एक अनोखी रात का सफर
एक अनोखी रात का सफर
एक गांव शांत माहौल नीला आसमां काली रात थी। उस गांव के पास स्थित एक जंगल था। उस जंगल से हमेशा जानवरों की आवाजें आती थी। मगर एक दिन जंगल से बहुत भयानक आवाज आने लगी, मगर ये आवाज गांव की एक प्राची नाम की लड़की को ही सुनाई दे रही थी। प्राची ने अपने माता पिता को नींद से जगा दिया और ये आवाजें सुनने को कहा उसके माता पिता को कोई आवाज नहीं सुनाई दे रही थी। अचानक उसे बरतन खन्ना खान पेड़ो का तिगा तिग सुनाई दिया उसने अपने माता पिता से कहा ये बर्तनों को आवाज तो सुनाई दी होगी पर उन्हें ये आवाज भी नहीं सुनाई दी। फिर प्राची ने डरते हुए अपने हाथों को अपने कान पर रखा और कहा अब ये पेड़ो की आवाजें तो सुनाई दे रही होगी। उसकी माता ने उसे क्रोध में कहा ये अंधेर भरी रात में तुम्हें मजाक सूझ रहा है। फिर उसके पिता जी ने माता को शांत करते हुए कहा कुछ बुरा सपना देख कर डर गई होगी। पिता जी ने उसके सर पर हाथ फेरा और कहा बेटा तुम ने क्या सपना देखा पर प्राची कुछ नहीं बोली फिर पिता जी ने पूछा फिर भी वह कुछ नहीं बोली। फिर पिता जी ने कहा तुम्हें अभी आराम करना चाहिए। और उसके पिता वहां से अपने कमरे में सोने को चले गए। फिर प्राची उठ गई। और अपने आप से बाते करने लगी। शुक्र है। मैंने पिता जी को कुछ नहीं बताया यदि बता दिया होता तो ये खून को देख कर डर जाते वैसे तो मुझे भी बहुत डर लग रहा है। फिर वो अपने कमरे से कुछ मोमबत्ती लेकर खिड़की से बाहर निकल जाती है। वो उन खून के निशानों को पीछे पीछे जाती है। ये निशान उसे तब दिखाई दिए थे जब वो पेड़ो की गिरने की आवाजें सुनने के लिए अपने पिता जी को खिड़की पर ले गई थी। पर उसने ये बात पिता जी को नहीं बताई। अब वो निशान के पीछे पीछे चल रही है। कुछ दूरी पर अचानक उसे लाल रंग खून नीला, पीला ,सफेद, हरा सा दिखाई देने लगा। प्राची ने उस रंग को हाथ में लिया और उसे देखने लगी। उसे इसका रंग पसंद आया और वो आगे बढ़ने लगी। वो रास्ता एक पेड़ के भीतर जा रहा था। वो जैसे ही उस पेड़ में गई अचानक तेज रोशनी चमकने लगी। कुछ देर तक उसे कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था। जैसे ही उसकी आंख खुली रात दिन में बदल गई। वहां उसे बड़ी बड़ी इमारतें दिखाई दे रही थी। थोड़ी आगे जाने पर उसे मोटे से बड़े सर वाले लोग दिखाई दिए। और अजिंट भाषा में बात कर रहे थे। उन सभी के सर पर एक पंखुड़ी लगी थी। जिसके सहायता से वह सभी आकाश में उड़ रहे थे।
वह थोड़ी और आगे गई तो उसने देखा। उसके पिता जी के नाम का बोर्ड लगा है। उसने देखा बोर्ड तो हमारे घर के नाम का ही है। परंतु घर बहुत बड़ा हो गया है। घर में अंदर जाने का कोई दरवाजा नहीं है। प्राची कुछ देर तक पेड़ के नीचे बैठ कर अपने बदले हुए घर को देखती है और अंदर जाने का रास्ता खोजती हैं । अचानक उसकी नजर ऊपर की ओर पड़ती है। वो देखती है कि सभी लोग आकाश के मार्ग से छत में बने दरवाजे से घर में जा रहे है। फिर वह अपने आस पास के सभी घरों को देखती है कि सभी घरों में जाने का मार्ग ऊपर से ही है। फिर वह यहां वहां देखने लगती है। उसे वहां एक छोटा बच्चा दिखाई देता है। उसके सर पर भी वह पंखुड़ी लगी होती है। वह उस से पंखुड़ी छीन लेती है और अपने घर में चली जाती है। वहां वो एक आदमी को देखती है जो बिल्कुल उसके पिता की तरह दिखाई दे रहे हैं। पर उनके सर के बाल सफेद है। पर वो उनसे बात किए बिना अलमारी में छुप जाती है। कुछ देर बाद वो घर से चले जाते हैं। फिर प्राची अलमारी से निकलती है। और पूरे बदले हुए घर को देखती है। फिर प्राची सभी कमरों में जाती है। और जिनमें से एक कमरे में वो अपने माता पिता की फोटो देखती है जिन पर फूलों की माला लगी है। प्राची इसे देख कर दुःखी हो जाती है। और उन दोनों तस्वीरों से माला निकाल देती है। फिर दूसरे कमरे में जाती है। और आलीशान कमरा नरम गद्दा सुंदर दीवारें जिन पर उसका नाम लिखा देख कर वह बहुत प्रसन्न हो जाती है। पर उसके नाम के साथ किसी 45 साल की महिला की तस्वीर लगी होती है। इतने में वो महिला उस कमरे में आ जाती है। वह फिर अलमारी में चुप चाप छिप जाती है। वो अलमारी में से देखती है कि वो महिला कुछ चीज खा रही है और अपने बचपन को याद कर रही है। मुझे बचपन में घूमना, खाना ,पंछियों से बाते करना कितना अच्छा लगता था। इतने में प्राची को याद आया कि उसे भी तो यही सब पसंद है। इसका मतलब ये मेरा फ्यूचर है। इतने में तेज से आवाज आती है ।प्राची... प्राची इतने में तेज से पानी का बहाव आता है। अचानक से अंधेरा हो जता है। फिर उजाला दिखता है। ये मेरी वहीं पुरानी दुनिया वहीं पुराना घर दिखता है। इतने में आवाज आती है प्राची स्कूल नहीं जाना।
