एक लघुकथा...। एक लघुकथा...।
शहर बड़ा हो गया था, दुकाने बड़ी हो गई थी, बच्चे बड़े हो गए थे और इंसानियत का स्वर्गवास हो चुका था। शहर बड़ा हो गया था, दुकाने बड़ी हो गई थी, बच्चे बड़े हो गए थे और इंसानियत का स्व...
रोज की तरह पनवेल से सीएसटी वाली लोकल ट्रेन में भीड़ भाड़, धक्का मुक्की और शोर गुल था। भेड़ बकरियों की त... रोज की तरह पनवेल से सीएसटी वाली लोकल ट्रेन में भीड़ भाड़, धक्का मुक्की और शोर गुल ...
बेटा ना बीता कल बहुत अच्छा था और ना आज बहुत खराब है। गैरों ने ही सही पर वर्मा जी को किसी ने सहारा दि... बेटा ना बीता कल बहुत अच्छा था और ना आज बहुत खराब है। गैरों ने ही सही पर वर्मा जी...
इंसानियत के बारे में एक कहानी...। इंसानियत के बारे में एक कहानी...।
एक छोटी - सी बच्ची की कहानी...। एक छोटी - सी बच्ची की कहानी...।