जादुई पेड़
जादुई पेड़
एक गांव में दो दोस्त रहते थे एक का नाम सूरज और दूसरे का नाम राजु था दोनों स्कूल में पढ़ते थे। दोनों को अपने स्कूल के एक बदमाश लड़के से बहुत डर लगता था क्यूंकि वो बच्चा हमेशा उन्हें सताता रहता और परेशान भी करता था इसलिए वो स्कूल जाने से बचने की कोशिश करते लेकिन उनके मां बाप उन्हें जबरदस्ती स्कूल छोड़ने आ जाते थे।
जिससे वे दोनों बेचारे उस बदमाश बच्चे के सामने आने से छिपते रहते थे। एक दिन वे स्कूल से घर जा रहे थे धूप बहुत तेज थी और गर्मी के दिन थे। दोनों को भूख और प्यास दोनों लगीं थी। उन्होंने देखा कि सड़क के किनारे एक पुराना गार्डन था। उस गार्डन के अंदर एक बड़ा और घना पेड लगा हुआ था। वे दोनों जाकर उसकी छाया में बैठ गए।
उन लोगों ने अपना अपना बस्ता उतारकर नीचे रख दिया और पानी की बोटल निकाल कर ही पेट भरने लगे क्योंकि इन दोनों का टिफिन तो आज वो बदमाश बच्चा खा गया था ये बेचारे भुखे ही रह गए थे।
"अब क्या करें सुरज बहुत भूख लगी है और खाने को कुछ भी नहीं है, उपर से घर भी यहां से काफी दूर है उपर से ये तेज गर्मी।" राजु ने सवाल किया।
"मुझे नहीं पता मैं खुद भुख से बेहाल हूं काश यहां बहुत सारा खाना आ जाए जिसे मैं पेट भरकर खाऊं।" सुरज उस पेड़ के नीचे लेटते हुए बोला तभी एक चमत्कार हुआ उस पेड़ के उपर से फलों की बारिश होने लगी और दोनों आश्चर्य और खुशी से उस नजारे को देखने लगें।
जिसके अगले पल ही वो उन फलों पर टूट पड़े और पेट भरकर खाने लगे जिसके बाद वे शाम होने का इंतजार करते हुए वहीं पेड़ के नीचे लेट गए।
काश यार जैसे ये खाना मांगने पर इतने सारे फल मिल गए वैसे ही वो बदमाश रिंकु हमें परेशान करना बंद कर दें और हमसे माफी मांगकर हमारा दोस्त बन जाए तो कितना अच्छा होगा।" सुरज ने राजु की ओर देखते हुए कहा।
तो राजु हंसते हुए कहा "अबे अब चुपचाप सो जा सपने मत देख।" जिसकी बाद वे वही गहरी नींद में सो गए। और जब उनकी आंख खुली तो शाम हो चुकी थी वे अपने घर की ओर निकल पड़े।
अगले दिन जब वे अपने स्कूल पहुंचे तो देखा रिंकु उनका ही इंतजार कर रहा था वे दोनों उसे सामने देखकर चौंक गए "आज तो हमारी खैर नहीं" राजु डरते हुए बोला।
तभी रिंकु उनके पास आया और अपना हाथ उनकी ओर बढ़ाया जिसे देखकर सुरज और राजु डर के मारे अपनी आंखें ही बंद कर लिया।
अरे तुम दोनों मुझसे डर क्यूं रहे हो, मैं माफी मांगने आया हूं मुझे माफ कर दो दोस्तों मैंने तुम्हें बहुत परेशान किया... मैं अब आगे से किसी को भी परेशान नहीं करूंगा ना उन्हें सताउंगा। मेरा कोई दोस्त नहीं है क्या तुम दोनों मेरे दोस्त बनोगे।"
ये सुनकर तो दोनों एक पल के लिए हैरान ही रह गए जिसके बाद वो मुस्कुराते हुए उससे हाथ मिलाकर बोले "क्यूं नहीं यार आज से हम तीनों पक्के दोस्त हैं।" जो सुनकर रिंकु बहुत खुश हो गया और वहां से चला गया।
"अबे तुम्हें कुछ याद आया, वो पेड़... मुझे लगता है वो जादुई पेड़ था।" सुरज सोचता हुआ बोला।
"वो कैसे?" राजु ने सवाल किया।
"कल जब मैंने उसके नीचे बैठकर विश मांगा कि हमें खाने के लिए खाना मिल जाए तो सच में वहां फलों की बारिश होने लगी और उसके बाद मैंने मांगा की रिंकु हमें परेशान ना करें और हमारा दोस्त बन जाए और आज देख वो हमारा दोस्त बन गया।" सुरज खुश होते हुए बोला।
"अरे हा ये बात तो मैंने सोची ही नहीं, चल चल जल्दी से उस पेड़ के पास चलते हैं।" राजु ने सुरज को कहा और दोनो तेजी से उस गार्डन की ओर दौड़ पड़े जाहां जाकर वे दोनों देखे तो आज वहां कोई पेड़ नहीं था।
"अरे वो पेड़ कहा गया कल तो यही था।" सूरज हैरानी से पूछा।
"शायद वो जादुई पेड़ था मेरी दादी मां कहा करती थी कि जिन बच्चों को कोई परेशानी होती है वो पेड़ उसकी मदद करने उनके पास जरूर जाता है।" राजु ने मुस्कुराते हुए कहा। जिसके बाद वे दोनों मुस्कुराते हुए वापस अपने स्कूल की ओर चल पड़े।
सीख :- ईश्वर हमेशा हमारी वो इच्छाएं पूरी करता है जिसकी हमें जरूरत होती है उसकी नही जो हम उनसे मांगते हैं।
दादी मां की छोटी मोटी कहानियों को लेकर मैं आ गया हुं आप सभी को सुनाने तो तैयार हो जाईए पुराने दिनों को एक बार फिर जीने के लिए , अगली कहानी अगले भाग में