गुमसुम सी वो
गुमसुम सी वो


आज मेरा पहला दिन था स्कूल का।जैसे ही मैं स्टाफ रूम में गयी मैडम ने बोला आपको 9th class में जाना है।आज टीचर्स कम आयें हैं तो आपको ही आज उस क्लास को देखना होगा। मैं मुस्कुराई और हाँ बोलकर चली गई क्लास में।अंदर से तो घबरायी हुई थी।पर ऐसा बच्चो को दिखाना नही था। मैं क्लास में गयी।सभी बच्चों को अपना परिचय बताया और उनसे भी सबके नाम पूछे।
जब थोड़ी बातें हुई तब थोड़ा मैं रिलैक्स हुई।अब अच्छा लग रहा था।सभी लड़कियाँ थीं।मुझे अपने स्कूल के दिन याद आ गयें।मैं नई थी तो सब लड़कियां मुझसे बातें करना चाह रही थीं।मैंने भी अच्छे से बातें की ,कि संकोच खतम हो जाए वो मुझसे डरे नहीं ऐसा ही हुआ, सबको देख के ऐसा लग रहा था की मेरा आना उन्हें अच्छा लगा।
मैंने पढ़ाना शुरू किया।कुछ सवाल पूछने थे वो पूछी।सभी खड़े होकर जवाब देना शुरू कियें।पर एक लड़की ऐसे ही बैठी थी ना कुछ सवाल ना कुछ जवाब।कोई रिएक्शन नही था।मुझे अच्छा नही लगा।मैं पास गई उसके, मैंने उससे सख्ती से पूछा क्या हुआ तुम जवाब क्यों नही दे रही हो।कब से सभी लड़कियां सबका जवाब दे रही हैं।उठो खड़ी हो।कुछ तो बोलो उठो ,मेरे इतना बोलने पर भी वो बैठी रही।पीछे से लड़कियां कब से मुझे इशारा कर रहीं थीं पर मैंनेकि ध्यान नही दिया।फिर मैं जैसे अपनी कुर्सी के तरफ मुड़ी सामने देखा की बैशाखी रखी हुई थी।बैशाखी पे नज़र पड़ते ही मैंने थोड़ा सा घूम के, उसके पैर को देखा" उफ़ ये क्या", और मैंने क्या क्या बोल दिया उस बच्ची को।इतने देर में मैंने बहुत कुछ सोच लिया।अब मुझे लगा की इसलिए कुछ बच्चियां मुझे इशारा कर रहीं थीं।और मैं समझी नही।
मैंने फिर सोचा कि मुझे अब दूसरे तरह से इस बात को नॉर्मल करना होगामैं गई उसके पास और नॉर्मली बात करने लगी।
मैंने कहा- "तुम कुछ बोल क्यों नही रही,मैं तुम्हे इतनी डरावनी लग रही हूं क्या?"
वो मुस्कुराई।पीछे से एक लड़की ने बोला "मैम इसके पैर नहीं हैं।'
मैं बोली - "हां मुझे पता है ,तो क्या हुआ सब उत्तरr दे रहें न। पैर से नही मुँह से बोलना है बोलो मेरे लिए तुम अलग नही हो सबके बराबर ही हो।और ये मत समझना कि मैम छोड़ देंगी दया खा कर।बिल्कुल भी मत सोचना तुम। खड़ी नही हो सकती बता तो सकती हो बोलो।"
अब मैंने उसे अच्छे से समझाना शुरू किया -देखो बेटा
"तुम अलग नही हो तुम भी इस क्लास का हिस्सा हो।पैर नही हुआ तो क्या हुआ तुम्हारे में और भी बहुत सारी अच्छाई है।देखो ,तुम्हारी कितनी सुंदर लिखावट है।तुम खुद कितनी सुंदर हो, तुम बोलो ,तुम सबके साथ घुल मिल के रहो ,तुम्हारी सहेलियां कितना प्यार करती हैं तुमसे। हम एक चीज़ की वजह से जीना छोड़ नहीं सकते ।तुम पढ़ाई में इतनी अच्छी हो,तुम खुद को किसी से कम मत समझो,तुम बोलो ,सबसे बात करो, तुम आगे आओ,और बढ़ो तुम्हें खुद को आगे बढ़ाना है और तुम ये कर सकती हो।ये कोई कमजोरी नही ,हमें हौसला होना चाहिए ।आगे बढ़ने से कोई नही रोक सकता हमें।"
हमारे बीच ऐसे ही कुछ लोग हमें मिल जातें हैं।हम सबको उन्हें एक समान देखना चाहिए ना की अलग दृष्टि से।हमें हौसला देना चाहिए कि वो भी कुछ कर सकते हैं और वो किसी से कम नही।हर किसी में कोई न कोई कमी जरूर होती है और हर किसी में गुण भी अलग अलग होते हैं।बस ऐसे लोगों को हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए।