एक नयी ज़ागृति
एक नयी ज़ागृति
सीतापुर में एक छोटे से गांव अमरावती में बहुत सीधे-साधे लोग रहते थे ।वे दूसरे के खेतों में दिन भर काम करते और उनके घर के बच्चे भी पढ़े-लिखे नहीं थे तो उन्हें साहूकार भी बहुत बेवकूफ बनाता था फिर गांव के सरपंच ने कुछ करने की ठानी उन्होंने सोचा कि गांव के लोग बहुत सीधे साधे हैं
उनको अगर शिक्षा का माध्यम मिले तो उनका जीवन सँवर सकता हैइसलिए उन्होंने एक स्कूल खोलने की सोची और उन्होंने इस बारे में गांव के लोगों से बात की तो बहुत मुश्किल से कुछ 10 -12 लड़कों को लोगों ने भेजना शुरू किया यह देखकर सरपंच बहुत परेशान हुए कोई अपनी बेटियों को स्कूल नहीं भेजता था उसका कारण यह था कि गांव से 3 मील दूर पानी लेने के लिए लड़कियों को जाना पड़ता था और लड़के जो थे वह अपने पिता के साथ काम में हाथ बँटाते अगर वह स्कूल पढ़ने आते तो उनका काम रुक जाता। इसलिए सरपंच ने एक दिन गांव वासियों को अपने स्कूल में बुलाया और सबके सामने यह बात रखी फिर गांव वालों ने बताया,
"घर की लड़कियां पानी लेने चली जाती हैं और उन्हें लाने में बहुत दूर जाना पड़ता है जिससे बहुत सारा समय उसी में चला जाता है फिर सरपंच के दिमाग में यह बात आई उन्होंने अपने घर में रखा हुआ पुराना हैंडपंप स्कूल में लगवा दिया और कहा,,
"कि बच्चियां अब यहां आकर स्कूल में पानी भरा करें जिससे उनका कुछ समय भी बचेगा और उस समय वह विद्यालय में पढ़ भी सकेंगी ।जिससे वह शिक्षित भी होंगी और कोई उन्हें बेवकूफ भी नहीं बना सकेगा और पढ़ लिख कर भी अपने पैरों पर भी खड़ी हो सकती हैं।"
सरपंच की सूझबूझ से गांव की बेटियां शिक्षित भी हुई । उस पुराने हैंड पाइप की वजह से पानी भरने भी दूर तक भी नहीं जाना पड़ता था।
