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Anupama Shrivastava Anushri

Others

5.0  

Anupama Shrivastava Anushri

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हैप्पी वाला बर्थडे

हैप्पी वाला बर्थडे

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बहुत सुहानी सी प्रफुल्लित कर देने वाली सुबह। चूंचूं, चीं चीं करते पंछी, तो कहीं कहीं कूह कूह गाती कोयल की गुदगुदाती आवाज़।और ये फर्र -फर्र करते पंछी इस अलमस्त सी भोर में निकल पड़े थे अपने दाना -पानी की दौड़ में।

नन्हें बच्चे पंछी मुस्कुराते ,चहकते अपने -अपने मम्मी -पापा पंछी को बाय-बाय बोल रहे थे और उनसे जल्दी आने का वादा भी ले रहे थे। चारों तरफ ख़ुशनुमा सा माहौल ,ठंडी -ठंडी बयार और धीरे धीरे रौशनी फैलाने निकल पड़ीं सूर्य की किरणें..

तभी खिड़की से एक चंचल किरण बिना अनुमति के मोहक के कमरे में चली आई और उसके गाल को थपथपा कर बोली " हेलो , गुड मॉर्निंग !!

अरे , ये क्या - अलसाया सा मोहक , कुनमुनाते हुए करवट बदल कर फिर सो गया !

थोड़ी देर में एक आवाज़ गूंजी -'बेटा , जल्दी उठो , एक सुंदर सुबह तुम्हारा इंतज़ार कर रही है और मां ने मोहक की चादर खींचते हुए उसे बड़े लाड- दुलार से चुंबन देते हुए कहा -' हैप्पी बर्थडे, मोहक बेटा, सदा खुश रहो। आज तुम पुरे बारह वर्ष के हो गए हो। अब बहुत सारे शारीरिक , मानसिक परिवर्तन तुम्हें महसूस होंगे जिनके साथ तुम्हें सहजता से सामंजस्य बनाकर एक अच्छे बच्चे के रूप में बड़ा होना है। ' अब फ्रेश हो जाओ , स्कूल के लिए तैयार होना है - मां मुस्कुराई। अपने नाम के अनुरूप ही 'मोहक ' आकर्षक , स्वयं अपने काम करने में निपुण ,और पढ़ाई में भी अव्वल और उसकी ये आदत घर और स्कूल में सबको पसंद थी। हाँ थोड़ा ज़िद्दी तो था।

अपनी दादी की कहानियां भी उसे बहुत पसंद थीं। सब सुनकर मोहक उत्साह और आंनद से भर गया। और फटाफट चादर निकालकर फ्रेश होने पहुँच गया क्यूंकि आज तो उसका बर्थडे था न 'हैप्पी वाला '।

हाँ स्कूल से आकर शाम को ज़ोरदार पार्टी की तैयारी ढेर सारी साज़ -सजावट के साथ मां ने प्लान कर रखी थी।' मोहक बेटा - ' पापा की आवाज़ आयी। हाँ ,पापा ,अभी आया ,मोहक अपना टिफिन बैग में रखते हुए भागा।   गुड मॉर्निंग , पापा, हैप्पी बर्थडे बेटा , गॉड ब्लेस यू ' और पापा ने उसे गले लगा लिया। रास्ते में ढ़ेर सारी बातें हुईं पापा से और तभी गुज़रते हुए एक बनती हुई बिल्डिंग के नीचे तीन -चार बच्चे बहुत शोर कर रहे थे। शायद अपनी मां से कुछ मांग रहे थे।

' मां , रोज़ -रोज़ ये रोटी और चटनी नहीं खाएँगे '.. हमें मिठाई दो आज।'कहाँ से लाऊँ ' जो है खाओ।

मोहक ये देखकर कुछ अनमना हुआ , फिर उसे याद आया उसे तो अपने मित्रों को आमंत्रित करने हेतु लिस्ट तैयार करनी है। और वो फटाफट लिखने लगा , आदित्य , ख़ुशी , पार्थ , राशि , अंश , गौरव , ओह्ह्ह कितना मज़ा आने वाला था आज शाम पार्टी में !!

शाम पार्टी में सभी बच्चों ने मिलकर ज़ोरदार धूम धड़ाका मचा दिया।ढेर सारे गिफ्ट्स और सबका प्यार दुलार पाकर मोहक बहुत खुश था। ढेर सारे बैलून्स और रंग बिरंगी पन्नियों से सज़ा संवरा घर मोहक को बहुत प्यारा लगा ,सभी ने एक दूसरे को जम कर केक खिलाया और चेहरे पर भी लगाया उसके बाद -' चलो सभी अपने अपने अंदाज़ में खड़े हो जाओ, क्यूंकि अब है 'सेल्फी टाइम ' -पार्थ ने आनन फानन में कई सेल्फीज ले डालीं। सभी दोस्त खूब उधम -मस्ती करके चले गए अचानक मोहक को रास्ते में बिल्डिंग के नीचे दिखे बच्चे याद आ गये -

' पापा गाड़ी निकालिए प्लीज़ '

'क्या हुआ मोहक , इस समय कहाँ जाना है - पापा आश्चर्य से बोले !!

मोहक ने तुरंत खाने के कुछ पैकेट्स तैयार किये और पापा को कहा हम ये पैकेट्स उन बच्चों को देना है जो हमने बिल्डिंग के नीचे देखे थे। मोहक ने बताया दादी ने कहा था कि कम से कम एक दिन में अच्छा काम ज़रूर करना चाहिए।

मोहक और पापा चल दिए उन बच्चों को पैकेट्स बाँटने। और मोहक बहुत खुश हुआ इन बच्चों के हँसते , खिल खिलाते चेहरे देख कर। साथ ही उसे संतोष मिला दादी की सीख को मानने का । मन भी था, अब सही मायनों में मना था मोहक का ' हैप्पी वाला बर्थ डे ' और इस कहानी से जो शिक्षा मिली -

१. दूसरों को ख़ुश करने से सच्ची ख़ुशी प्राप्त होती है।

२. खाने का सामान कभी व्यर्थ नहीं करना चाहिए। ज़रूरतमंदों में बांट देना चाहिए।

३. बड़ों की अच्छी सीख मानना हमारी ज़िन्दगी को बेहतर बनता है।

४. अपना काम स्वयं करना अच्छी आदत है। जिसे अपने जीवन में उतरना चाहिए और सबके प्रिय बनना चाहिए।


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