''ईमानदारी की जीत''
''ईमानदारी की जीत''
बहुत पुरानी बात है एक राज्य में सुयोग्य राजकुमार था जो जल्द ही राजा बनने वाला था और राज्य का यह नियम था कि राजा बनने से पहले उसे विवाह करना होगा। राजकुमार एक ऐसी युवती के साथ विवाह करना चाहता था जो सुशील , गुणवती, सच्ची और नेक हो । एक बुद्धिमान दरबारी ने उसे सलाह दी कि- राज्य की सभी विवाह योग्य युवतियों को राज महल में बुलाया जाए और राजकुमार उनमें से किसी एक सुयोग्य कन्या को अपनी वधू के रूप में चुन ले ।
महल में एक दासी थी और उसकी लड़की भी विवाह योग्य थी और वह भी मन ही मन राजकुमार से बहुत प्रेम करती थी । स्वयंवर बारे में जैसे ही उसे पता चला तो वह बहुत प्रसन्न हुई क्योंकि अब वह भी स्वयंवर का हिस्सा बन सकती थी मगर फिर उसका दिल टूटने लगा यह सोच कर कि पूरे देश से एक से एक सुंदर और धनी युवतियां आयेगी, राजकुमार भला उसे क्यों पसंद करेगा । माता-पिता भी बहुत चिंतित थे कि उसकी बच्ची का दिल टूट जाएग पर उसने अपने माता-पिता से कहा कि आप फिक्र मत करें मुझे पता है कि राजकुमार मुझे नहीं चुनेगा, लेकिन कुछ समय के लिए ही सही इस बहाने में राजकुमार के निकट तो रहूंगी ।स्वयंवर का दिन भी आ गया, स्वयंवर में एक से बढ़कर एक धनी और सुंदर कन्याएं आई थी जो सुंदर वस्त्रों और बहुमूल्य आभूषणों से सुसज्जित थी , राजकुमार ने सभी युवतियों से कहा कि- 'मैं तुम सबको एक-एक बीज दूंगा और आज से 6 महीने बाद जो युवती इस बीच में से निकले पौधे का सबसे सुंदर फूल लाकर मुझे देगी उसी से मैं विवाह करूंगा और वही होगी इस राज्य की रानी ।'
राजकुमार के कथनानुसार सभी युवतियों को एक - एक बीज गमले में रौप कर दे दिया गया । अब दासी की बेटी को भी उम्मीद जगी कि वह भी राजकुमार को पा सकती है मगर उसे बागवानी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था , पर फिर भी उसने बड़े प्यार से गमले की देखभाल की। उसे हमेशा लगता की बीच से उगने वाले पौधे से जो भी फूल खिलेगा वह उसके राजकुमार के प्रति प्रेम का प्रतीक होगा और वह बहुत ही सुंदर होगा। लेकिन 3 महीने बीत गए गमले से कोई भी पौधा नहीं उगा, उसने माली से बात की, किसान से भी बात की कई उपाय किए लेकिन कोई भी काम ना आ सका। 6 महीने भी बीत गए पर बीज से एक कोंपल तक नहीं फूटी । 6 महीने बाद तय किए गए दिन पर वह निराश होकर अपने खाली गमले के साथ महल में पहुंची तो वह देखती है कि बाकी युवतियों के गमले में एक से बढ़कर एक सुंदर अद्वितीय फूल खिले हैं उसका दिल बैठ गया और आंखें हैं आंसुओं से भर गई यह सोच कर कि उसने राजकुमार को खो दिया है दुखी होकर वह राजकुमार को एकटक निहारती रही ।
राजकुमार ने सभी युवतियों के गमले में खिले हुए फूल को गौर से देखा और अंत में परिणाम की घोषणा की और दासी की कन्या की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यही होगी इस राज्य की होने वाली रानी । सबकी आंखों में राजकुमार के लिए प्रश्न चिन्ह था, राजकुमार ने इस रहस्य से पर्दा उठाया और कहा जो बीज मैंने सभी युवतियों को दिए थे वह निर्जीव ( नकली) थे उनमें से पौधा उग कर फूल का खिलना तो असंभव था पर दासी की पुत्री ने उसमें सच्चाई और ईमानदारी का फूल खिलाया इसलिए वही होगी इस घर की वधू और मेरी रानी । दासी के माता पिता अचंभित और बहुत प्रसन्नन थे कुछ समय बाद राजकुमार और दासी की पुत्री का विवाह हो गयाा । इस प्रकार सच्चाई और ईमानदारी की जीत हुई सच बात तो है सच्चाई , ईमानदारी और संस्कारों से बड़ी कोई दौलत नहीं ।
