Swapnil Jain

Children Stories Fantasy Others

4.0  

Swapnil Jain

Children Stories Fantasy Others

एक रुपये का सिक्का

एक रुपये का सिक्का

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  जीवन में यूँ तो बहुत पल आते हैं, जाते हैं पर कुछ ऐसे पल होते हैं जो जीवन भर के लिये याद बनकर ठहर जाते हैं वही पल तो लम्हे जिंदगी के बन जाते है।

   ऐसा ही पल मेरे जीवन में भी आया जो अपनी छाप छोड़ गया, जीवन को एक खुशी दे गया वो मेरा बचपन का पल जो चंचल था जो खुले आकाश में जीता था, अपनी मौज में रहता था, जो चाहता वो मिल जाता था।

  बचपन की जिद बचपन में मिला प्यार बचपन के नखरे, वो मस्ती वो नटखट मन, बचपन के खेल वो खुशनुमा जीवन की रेल।

  संयुक्त परिवार में पला बढ़ा तो सबका प्यार स्नेह भी हमेशा मिला जब कोई भी चीज पाने का मन होता तब कभी तो आसानी से मिल जाती थी तो कभी थोड़ा मनाना पड़ता था तो कभी जिद पर भी अड़ना पड़ता था, बहुत खूबसूरत थे वो दिन कभी चॉकलेट तो कभी कपड़े तो कभी खिलौने की जिद होती थी इसमें भी एक अपना मजा था क्योंकि संयुक्त परिवार था तो हमें कभी भैया तो कभी पापा, बड़े पापा तो कभी दादा जी से पैसे मिल जाते थे, जरूरतें भी तब क्या थी महज एक सिक्का ही तो चाहिए होता था वो भी एक रुपये का हां उस समय एक रुपये में ही बहुत चॉकलेट, बिस्किट ,खट्टी मीठी गोलियां संतरे वाली पिपरमेंट बहुत कुछ आ जाता था।

   बस इतनी सी ख्वाहिश होती थी एक रुपये मिलना ही हमारे लिए खुशियाँ ले आता था, ना कोई चिंता थी, ना कोई जिम्मेदारी, पर आज वो दिन याद आते हैं, जीवन के वो लम्हें याद आते हैं, और अब समझ आता है कि जो एक रुपये हमें मिलते थे आसानी से, उसे कमाना कितना कठिन होता है।

   शायद इसलिए ही बड़ों ने तय किया था कि बच्चों को रोज नहीं सिर्फ इतवार को पैसे दिये जायेंगे और कहां कितना खर्च किया वो आकर हमें बतायेंगे।

   वाकई वो दिन बहुत याद आते हैं, वो जीवन के खुशनुमा लम्हें कहलाते हैं।


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