धर्म की डोर
धर्म की डोर
सामवेद में बताया गया हैं कि सभी धर्मों का आगमन सनातन धर्म से हुआ है, ये बात गौरतलब है क्योंकि जिस मानसिकता का आज विरोध हो रहा हैं उसके जिम्मेदार वे लोग हैं जो सत्ता प्यासे और मजहब के सम्राट हैं।
हम मानते हैं की उपद्रवियों व विरोधियों का कोई धर्म नहीं होता परंतु बहुसंख्यकों की तादात अगर किसी एक धर्म को दर्शाए तब किस आधार पर बचाव पक्ष उपद्रवियों व विरोधियों साथ देगा!
ये कथन विचार करने योग्य है.और तब और अधिक हो जाता है जब विरोधियों की पहचान के रुप में किसी विश्वविद्यालय के प्रांगण से अमान्य पहचान पत्र मिले हो ।
मैं विरोधियों को एक घटना की याद दिला दूं, बात रामायण से है उस समय की जब माता सीता पर अयोध्या की प्रजा ने दोष लगाया था कि रावण के पास रहने से मां सीता का पति व्रता का धर्म टूटा हैं और राम जी ने मां को वनवास भेज दिया ।
राम जी ने ऐसा आपने राजधर्म, मर्यादा,प्रजा व प्रतिष्ठिता के लिए ये सब किया और एक और हमारे देश में अब ये लोग हैं, जो सत्ता को पाने के लिए खुद अपना धर्म बदल कर हिन्दू बने और अब बोल रहे हैं कि हम हिन्दू राष्ट्र को बढ़ावा दे रहे हैं ।
