धर्म की डोर
धर्म की डोर
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सेक्यूलिरिज्म1976 में इंदिरा गांधी की मंद बुद्धि व गन्दी विचार धारा की देन है। जब उसने बिना किसी शुन्य काल के और बिना विपक्ष की सहमति के संविधान के साथ छेड़छाड़ की गई
उस समय इंदिरा गांधी ने सेक्यूलिरिज्म का अर्थ जाने माने बुद्धि जीवी लक्ष्मीमल्ल सिंधवी से पूछा तब उन्होंने इसका अर्थ पंथनिरपेक्ष बताया था परंतु इंदिरा गांधी ने नहीं मान कर धर्म निरपेक्ष नाम की बिमारी अपने संविधान में डाल दी थी।
राजनीति में धर्म को झुलाया गया ताकि आने बारे समय में एक वोट बैंक उभर कर आए ।
