Vimla Jain

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झीलों की नगरी उदयपुर

झीलों की नगरी उदयपुर

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आज सारी दोस्त लोग इकट्ठे हुए हैं और सब यह चर्चा कर रहे हैं कि हम कहां घूमने जाएं तभी उनमें से विम्मी बोलती है चलो ना इस बार मैं तुमको अपने शहर उदयपुर घुमा के लाती हूं

क्या तुम सब तैयार हो उदयपुर घूमने के लिए तो बताओ सब एक सुर में बोलती है हां चलेंगे चलेंगे पहले तो हमको उदयपुर के बारे में कुछ बताओ तो सही कुछ उसकी सुंदरता के बारे में कुछ उसके इतिहास के बारे में फिर सोच कर अपना चलने का प्लान बनाएंगे विम्मी उनको बोलती है क्यों नहीं चलो मैं बताती हूं तुम सब ध्यान से सुनना मेरा उदयपुरः


 घाटियों के बीच बसे हुए शहर मेरा उदयपुर जिसे वेनिस ऑफ द ईस्ट’’ नाम दिया गया है इस शहर को।

झीलों की नगरी उदयपुर अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। 

प्रसिद्ध लेक पैलेस पिछौला झील के मध्य में स्थित है जो कि उदयपुर के सबसे सुंदर स्थलों में से एक है।

इसकी खूबसूरती दुनिया भर में मशहूर है। इस शहर की स्थापना 1553 ई. में महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने की थी, जिसे मेवाड़ राज्य की राजधानी घोषित किया गया था।

यह नागदा के दक्षिण पश्चिम की घुमावदार पहाड़ियों और गिर्वा घाटी में स्थित है। नीली झीलों, अरावली की पहाड़ियों और हरे भरे जंगलों से घिरा उदयपुर शहर एक वैभवपूर्ण पर्यटन स्थल है। 

यहाँ पिछोला झील के बीच, सीप में मोती की तरह नज़र आता है - लेक पैलेस, जो यहाँ के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है।

एशिया की दूसरी सबसे बड़ी, मानव निर्मित मीठे पानी की जयसमंद झील भी उदयपुर ज़िले में है। 

वैभवशाली सिटी पैलेस और सज्जनगढ़ पैलेस स्थापत्य कला के बेहतरीन नमूने हैं। उदयपुर में संगमरमर और जस्ते की भी खानें हैं।


उदयपुर में आने और तलाशने के लिए 


उदयपुर पधारें और यहाँ के आकर्षणों में खो जाएं। राजस्थान में हमेशा कुछ नया देखने को मिलता है।


उदयपुर सिटी पैलेस पिछोला झील के तट पर स्थित सिटी पैलेस की भव्य इमारत अपने संरक्षण और उत्तम रख रखाव के कारण आकर्षक है। इसमें चार प्रमुख महल हैं तथा कई छोटे-छोटे महल हैं, जो कि शाही परिवार का निवास हुआ करते थे। अब इसके मुख्य भाग को संग्रहालय के रूप में संरक्षित कर, पर्यटकों को देखने के लिए रखा गया है। इसमें अनेक प्राचीन कलाकृतियाँ, पेन्टिंग्स, अस्त्र - शस्त्र, ज़िरह - बख्तर, तलवारें, भाले, पोशाकें आदि रखे गए हैं।


लेक पैलेस पाँच सितारा होटल के रूप में, पिछोला झील के बीचों बीच यह जग निवास पैलेस, अब लेक पैलेस होटल के नाम से प्रचलित है। यह महल एक द्वीप पर बना है तथा यहाँ तक पहुँचने के लिए नाव से जाना पड़ता है। इसे महाराजा जगतसिंह द्वितीय ने सन् 1746 में अपने आराम करने के लिए बनवाया था। ग्रीष्म कालीन महल के रूप में यह लेक पैलेस ’जग निवास’ कहलाता था। इसके बाहर की तरफ, शानदार बरामदे, रंग बिरंगी लाइटों से सजा उद्यान तथा फव्वारे, इसकी शोभा को चार चाँद लगाते हैं।


जग मन्दिर एक अन्य द्वीप पर बना जग मंदिर भी पिछोला झील के बीच में ही स्थित है। इसका निर्माण 1620 में शुरू हुआ और 1652 के आस पास पूरा हुआ। गर्मियों की आरामगाह के रूप में उत्सवों की मेजबानी करने के लिए शाही परिवार द्वारा महल का उपयोग किया जाता था। शाहजहां (शहज़ादा ख़ुर्रम) अपने पिता सम्राट जहांगीर के ख़िलाफ विद्रोह करते हुए यहां आश्रय लिया था। ऐसा कहा जाता है कि इस महल से प्रेरित एवं प्रभावित होने के फलस्वरूप ही सम्राट शाहजहां ने आगे चलकर ताजमहल का निर्माण किया जो विश्व के सबसे शानदार महल के रूप में जाना जाता है।


मानसून पैलेस ‘सज्जनगढ़’ अब मॉनसून पैलेस के नाम से भी प्रसिद्ध है। एक ऊँची पहाड़ी पर बने इस महल को महाराणा सज्जन सिंह ने अपनी शिकारगाह के रूप में बनवाया था। 19वीं शताब्दी में बने इस महल को एक खगोलीय केन्द्र के रूप में बनवाया गया था। परन्तु महाराणा सज्जन सिंह की अकस्मात मृत्यु के कारण यह योजना सफल न हो पाई। अब यह एक प्रसिद्ध सन-सैट पॉइंट है।


आयड़ संग्रहालय इस संग्रहालय में मिट्टी के बर्तनों का एक छोटा, लेकिन दुर्लभ संग्रह हैं। जिनमें से कुछ 1700 ईसा पूर्व के हैं। पुरातात्विक खोजों से प्राप्त प्रतिमाएं भी यहाँ देखी जा सकती हैं। यहां का विशेष आकर्षण बुद्ध की 10वीं शताब्दी की धातु प्रतिमा है।


जगदीश मंदिर उदयपुर और उसके आस पास के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक जगदीश मंदिर। 1651 में इंडो-आर्यन् शैली में बना हुआ स्थापत्य कला का एक अच्छा उदाहरण है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका स्थापत्य, नक़्काशीदार खंभे, सुदर छत और चित्रित दीवारें एक सुंदर संरचना का निर्माण करते हैं। यह महाराणा जगत सिंह द्वारा तीन मंज़िला मंदिर के रूप में बनवाया गया था।


फ़तेह सागर झील पिछोला के उत्तर में, पहाड़ों और वन संपदा के किनारे स्थित यह रमणीय झील, एक नहर द्वारा पिछोला झील से जुड़ी एक कृत्रिम झील है। झील के मध्य सुंदर नेहरू गार्डन के साथ साथ एक द्वीप पर उदयपुर की सौर वेधशाला भी है। इसे पहले ’कनॉट बन्ध’ कहा जाता था क्योंकि इसका उद्घाटन ड्यूक ऑफ कनॉट के द्वारा किया गया था

इसी के सामने घुमावदार रोड पर मोती मगरी जहां महाराणा प्रताप का चेतक स्मारक और बहुत ही सुंदर घूमने लायक जगह है


पिछोला झील पिछोला झील का सौन्दर्य ढलती शाम के समय, सूर्य की लालिमा में सोने की तरह दमकता है। पिछोली गाँव के कारण झील को ’पिछोला’ नाम दिया गया है। जगनिवास और जगमंदिर द्वीप इस झील में स्थित है। झील के पूर्वी किनारे पर सिटी पैलेस है। सूर्यास्त होने पर झील में नाव की सवारी, झील और सिटी पैलेस का मनमोहक दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करता है।


सहेलियों की बाड़ी सहेलियों की बाड़ी यहाँ का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा महिलाओं के लिए एक बगीचे के रूप में निर्मित किया गया था। एक छोटे से संग्रहालय के साथ साथ इसमें संगमरमर के हाथी, फव्वारे, मण्डप और कमल कुण्ड जैसे कई आकर्षण हैं


गुलाब बाग और चिड़ियाघरउदयपुर में ग़ुलाब बाग़ (सज्जन निवास गार्डन) सबसे बड़ा बग़ीचा है 100 एकड़ में फैले हुए इस बग़ीचे में ग़ुलाब की कई प्रजातियां देखने को मिलती हैं, इसी से इसका नाम गु़लाब बाग़ पड़ा।


सुखाड़िया सर्कलसुखाड़िया सर्कल उदयपुर के उत्तर में स्थित है। इसमें एक छोटा कुंड है जिसमें 21 फीट लम्बे संगमरमर के फव्वारे हैं। रात के प्रकाश में ये बहुत सुंदर लगते हैं। इसका नाम राजस्थान के पूर्व मुख्य मंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के नाम पर रखा गया है। पर्यटकों की चहल पहल वाले इस शहर के बीच फव्वारों से घिरा हुआ यह उद्यान स्वर्ग समान लगता है


भारतीय लोक कला मंडल भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर का एक सांस्कृतिक संस्थान है जो राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की संस्कृति, त्यौहारों, लोक कला और लोकगीत के लिए समर्पित है। लोक संस्कृति के प्रचार के अलावा, यह एक संग्रहालय भी है जो राजस्थानी संस्कृति के विभिन्न स्वरूपों पर लोक कलाकृतियों का प्रदर्शन करता है।


बागौर की हवेली इसका निर्माण 1751-1781 ईस्वी के बीच मेवाड़ शासक के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद्र बड़वा की देखरेख में किया गया था। इस हवेली में राज परिवार के अलावा किसी का भी प्रवेश वर्जित था। इसमें मूल्यवान वस्तुएं रखने के लिए एक अलग तहख़ाना बना हुआ था। यहां स्थित नीम चौक में संगीत और नृत्य का कार्यक्रम एक आनंददायी अनुभव होता है।


शिल्पग्राम70 एकड़ में फैला ग्रामीण कला और शिल्प परिसर एक जीवित संग्रहालय माना जाता है। यह उदयपुर शहर से 7 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में स्थित है और भारत के पश्चिमी क्षेत्र के जनजातीय लोगों की जीवन शैली को दर्शाता है।


उदयसागर झीलउदयपुर की पांच झीलों में से एक है उदय सागर झील। उदयपुर के पूर्व में 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, इस झील का निर्माण 1559 में महाराणा उदयसिंह द्वारा शुरू करवाया गया था। झील बेड़च नदी पर बनाया एक बांध है। जिससे राज्य को पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सके। उदय सागर झील की 4 कि.मी. लम्बाई, 2.5 किलोमीटर की चौड़ाई और 9 मीटर की गहराई है।


हल्दी घाटी यह स्थान मेवाड़ के महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है तथा उदयपुर से 40 कि.मी. की दूरी पर है। इस घाटी की मिट्टी हल्दी के रंग जैसी पीली है, इसीलिए इसका यह नाम पड़ा। हल्दीघाटी अरावली की पहाड़ियों में स्थित है। सन् 1576 ई. में हुए युद्ध में महाराणा प्रताप के गौरव और शौर्य को दर्शाने वाली हल्दीघाटी में उनके प्रिय घोड़े चेतक की समाधि भी स्थित है।


दूध तलाई छोटी पहाड़ियों के बीच, पिछोला झील के लिए जाने वाली सड़क पर एक ओर दूध तलाई है। कई लघु पहाड़ियों के मध्य बसी ये तलाई, पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण है। ’दीनदयाल उपाध्याय उद्यान’ और ’माणिक्यलाल वर्मा बाग’, इस रमणीय तलाई के किनारे अन्य मनोरम स्थल हैं।


जयसमंद झील दो पहाड़ियों के बीच में ढेबर दर्रा को कृत्रिम झील का स्वरूप दिया गया। एशिया की दूसरे नम्बर की सबसे बड़ी मानव निर्मित मीठे पानी की झील है। इसका निर्माण महाराज जयसिंह ने 17वीं शताब्दी में करवाया था। जयसमंद के किनारे पर बनी कलात्मक सीढ़ियाँ और छतरियाँ, इसके सौन्दर्य को निखारती हैं। इस झील के आस पास, कई तरह के पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ नज़र आती हैं।


उदयपुर बायोलॉजिकल पार्कसिटी सेन्टर से 8 कि.मी. की दूरी पर मॉनसून पैलेस के नीचे की तरफ उदयपुर का बायोलॉजिकल पार्क बनाया गया है, जिसे ’सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क’ के नाम से जानते हैं। इस क्षेत्र के जीव-जन्तुओं तथा पौधों को संरक्षित रखने हेतु इस पार्क का निर्माण किया गया था। पार्क के उद्घाटन के बाद एक माह में लगभग 46 हज़ार दर्शक यहाँ आए, जो कि अपने आप में उत्साहवर्धक है। वैसे तो यह पार्क पूरे वर्ष खुला है परन्तु इसे देखने का सर्वोत्तम समय जुलाई से सितम्बर मॉनसून का समय है। मॉनसून में यह क्षेत्र हरियाली से आच्छादित दिखाई पड़ता है तथा इसमें विभिन्न प्रकार की चिड़ियां व जानवर देखे जा सकते हैं। इस पार्क में लगभग 60 प्रकार के पशुओं की 21 प्रजातियाँ उपलब्ध हैं, जिनमें चीतल, सांभर, जंगली सूअर, शेर, लंगूर, हिमालयन काले हिरण, घड़ियाल, मगरमच्छ आदि दिखाई देते हैं, जो कि वन्य जीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान है।


विन्टेज कार कलैक्शनगार्डन होटल के प्रांगण में विन्टेज ( विशिष्ट पुराने वाहन ) तथा क्लासिक ( उत्तम श्रेणी के वाहन ) की कारों का विविध संग्रह उपलब्ध है, जैसे:- कैडिलैक, शैवरलैट, मॉरिस आदि, जो कि उदयपुर के महाराणाओं की सम्पत्ति हुआ करती थीं। वे लोग इन गाड़ियों को अपने शानदार यातायात के रूप में काम में लेते थे।


क्रिस्टल ( बिल्लौरी / पारदर्शी उत्तम कोटि के काँच की कटिंग के सामान की गैलेरी )ऑसलर ( काँच के झूमर बनाने वाली यू. के. की प्रसिद्ध कम्पनी ) के कट ग्लास की उत्तम दर्जे की कम्पनी का बेहतरीन संग्रह उदयपुर की क्रिस्टल गैलेरी में मौजूद, सब से बड़े और महंगे संग्रह में से एक है। सजावटी कला की दुनियां में, इन वस्तुओं में अन्तर और क्वालिटी का वैभव देखने पर, आप कह सकते हैं कि यह एक मात्र अनुपम संग्रह है। उदयपुर के महाराणा सज्जन सिंह ने सन् 1878 में इस संग्रह को जमा किया, साधिकार प्राप्त किया तथा उसमें से अधिकतर फर्नीचर के सामान के संग्रह को सन् 1881 में ऑसलर कम्पनी को दे दिया गया। वर्तमान में इस अति सुन्दर क्रिस्टल गैलेरी में उपलब्ध डाइनिंग टेबल से लेकर, टेबल, सोफा सैट, धुलाई करने के बड़े कटोरे ( प्याले ), जाम ( शराब के प्याले ), ट्रे, शीशे की सुराही, परफ्यूम की बोतलें, मोमबत्ती लगाने के स्टैण्ड, क्रॉकरी और यहाँ तक कि काँच के बने बैड्स भी हैं। इस गैलेरी का मुख्य आकर्षण हीरे - जवाहरात जड़ा हुआ एक कार्पेट ( ग़लीचा ) है, जो कि अनुपम वर्ग में शामिल है। इस गैलेरी में एक शाही, बड़ा, हाथ से खींच कर चलाने वाला एक पंखा है, जिस पर लाल रंग का साटिन का कपड़ा चढ़ा हुआ है, जिस में कशीदाकारी द्वारा सूर्य की छवि बनाई गई है जो कि मेवाड़ राज्य का प्रतीक माना जाता है। इस क्रिस्टल गैलेरी में मुख्य रूप से जो सामान प्रदर्शित किया गया है, वह ’एफ एण्ड सी ऑसलर’ कम्पनी द्वारा तैयार किया गया है, जो कि विक्टोरियन युग के सब से महत्वपूर्ण स्मरणार्थ कट ग्लास के भोग विलास के सामान के रचयिता रहे हैं तथा उसके बाद भी इन का यह अद्भुत कार्य महत्वपूर्ण रहा है। सन् 1807 में बर्मिंघम ( यू. के. ) में स्थापित की गई ’ऑसलर कम्पनी’ ने अपने कला क्षेत्र में कट ग्लास उद्योग में संरचनात्मक सभ्यावनाएं तलाश करते हुए, स्मरणार्थ आकृति के रूप में बिल्लौरी काँच ( क्रिस्टल ग्लास ) की अवधारणा को मूर्त रूप देकर, क्रान्ति ला दी थी, जिसका सबसे बढ़िया उदाहरण उदयपुर संग्रह में पाया जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी में ’’एफ एण्ड सी. ऑसलर कम्पनी’’ ने ब्रिटेन तथा भारत, दोनों देशों में अपना व्यवसाय बहुत ही सफलतापूर्वक चलाया।


नागदा छठी शताब्दी के अंश को समाहित किए, नागदा उदयपुर से 22 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। अरावली की पहाड़ियों की गोद में बसा नागदा, जटिल नक्काशीदार ‘‘सहस्त्रबाहु मंदिर’’ के लिए प्रसिद्ध है जो कि आम लोगों में ‘सास बहू मंदिर’’ के नाम से पहचाना जाता है। नवीं-दसवीं शताब्दी में निर्मित किए गए इस मंदिर का वास्तुशिल्प अतुलनीय है तथा इसका तोरणद्वार अद्भुत बनाया गया है। यहाँ पर स्थित एक और शानदार ‘अद्भुद्जी’ जैन मंदिर भी दर्शनीय है।


बड़ी झील बड़ी झील उदयपुर में स्थित एक ताजे पानी की झील है। इसका निर्माण महाराणा राजसिंह द्वारा ‘‘बड़ी गाँव’’ से लगभग 12 कि.मी. दूर 1652-1680 के बीच करवाया गया था। पहले इसका नाम जियान सागर था, जो कि महाराणा राजसिंह की माता के नाम पर था। इसका निर्माण गांव के लोगों को बाढ़ से राहत दिलाने के लिए मदद के तौर पर करवाया गया था। सन् 1973 में आई बाढ़ के दौरान, इस झील के कारण लोगों को काफी मदद मिली आौर आज यह झील स्थानीय लोगों तथा पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र बन गई है। तीन तरफ से छतरियों से घिरी यह झील देश की सबसे बढ़िया ताजे पानी की झील है तथा उदयपुर के पर्यटक - आकर्षणों में से एक है। शहर की भीड़ भरी जिन्दगी से लगभग 12 कि.मी. की दूरी पर यह झील शांत वातावरण में प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण है।


मेनार’सिटी ऑफ लेक्स’ के नाम से पहचाना जाने वाला शहर, उदयपुर, कई सुन्दर झीलों का घर है। यहाँ एक गाँव है मेनार, जहाँ पर सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। यहाँ के ब्रह्म तालाब और डंड तालाब, प्रवासी पक्षियों का आतिथ्य करते हैं और उन्हें आकर्षित करते हैं। यह गाँव एक अनछुआ पर्यटक आकर्षण का स्थल है तथा पक्षी प्रेमियों के लिए यह एक अच्छा पसन्दीदा विकल्प बन सकता है। उदयपुर चित्तौड़गढ़ रोड पर यह उदयपुर से लगभग 48 कि.मी. की दूरी पर स्थित है तथा मेनार आने व घूमने का सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का है, जब इन तालाबों पर प्रवासी पक्षियों के झुण्ड नजर आते हैं। यहाँ घूमने पर आप यहाँ आने वाले प्रवासी पक्षियों में ग्रेटर फ्लेमिंगो, व्हाइट टेल्ड, लैपविंग मार्श हैरियर, ब्लैक काइट (काली चील), जंगल क्वेल (काली बटेर), क्रो फीजैन्ट, (चेड़ लम्बी पूंछ वाला पक्षी) इत्यादि देख सकते हैं। पर्यटकों की भीड़ से दूर आप यहाँ के तालाब के किनारे शांत वातावरण में तथा गांव की नीरव और शांतिमय जलवायु में विश्राम कर सकते हैं

पर्यटकों के लिए यह एक बहुत ही अच्छी घूमने लायक जगह है और रेल बस और प्लेन तीनों से जुड़ी हुई है

उसकी विस्तृत जानकारी में नीचे दे रही हूं


यहाँ कैसे पहुंचें निकटतम हवाई अड्डा डबोक, जिसे महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है। षहर के केन्द्र के लगभग 25 किमी उत्तर-पूर्व में है। जेट एयरवेज, एयर इंडिया और स्पाइसजेट द्वारा जयपुर और मुम्बई से दैनिक उड़ानें हैं।

जयपुर, चित्तौड़गढ़, अमहदाबाद, जोधपुर, बीकानेर, आगरा, दिल्ली, मुम्बई, और खजुराहो सहित, सड़क मार्ग तक उदयपुर आसानी से पंहुचा जा सकता है।

भारत में चित्तौड़गढ़, अहमदाबाद, अजमेर, सवाई माधोपुर, जयपुर, आगरा, दिल्ली, मुम्बई और खजुराहो सहित उदयपुर कई प्रमुख शहरों से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है।

इतनी सारी विशेषताएं इतना सुंदर शहर गर्व से मैं कह सकती हूं कि मैं उदयपुर की वासी हूं।

मेवाड़ की बहू आप सबको उदयपुर में आमंत्रित करती हूं उदयपुर आइए। पधारो माणें देश ।

उदयपुर घूमने और अपने साथ में बहुत सारे सोवेनियर ले कर के जाइए और अपने दोस्तों में अपनी मधुर यादों के साथ बाटियें अब बोलो सखियों मैंने तुमको इतनी विस्तृत जानकारी दी है थोड़ा ज्यादा समय निकालकर उदयपुर और आसपास की जगह पर चलोगे सभी एक स्वर में बोलते हैं हां।

 तुमने हमको बहुत अच्छा बता है।

 हम तुम्हारे साथ चलने को तैयार हैं।

 15 दिन का टूर बनाते हैं बहुत घूमेंगे बहुत मजे करेंगे।

 वहां की दाल बाटी खाएंगे।

 और मजे से रहेंगे।

 मिठाइयां तो वहां की बहुत ही जोरदार होती हैं वे खाएंगे।

 अरे हां मेरा फेवरेट चाट चटनी के चटाके चटाचट

लारी से तुमको वहां की फेमस चाट भी खिलाऊंगी।

 सब एक साथ में बहुत खुश हो जाती हैं। और वहां चलने के लिए प्लान बनाने में जुट जाती हैं।



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