानदार " जर्मन शेफर्ड " नस्ल का है I शरीर में बड़ा और ताकतवर, जैसा की अक्सर होता है I जब उसको घुमाने लेकर जाते है तो गले में मोटी जंजीर और एक खूबसूरत और महंगा पट्टा डला होता है I
मैं ये सोच कर उसे घुमाता हूँ की में उसका मालिक हूँ और वो मेरी हर बात मानेगा I मैं जहाँ उसे बोलूंगा वो जायेगा और जब बोलूंगा वो इशारा समझ कर रूक जाएगा I परन्तु ऐसा हरगिज़ नहीं ह
ोता I उल्टा जहाँ - जहाँ वो जाता है और रुकता है, मुझे रुकना पड़ता है I असल में इस वक़्त वो एक मालिक की तरह व्यवहार करता है !
“ जीवन का आनंद और मृत्यु का भय कुछ ऐसे ही हैं “ - जब आप अपनी मर्ज़ी से जीते हैं, तो मनमाना व्यवहार करते हैं I अगर आप के पास ताकत और दौलत है तो आप खुद को मालिक समझते है I
गरीब की बात और हालात को समझना आप समय की बर्बादी जान कर अपनी ज़िम्मेदारी से मुँह मोड़ लेते हैं I और आपके इस व्यवहार का आपको अभी किसी भी तरह से कोई मूल्य नहीं चुकाना पड़ता, क्योंकि आप तो मालिक है I
किन्तु ! जब ज़िन्दगी में कोई मुश्किल समय या किसी बीमारी से मृत्यु कि आशंका आ जाये तो हम ईश्वर के समक्ष इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करते हैं I जीवन भर का जोड़ा हुआ धन भी आपको अब जीवन से प्यारा नहीं लगता और उस खुशी के पल के लिए आप जीवन भर कि कमाई को भी देना पड़े तो आप संकोच नहीं करेंगे I
सही सोच रहें है आप ! कोरोना वायरस के भय से पूरी दुनियाँ और हमारे आस - पास एक अजीब सा माहौल बन गया हैं, जिसे मृत्यु का भयानक सपना भी कह सकते हैं ! क्योंकि, इंसान ने ये कभी नहीं सोचा था की उसे इतनी जल्दी अपने ही किये कृत्य पर घुटने टेकने पड़ेंगे I
आज हम सभी जीवन के उस राह पर खड़े है, जहाँ से सिर्फ जीवन कि रक्षा ही पहला कर्तव्य बन गया है I क्योंकि आदमी एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए उसे समाज कभी चिंता करनी चाहिए I और जो लोग दौलत से सम्पन हैं, उन्हें ज़रुरतमंदों कि मदद में आगे आकर अपने जीवन और सामर्थ्य को सार्थक करना चाहिए I
तो क्या यही वो डर है ? सच में मृत्यु का डर है ? क्या यही जीवन का एक कटु सत्य है ? लेकिन I मानव जीवन का स्वभाव है कि वह हमेशा से ही आशावादी रहा है I इसी कि बदौलत हम ये आयाम हासिल कर पाए हैं I
जीवन की सच्चाई को कभी न भूलें I चूँकि, जीवन जीना एक अलग बात है और दूसरों के लिए जीवन जीना अपने आप में एक सार्थक मार्ग कि और लेकर जाता है I जीवन और लोग दोनों ही महत्वपूर्ण है, फिर चाहे वो अमीर हो या गरीब
ज़िन्दगी और मृत्यु के मायने ... जीवन संघर्ध का नाम है और इन्ही चुनौतिओं को पार करके ही मनुष्य जीवन इस आयाम तक पहुंचा है I हाँ, बेशक इंसान ने पर्यावरण और जीव जन्तुंओं का तालमेल बिगाड़ दिया है I जिसका खामियाजा आज उसे भुगतना ही पड़ेगा I
परन्तु, अपनी गलतियों से इंसान जितनी जल्दी सीख ले उतना ही बेहतर है उसके और मानव जाति के लिए I शायद अब समय आ गे है कि हम सब एक प्रण करें कि अपने चरों तरफ फैले वातवरण में संतुलन बनाये रखें I वर्ना सदियों तक इस गलती का परिणाम भुगतना पड़ेगा I
और जो ये आसमानी तरक्की पाकर हम सब इतने खुश होते हैं I “ प्रकृति अपना चक्र चलना अच्छे से जानती है ‘ - और जो ये आसमानी तरक्की पाकर हम सब इतने खुश होते हैं I “ प्रकृति अपना चक्र चलना अच्छे से जानती है ‘ - ये कोरोना वायरस इसी का परिणाम है ” I