हरियाली आई… ~ डॉ. सुनीता श्रीवास्तव
हरियाली आई… ~ डॉ. सुनीता श्रीवास्तव
हरियाली आई और खुशहाली लाई।
राशि शादी के बाद ससुराल आई तो राज की माँ सुधा ने देखा, राशि सूर्यनारायण को जल चढ़ाकर, तुलसी क्यारी में पानी दे रही थीं। सुधा खुशी से झूमकर राज और उसके पापा को खींचकर ले आई, फिर बोली, 'राज, तूने लव मेरीज जरूर की है, पर राशि तो बहुत संस्कारवान है, भले ही भील जात हो।'
राज मुस्करा कर बोला, 'माँ, संस्कार जात पात से नहीं आते, वह तो परिवार से अंकुरित होते हैं, राशि ने समाजशास्त्र में गोल्ड मेडल जीता है...'
राशि ने हेरत से सुधा, राज और राज के पापा को देखा, बोली, 'क्या नाश्ते में देरी हो रहीं हैं, मैंने सोचा पहले थोड़ा जल तुलसी, सूर्य को चढ़ा दे...?'
राज बोला, 'अरे यार पापा, माँ तो तुमको को देख खुश हो रहे हैं... खुश.'
सुधा बोली, 'बेटा, क्या तुम पीहर में भी इसी तरह से पूजा पाठ करती थी...?'
राशि बोली, 'न न हम तो बस माँ को देख मुस्कराते रहते थे, कभी छेड़ते थे तो उनका भाषण शुरू हो जाता था... अब शादी के बाद मुझे लगा, में भी माँ की तरह घर गृहस्थी देखूँ, माँ अनपढ़ हो हैं पर सब उनकी तारीफ करते नहीं थकते, हमारी सफलता का राज वही है और मुझे राज जैसा पति पाने में उनका ही हाथ है...
राज के पापा बोले, 'बेटा घर परिवार बगिया के समान है जहाँ हर पक्षी आकर चहकता है, हरियाली देख, दाना चुकता है, वातावरण भी स्वच्छ होता है l'
फिर अपना पर्स लेकर बहार चले गए, राशि और माँ किचन में जा पहुंची और राज क्यारी खोदने लगा l थोड़ी देर बाद राज के पापा बहुत से गमले, पौधे लेकर आ गए और बोले, 'राशि अपना घर तो छोटा है पर बगिया बहुत महकेगी, सारे साधु संत वृक्षों के तले ही तो ज्ञान प्राप्त करते हैं l'
राज बोला, 'पर राशि पौधे का संरक्षण भी जरूरी है....'
सुधा बोली राज बकबक मत कर वह में देखती हूँ, अब बुढ़ापे में यही इच्छा है, देखते ही देखते सब गमले, पौधे से छोटा सा आँगन सुसज्जित हो उठा, सुधा हरियाली को देख मन ही मन मुसकरा उठती है, कुछ समय बाद इस बगिया में पोते, पोती भी उद्यम करेंगे, तभी राज की बहन अंदर आकर बोली - 'अरे वाह, कितने सुंदर पौधे, लगता है हम किसी वाटिका में आ गए क्या यह अपना ही घर है...?'
सुधा बोली - 'निधि, यह तेरी भाभी का कमाल है, हरियाली लेकर आई तो खुशहाली तो आनी ही है l'
निधि भाभी से लिपट कर बोली, 'वाह मेरी प्यारी भाभी, आपने तो कमाल कर दिया, बहुत दिनों बाद आज मेने माँ, पापा, भाई को इतना खुश होते देखा है, सचमुच में भाभी तो महकता फूल हैं।'
इस सुखद क्षण में, हर किसी की आंचल में खुशियाँ बिखर गईं, और बगिया ने नई ऊर्जा से भर दिया। बच्चों ने पोतियों को पलकों के साथ झूला बनाया, और सुधा ने खुशी के आँसू बहाए। इस रूपरेखा ने दिखाया कि सच्चे प्रेम और संबंधों की मिठास के साथ, जीवन को सुंदर रंगों से भरा जा सकता है।
इस कहानी में एक मुख्य नैतिक मूल्य है संबंधों की महत्वपूर्णता और प्रेम का महत्व। राज और राशि की संबंधों में समर्थन, समझदारी, और साथीत्व का महत्वपूर्ण संदेश है। वे एक दूसरे की विशेषताओं को सम्मान करते हैं और सभी परिस्थितियों में एक दूसरे के साथ रहने के लिए उत्सुक हैं।
इसके अलावा, गहरे रिश्तों, परिवार के साथीपन, और प्राकृतिक सौंदर्य का समर्थन भी इस कहानी के मूल्यों को मजबूती से दिखाते हैं। हरियाली और पौधों का संरक्षण एक और नैतिक मूल्य है, जो हमें प्राकृतिक संसाधनों की महत्वपूर्णता का आदर करने का संदेश देता है।
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि प्रेम, समर्थन, और परिवार के साथीपन में छिपा हुआ आनंद और सुख है, जो हमें जीवन को सुंदर बनाने का क्षमता प्रदान कर सकता है।
