जौहरी की परख।
जौहरी की परख।
अविनाश सुभाषनगर के नामी रईसों मे शुमार था। सभी लोगों उसकी अमीरी की भूरी-भूरी प्रशंसा करते थे। उसका व्यवसाय भी एकदम बढ़िया चल रहा था। वह अपने शहर का प्रख्यात जौहरी बन चुका था, उसके दोस्त यह कहते नहीं थकते थे, कि उससे ज्यादा अच्छी तरह रत्नों को कोई और पहचान नहीं सकता।
कुछ समय बाद उसकी शादी सुनिता से हुई, वह अपने अय्याश दोस्तों के साथ दारु पीकर देर रात घर आता था और वह सुनिता को मारता था, एक दिन सुनिता ने उसे एक और स्त्री के साथ देख लिया, तब सुनिता की लड़ाई होनी शुरू हुई। सुनिता के माता -पिता ने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं माना और उसने अपनी अय्यशी जारी रखी। सुनिता भी मार्डन थी तो उसने भी अविनाश को तलाक दे दिया। उसके बाद अविनाश ने दूसरी औरत से शादी की पर वह औरत कुछ दिन मे ही किसी और के साथ फुर्र हो गयी, शहर का प्रख्यात जौहरी आज एंकात मे बैठकर आँसू बहा रहा था।
एक जौहरी होकर वह रत्न को पहचानने मे चूक गया ।